छ.ग. विशेष संवाददाता :- राजेन्द्र मंडावी आदिवासी समुदाय से आने वाले मोहन मरकाम ने बन कर दिखाया उप पुलिस निरीक्षक
कांकेर सफलता का मूल मंत्र है- निरंतर अभ्यास करते रहे परिणाम के विषय में न सोंचे रख हौसला वो मंजर भी आयेगा, प्यासे के पास चलकर समन्दर भी आएगा। तक कर न बैठ थे मंजिल के मुसाफिर मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा। मोहन मरकाम पिता सुकमन मरकाम माता – सुकवती मरकाम
ग्राम – बुडरा, तह-माकड़ी, जिला- कोण्डागांव के रहने वाले निवासी है। जिसको पुलिस उपनिरीक्षक पद पर चयनित हो गया। मरकाम जी को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए घर के परिस्थितियों के साथ बुरे हालातों से गुजरना पड़ता मेरा पढ़ाई इन स्कूलों से हुआ।
शिक्षा – प्राथमिक से हायरसेकण्डरी तक सरकारी स्कूल में सम्पका हुआ (हाई स्कून कटागांव)
उच्च शिक्षा – सरकारी कालेज (भानु प्रतापदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय काँकेर से सम्पन हुआ।
*संघर्ष से सफलता तक का सफर*
मैं एक किसान परिवार से हूँ. मेरे माता पिता और पूरे परिवार किसानी करते है मेरे घर की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय था. हम पाँच भाई हम माता पिता के 5 बच्चे थे। तीन भाई और दो बहन उसी में से तीसरे नंबर का मैं हूँ मेरे से मेरे से दो बड़े बहन और भाई आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण 12वी के आगे पढ़ाई नहीं कर पाए, हम सभी की शिक्षा सरकारी स्कूलों से पूरा हुई है,। परिस्थिति इतनी खराब थी कि पढ़ाई के लिए मजदूरी करने जाना पड़ती थी। मैने गरीबी और बुरे परिस्थितियों से गुजर रहे थे लेकिन घर की स्थिति को देखकर हार नहीं माना और निरंतर पढ़ाई करते गया। जब मैं 12 वीं पास हुआ तो मुझे वनरक्षक की नौकरी मिल भी गई थी लेकिन किन्ही कारणों से उसे ज्वाइन नहीं कर पाया।
जिसका पछतावा मुझे बाद में हुआ।
*लेकिन फिर से मेहनत कर कड़े होने का प्रयास किया*
लेकिन के हिम्मत नहीं हारा क्योंकि मैं अधिकारी बनना चाहता था। फिर उसके बाद निरंतर मेहनत करते गया और उच्च शिक्षा के लिए ककेंर गया वहां पढ़ाई पुरी करने के बाद मै रायपुर (PSC) कोचिंग करने गया। आगे उडान एकेडमी में कोचिंग ज्वाइन किया जिसका फीस जमा करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे तो मेरे दोस्तों ने सहयोग किया। सविता, जोहर, महन्त, महेश, राजेश, और महेन्द्र उनसभी दोस्तों का मुझे बहुत सहयोग मिला- उसके मैं ने पार्ट टाइम जोमेटो में फूड डेलिवरी का काम करता था। उसे हालत में से गुजर रहा था फिर 2021 में मेरा (SI) का फ्री Exam. निकल गया,। फिर मेन्स दिलाना था.. तो महन्त और जोहर मुझे खाना बनाकर देते थे। और मुझे बोले तू सिर्फ पढ़ाई कर अंत मेन्स भी निकल गया. फिर इन्टरव्यू आज उसी का नतीजा है मै के पुलिस अधिकारी बन गया।
इस दौरान मेरे शिक्षको का भी बहुत योगदान रहा उनका मार्ग दर्शन मिलता गया- जैसे. कांति पटेल सर, रविन्द्र सिंह शोरी, रमेश पिस्दा सर, बालमुकुन्द बनेर सर, भगवान दास कोसरिया सर, सन्तोष प्रधान सर मनोज मरकाम सर, भगतराम नाग सर, श्रवण नेताम सर, और सभी शिक्षको का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
*इस सफलता तक पहुंचाने में मेरे दोस्तो का भी योगदान रहा-*
उनमे से – राजेश पटेल सर, महेन्द्र बरेठ महन्त शोरी, महेश मंडावी, जोहर नेताम, सन्नू, पवित, महेन्द्र शोरी, जितेन शोरी, राजू नेताम, बृज शोरी, सोनाराम शोरी, सविता साहू, इन सभी दे बहुत मदद किया
*इस सफलता का श्रेय*
मेरे माता-पिता मुझे पढ़ाये सभी शिक्षक गण, भगवान दास कोसरिया, रविन्द्र सिंह झोटी, कांति पटेल, सर भगत राम नाग सर और मेरे अच्छे दोस्त. सविता को जाता है।
मोहन लाल मरकाम
पद उप. पुलिस निरीक्षक
रिजल्ट डेट- 28/10/2024. सोमवार
उनका कहना है कि -समाज के आने वाली पीढ़ी को मैं दशा दिशा दूंगा –
हमारे गाँव बुडरा में मेरा प्रथम सरकारी जॉब है अभी तक मेरे गांव के आदिवासी समुदाय से।
इस संघर्ष के दौरान कई सामाजिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जिससे हैं और मोटीवेट होते गया कि कुछ बनके दिखाना है।