रिपोर्टर __देवीनाथ लोखंडे बैतूल
अपनों की बेरुखी से टूटे बुजुर्ग ने जन्मदिन पर सुनाई दर्दभरी दास्तान
82 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक बीआर घोरसे की मार्मिक अपील
बैतूल। मुलताई निवासी 82 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक बीआर घोरसे ने अपने जन्मदिन पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए अपनी मार्मिक व्यथा व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि यह उनका अंतिम जन्मदिन हो सकता है और समाज से मदद की गुहार लगाई है।
बीआर घोरसे ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि पूर्व में मनुष्यों में प्रेम, दया, सहानुभूति, करुणा, ईमानदारी, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे मानवीय गुण भरे होते थे, जो आजकल लुप्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि आज की संतानें अपने वृद्ध माता-पिता को नर्क जैसे जीवन में धकेल देती हैं, जिससे माता-पिता बदनामी के डर से चुप रहते हैं और अंततः घुट-घुट कर मर जाते हैं। यह मानव समाज का कलंक है, जिस पर ना तो शासन और ना ही समाज गंभीर है।
घोरसे ने अपने जीवन की कड़ी मेहनत और संघर्ष का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने शिक्षकीय जीवन में शिक्षा को पूजा मानकर सेवा की, और उनके छात्रों का औसत परीक्षाफल 80% रहा। इसके बावजूद, वे अपने ही पुत्रों को सही संस्कार नहीं दे पाए, जिससे उनके तीनों पुत्र समाज के अपराधी बन गए। पुत्रों ने उनकी पैतृक संपत्ति को हथियाने की कोशिश की और असफल होने पर उनकी ससुराल की करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा करने की मंशा रखी।
उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी 71 वर्ष की हैं, जो थायराइड और बीपी की मरीज हैं, और उनकी कमर 90 अंश झुक गई है। बीआर घोरसे खुद 26 वर्षों से शुगर और बीपी के मरीज हैं, और शुगर से उनकी एक आंख पूरी तरह खराब हो गई है। वर्तमान में उनकी दाहिनी आंख से पूर्णतः दिखाई देना बंद हो गया है, और बाईं आंख भी खराब होने की कगार पर है। उनका पोता भी अपराध में लिप्त है, और उनके तीनों पुत्रों ने उनके किसी भी इलाज में सहयोग नहीं किया। बीआर घोरसे ने एनजीओ, शासन, समाजसेवी और प्रबुद्ध वर्ग से प्रार्थना की है कि उनके जीवन के अंतिम पड़ाव पर उनकी और उनकी पत्नी की मदद की जाए।
— शेगांव जाकर मनाया जन्मदिन–
बीआर घोरसे ने अपना 82वां जन्मदिन मुलताई नगर में धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर वे श्री गजानन सेवा संस्थान शेगांव गए, जहां उन्होंने 8 किलो 200 ग्राम मिठाई वितरित की। सबसे पहले उन्होंने संत गजानन महाराज के दर्शन किए और पूजा-अर्चना कर विश्व की शांति, सुख, और समृद्धि की कामना की।
इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी, शिष्य अनिल लोखंडे, और शिवपाल गुजरे भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में बीआर घोरसे ने अपने विचार व्यक्त किए और समाज से वृद्ध लोगों के प्रति संवेदनशीलता और मदद की अपील की। उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों और वर्तमान परिस्थितियों को साझा करते हुए समाज से एकजुट होकर ऐसे मामलों में समर्थन की उम्मीद जताई।