शरद पूर्णिमा आज की रात जागने पर मिलेगा धन इस दिन अपनी नाम राशि के अनुसार क्या करे क्या ना करे
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Rajat Bisht
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शरद पूर्णिमा आज की रात जागने पर मिलेगा धन इस दिन अपनी नाम राशि के अनुसार क्या करे क्या ना करे
शरद पूर्णिमा की रात को सबसे उज्जवल चांदनी छिटकती है। चांद की रोशनी में सारा आसमान धुला नज़र आता है। ऐसा लगता है मनो बरसात के बाद प्रकृति साफ और मनोहर हो गयी है। माना जाता है कि इसी धवल चांदनी में मां लक्ष्मी पृथ्वी भ्रमण के लिए आती हैं। शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर धरती के मनोहर दृश्य का आनंद लेती हैं।
साथ ही माता यह भी देखती हैं कि कौन भक्त रात में जागकर उनकी भक्ति कर रहा है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरा भी कहा जाता है। कोजागरा का शाब्दिक अर्थ है कौन जाग रहा है। मान्यता है कि जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है। शरद पूर्णिमा के विषय में ज्योतिषीय मत है कि जो इस रात जगकर लक्ष्मी की उपासना करता है उनकी कुण्डली में धन योग नहीं भी होने पर माता उन्हें धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं।
शरद पूर्णिमा अर्थात कोजागरी व्रत आश्विन शुक्ल मध्य रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा में किया जाता है। ज्योतिषिय नियमों के अनुसार इसी दिन चन्द्र अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। इस दिन के संदर्भ में एक मान्यता प्रसिद्ध है कि इस दिन भगवान श्री कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होने की मान्यता प्रसिद्ध है। इसी कारण इस दिन खीर बनाकर रात्रि काल में चन्द्र देव के सामने चांदनी में व मां लक्ष्मी को अर्पितकर अगले दिन प्रात: काल में ब्रह्मण को प्रसाद वितरण व फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण करने का विधि-विधान है। इस दिन एरावत पर आरूढ़ हुए इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। इससे अवश्य ही लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
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ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब मां लक्ष्मी राधा रूप में अवतरित हुई। भगवान श्री कृष्ण और राधा की अद्भुत रासलीला का आरंभ भी शरद पूर्णिमा के दिन माना जाता है।
शैव भक्तों के लिए शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसी कारण से इसे कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे योग्य पति प्राप्त होता है।
इस दिन मनुष्य विधिपूर्वक स्नान करके उपवास रखे और जितेन्द्रिय भाव से रहे। मां लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित कर भिन्न-भिन्न उपचारों से उनकी पूजा करें, तदनंतर सायंकाल में चन्द्रोदय होने पर घी के 100 दीपक जलाए। इस रात्रि की मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए संसार में विचरती हैं और मन ही मन संकल्प करती हैं कि इस समय भूतल पर कौन जाग रहा है? जागकर मेरी पूजा में लगे हुए उस मनुष्य को मैं आज धन दूंगी।
इस प्रकार यह शरद पूर्णिमा, कोजागर व्रत लक्ष्मीजी को संतुष्ट करने वाला है। इससे प्रसन्न हुईं मां लक्ष्मी इस लोक में तो समृद्धि देती ही हैं और शरीर का अंत होने पर परलोक में भी सद्गति प्रदान करती हैं।
पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस दिन कुमारी कन्याएं प्रातः काल स्नान करके सूर्य और चन्द्रमा की पूजा करती हैं। माना जाता है कि इससे उन्हें योग्य पति की प्राप्त होती है।
अनादिकाल से चली आ रही प्रथा का आज फिर निर्वाह किया जाएगा। स्वास्थ्य और अमृत्व की चाह में एक बार फिर खीर आदि को शरद-चंद्र की चांदनी में रखा जाएगा और प्रसाद स्वरूप इसका सेवन किया जाएगा।
मेष-आज का दिन कुछ अलगाव सूचक, स्वजनों एवं परिजनों से मतभेद बढ़ानेवाला होगा।
क्या करें-चावल पकाकर देसी घी डालकर पक्षी को दें।
क्या न करें-अतिआत्मविश्वास में ना रहें।
वृषभ-आज परिवार, मित्रों, साथियों के सहयोग से लाभ होगा।
क्या करें-गुरु का आशीर्वाद लें।
क्या न करें-बाहर ज्यादा नहीं खाए-पीए।
मिथुन-आपके अधीनस्थ कर्मचारी व मित्र बहुत काम आएंगे।
क्या करें-आज व्रत रखे व एक समय भोजन करें।
क्या न करें-बड़ों की बात को दिल पर ना लें।
कर्क-आप अपने रास्ते की कठनाई को कड़े परिश्रम से हटा सकने में कामयाब रहेंगे।
क्या करें-लाल चंदन का तिलक ललाट पर लगाएं।
क्या न करें-लापरवाही से बचें।
सिंह-अच्छा समय व्यतीत होगा, आज खूब काम करने की प्रवृत्ति बनेगी।
क्या करें-संध्या काल में तुलसी के पौधे के समक्ष घी के दीपक में दो लौंग डालकर जलाएं व प्रणाम करें।
क्या न करें-यात्रा नहीं करें।
कन्या-रोजगार की तलाश पूरी होगी। आर्थिक लाभ होगा।
क्या करें-मस्तक पर गोपीचंदन का तिलक लगायें।
क्या न करें-मित्रों की संगत से दूर रहें।
तुला-व्यवसाय या यात्रा से भी आमदनी के आसार प्रबल होंगे।
क्या करें-श्री कृष्ण जी की अराधना करें।
क्या न करें-कोई नया अग्रीमेंट नहीं करें।
वृश्चिक-कोई गुरु या गुरु समान व्यक्ति आप पर भारी उपकार करेगा।
क्या करें-पीपल वृक्ष के समक्ष तिल के तेल का दीपक जलायें।
क्या न करें-वाहन नहीं चलायें।
धनु-आपके अपने परिश्रम से कुछ विस्मयकारी शुभ परिणाम प्रत्यक्ष होंगे।
क्या करें-राधाकृष्ण की मूर्ति के सामने तुलसी का पौधा एवं गंगाजल रखें।
क्या न करें-जल्दबाजी नहीं करें।
मकर-वाहन दुर्घटनाओं के बीच अपने साहस को बनाये रखें।
क्या करें-परिवार के साथ हनुमान मंदिर अवश्य जायें।
क्या न करें-बुरा नहीं सोचें।
कुम्भ-अपने परिश्रम और चेष्टाओं के बल पर उत्तम व शुभ परिणाम प्राप्त करेंगे।
क्या करें-हनुमान मंदिर में लाल चंदन दान करें।
क्या न करें-अपशब्द नहीं कहें।
मीन-किसी नए समबन्ध से सहयोग के कारण व्यापार में चमत्कृत लाभ होंगे।
क्या करें-सूती लाल कपड़े में थोड़ी सी सौंफ बांधकर अपने साथ रखें।