सत्यार्थ न्यूज़ भीलवाड़ा राजस्थान
अब्दुल सलाम रंगरेज
हजरत मंसूर अली बाबा के उर्स का समापन-
गांधीसागर तालाब की पाल पर हजरत मंसूर अली बाबा का 98वें उर्स का समापन असर की नमाज के बाद कुल की रस्म के साथ हुआ। जायरीनों ने अकीदत के फूल पेश कर अमन चैन की दुआ मांगी। दरगाह सदर उस्मान पठान ने बताया कि इससे पहले उर्स की शुरुआत अलम शरीफ परचम कुशाई से हुई। गुलमंडी से चादर शरीफ के जुलूस से उर्स की शुरुआत हुई। रात ईशा की नमाज के बाद महफिलें मिलाद में मौलाना मुफ्ती शमशुद्दीन का नूरानी बयान हुआ। उन्होंने बताया की लोगों को इल्म के प्रति जागरूक होना है अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें और कामयाब बनाएं जिसके पास शिक्षा नहीं है उसके जीवन में अंधकार छा जाता है। इल्म प्राप्त करने के लिए कहीं भी जाना पड़े वहां जाकर इल्म हासिल करें। दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियावी तालीम भी जरूरी है।
दरगाह सेक्रेट्री अब्दुल हमीद शेख ने बताया कि देर रात तक महफिलें कव्वाली का आयोजन हुआ, जिसमें कव्वाल रईस अनीस साबरी व कव्वाल फिरोज साबरी ने शिकरत की। उन्होंने अपने मशहूर सूफियाना और निष्पत्ति कलाम पेश किये। पगड़ी बंद कव्वाल बाबू भाई और पार्टी ने भी कलाम पेश कर दाद बटोरी। बिजनौर मुंबई से आए कव्वाली रईस अनीस साबरी ने जब यह कलाम पढ़ा—
“दुश्मनी की तो क्या पूछिए दोस्ती का भरोसा नहीं” सुनकर लोगों से वाह वाही लूटी।
इस दौरान दरगाह चेयरमैन उस्मान पठान, सेक्रेटरी हमीद शेख, खजांची हाजी रजा छीपा, असलम पठान, रफीक पठान, अजहरुद्दीन शेख, अनीश पठान, ताहिर पठान, मोहसिन मंसुरी, फीरोज शाह, रफीक शेख, अकरम मेवाफ़रोस, सलीम बिसायती, आजाद शाह व इकबाल पठान मौजूद थे।