दिल्ली नगर निगम (MCD):- आम आदमी पार्टी (आप) उम्मीदवार महेश खिंची को गुरुवार को दिल्ली का अगला मेयर चुना गया. अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय राजधानी में सत्तारूढ़ पार्टी को इससे बड़ी बढ़त मिली है. अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी की ओर से मैदान में उतारे गए दलित उम्मीदवार खिंची ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किशन लाल को तीन वोटों के मामूली अंतर से हराया. हालांकि दो वोट अमान्य करार दिए जाने से चुनाव टाई होते-होते रह गया.
खिंची को 133 वोट मिले, जबकि लाल को 130 वोट मिले. दो वोट अवैध घोषित किए गए. कांग्रेस के आठ पार्षदों ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया. आप और भाजपा के बीच लंबे समय से चली आ रही जुबानी जंग के कारण अप्रैल से स्थगित हुए चुनावों में कांग्रेस ने मतदान प्रक्रिया का बहिष्कार किया और मेयर के लिए मौजूदा प्रस्तावित कार्यकाल के बजाय पूर्ण कार्यकाल की मांग की.
मेयर चुनाव के दौरान कुल 265 कुल वोट पड़े
दरअसल, मेयर चुनाव के दौरान कुल 265 वोट पड़े, जिनमें से दो वोट अमान्य करार दे दिए गए. चुनाव के दौरान बड़ा खेल भी देखने को मिला. कारण, AAP के 10 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग कर दी. चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में 132 वोट पड़े. वहीं बीजेपी को भी 132 वोट मिले, लेकिन इनमें से दो वोट अमान्य करार दे दिए गए. उधर, वोटिंग के दौरान कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद 1 पार्षद सबीला बेगम रुक गईं और आप को वोट कर दिया, इस कारण एक वोट और AAP को मिला और उसका आंकड़ा 133 हो गया. इस तरह से बीजेपी को 130 और आम आदमी पार्टी को 133 वोट मिले.
AAP को पहले से ही था क्रॉस वोटिंग का डर
बता दें कि आम आदमी पार्टी को पहले ही क्रॉस वोटिंग होने का डर सता रहा था. वार्ड समितियों के चुनाव में आप को तीन जोनों में क्रॉस वोटिंग का सामना करना पड़ा था. उसके कुछ पार्षदों ने पार्टी उम्मीदवारों के बजाए भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान कर दिया था. साउथ जोन में उसके उम्मीदवार हारते-हारते बचे थे. और अब मेयर चुनाव में आप को नेक तो नेक फाइट देते हुए करीब 10 वोट झटक लिए. हालांकि इसका फायदा बीजेपी को नहीं मिल सका और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार 3 वोटों से चुनाव जीत गए.
कौन हैं MCD के नए मेयर
बता दें कि पूर्व समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद के बाद आम आदमी पार्टी की बड़े दलित चेहरे की तलाश महेश खींची से पूरी हुई. करोल बाग विधानसभा क्षेत्र के देव नगर के वार्ड 84 से पार्षद महेश खींची ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई की है. आप ने करोल बाग के देव नगर वार्ड से 45 साल के महेश कुमार खुद को पेशेवर तौर पर वित्तीय सलाहकार बताते हैं
मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कैसे होता है?
यह चुनाव एमसीडी के गठन के बाद इसकी पहली बैठक के दौरान आयोजित किया जाता है, जिसमें गुप्त मतदान के जरिए मतदान होता है। मेयर का चुनाव न केवल मतदाताओं द्वारा सीधे तौर पर किया जाता है, बल्कि निर्वाचित प्रतिनिधियों की भी इस प्रक्रिया में भागीदारी होती है। इन प्रतिनिधियों में न केवल नव-निर्वाचित पार्षद शामिल होते हैं, बल्कि एक पूरा कॉलेज भी शामिल होता है जो मेयर का चुनाव करता है। इस चुनाव की प्रक्रिया में एमसीडी पार्षद, दिल्ली विधानसभा के सदस्य और दिल्ली के सांसद शामिल होते हैं। इस चुनाव में कुल 273 सदस्य मतदान में हिस्सा लेंगे। इनमें 249 एमसीडी पार्षद, 14 मनोनीत विधायक और लोकसभा व राज्यसभा के 10 सांसद शामिल हैं। जीत के लिए 137 मतों की जरूरत होगी। मनोनीत पार्षद (इन्हें एल्डरमैन कहते हैं) भले ही एमसीडी का हिस्सा होते हैं, लेकिन महापौर चुनाव में उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता।
सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवार को मेयर घोषित किया जाता है। बराबरी की स्थिति में, चुनाव की देखरेख के लिए नियुक्त विशेष आयुक्त लॉटरी का विशेष ड्रा आयोजित करता है और जिस उम्मीदवार का नाम निकलता है उसे मेयर घोषित किया जाता है।
एमसीडी में अभी कैसे समीकरण हैं?
एमसीडी के मेयर व डिप्टी मेयर पद के लिए गुरुवार को चुनाव है। एमसीडी में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत होने के कारण वह जीत के दावे कर रहे हैं। बावजूद इसके, भाजपा भी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने को तैयार है। मेयर चुनाव के लिए 273 सदस्य मतदान करेंगे इनमें 249 पार्षद, 14 मनोनीत विधायक और लोकसभा व राज्यसभा के 10 सांसद मतदान में शामिल हैं। इस चुनावी गणित में आम आदमी पार्टी के पास 143 मत हैं, जबकि भाजपा के पास 122 मत हैं और कांग्रेस के पास आठ मत हैं। जीत के लिए 137 मतों की जरूरत होगी।
चुनाव में देरी की वजह क्या रही?
आप और भाजपा के बीच लंबे समय से चल रहे राजनीतिक गतिरोध के कारण सात महीने तक टलने के बाद आज यानी 14 नवंबर को एमसीडी के मेयर चुनाव हो रहे हैं। गतिरोध के चलते एमसीडी सत्र में बार-बार व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिसके कारण इस साल अप्रैल में होने वाले चुनाव स्थगित कर दिए गए।
तीसरे साल में महापौर पद का कार्यकाल प्रक्रियागत विवादों के कारण विलंबित हो गया, जिसमें पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति पर असहमति भी शामिल थी। हालांकि, इन विलंबों के कारण नवनिर्वाचित महापौर और उप महापौर का कार्यकाल छोटा हो गया है और वे केवल पांच महीने का ही कार्यकाल पूरा कर सकेंगे।