रिपोर्टर देवीनाथ लोखंडे
बोरदेही बैतूल
किसानों को प्रताड़ित करने वाले सूदखोर के खिलाफ बोरदेही थाने में मामला दर्ज
किसान लंबे समय से सूदखोर की प्रताड़ना से परेशान, एक किसान की सदमे से हो गई मौत
एक साल से चुकता की रकम, फिर भी ट्राली और चेक नहीं लौटाए
पुलिस ने म.प्र. ऋणियों का संरक्षण अधिनियम और मध्यप्रदेश साहूकार अधिनियम के तहत दर्ज किया मामला
बैतूल। आमला ब्लॉक के कई किसान लंबे समय से बिना लाइसेंस वाले सूदखोरों के जाल में फंसकर मानसिक प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं। हाल ही में बोरदेही थाने में हथनोरा गांव के देवेंद्र उर्फ बब्बू पिता अमरसिंह रघुवंशी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि देवेन्द्र सिंह ने किसानों से 30-40 प्रतिशत की अत्यधिक ब्याज दर पर पैसे उधार देकर उनकी ट्रैक्टर ट्राली और बैंक के चेक गिरवी रख लिए थे
सूदखोर के जाल में फंसे भोले-भाले किसान अपनी परेशानियों को लेकर प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने ब्याज सहित संपूर्ण राशि चुका दी है, इसके बावजूद देवेन्द्र सिंह ने उनकी ट्राली और चेक वापस नहीं किए। मामले में प्रताड़ना का शिकार हुए किसानों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई न होने से निराश होकर उन्होंने पुनः थाना बोरदेही में शिकायत दर्ज कराई। आवेदक यशवंत यदुवंशी, नरेश यदुवंशी, कमलेश यदुवंशी, महेश यदुवंशी, देवीदिन, निलेश, बिसन, जितेंद्र सहित अन्य किसानों का आरोप है कि साहूकार लगातार उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है और जान से मारने की धमकी भी दे रहा है।
थाना बोरदेही में आवेदको ने आवेदन पत्र प्रस्तुत करते हुए बताया कि देवेन्द्र सिंह ने 30 से 40 प्रतिशत की ऊंची ब्याज दर पर पैसे का लेन-देन किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी ट्राली और बैंक के खाली चेक उसके पास रखे थे, लेकिन उधारी की राशि चुकाने के बावजूद वह ट्राली लौटाने और चेक वापस करने से इंकार कर रहा है। साहूकार के अत्याचार से एक किसान की सदमे में मृत्यु हो गई है। उसकी पत्नी छोटे-छोटे बच्चों के साथ न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रही है लेकिन न्याय नहीं मिल पा रहा है। पीड़िता ने बताया कि 1 लाख के बदले 2 लाख लेने के बाद भी ट्रॉली वापस नहीं देने पर सदमे में उसके पति की लगभग एक माह पहले 7 अक्टूबर को मृत्यु हो गई।
शिकायतकर्ता किसानों के अनुसार, साहूकार द्वारा बंधक रखी गई उनकी जमीन की रजिस्ट्री भी पैसे चुकाने के बाद वापस नहीं की जा रही है। उन्होंने बताया कि साहूकार ने बिना वैध लाइसेंस के साहूकारी का धंधा चलाते हुए उन्हें उच्च ब्याज दर पर पैसा दिया और बाद में उनकी जमीन पर कब्जा जमा लिया। प्राथमिक जांच में मामला म.प्र. ऋणियों का संरक्षण अधिनियम 1937 की धारा 3, 4 एवं मध्यप्रदेश साहूकार (संशोधन) अधिनियम 2020 की धारा 2 (बी) और 351 (2) बीएनएस के तहत दर्ज किया गया है।