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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव …लोकसभा में नहीं दी तवज्जो, अब विधानसभा में मिल रही फुल इज्जत, महाराष्ट्र में कितना दम रखते हैं उत्तर भारतीय?

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Vishal Leel
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मुंबई:- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की वोटिंग की तारीख जैस-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे लड़ाई भी रोचक बनती जा रही है. ऐसे में महा विकास अघाड़ी और महायुति दोनों ही गठबंधन अपने-अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने में लगे हैं. लोकसभा चुनाव में उत्तर भारतीय नेताओं को सभी दलों ने पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया था और एक टिकट नहीं दिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में फुल तवज्जे मिली है. बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति और कांग्रेस के अगुवाई वाले महा विकास अघाड़ी में शामिल घटक दलों ने उत्तर भारतीय को उम्मीदवार बना रखा है

मुंबई इलाके की सीटों पर सबसे ज्यादा उत्तर भारतीय किस्मत आजमा रहे हैं. तकरीबन 14 उत्तर भारतीय प्रत्याशी अलग-अलग दलों से मुंबई की सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिसमें कुछ सीट पर मुकाबला भी उत्तर भारतीय बनाम उत्तर भारतीय के बीच है. इसी तरह से नवी मुंबई, मालेगांव, औरंगाबाद, भिवंडी जैसे इलाके की सीटों पर भी उत्तर भारतीय नेता चुनावी मैदान में ताल ठोक रखी है.

बीजेपी से उतरे उत्तर भारतीय नेता
बीजेपी ने अपनी सबसे सुरक्षित सीट बोरीवली से संगठन में सक्रिय रहने वाले उत्तर भारतीय नेता संजय उपाध्याय को उतारा है. इनके सामने उद्धव ठाकरे ने शिवसेना (यूबीटी) ने संजय भोसले को उतारा है. वसई विधानसभा से बीजेपी ने उत्तर भारतीय स्नेहा दुबे पंडित को उतारा है, जहां से कांग्रेस ने विजय पाटील को उतारा है. कालीना विधानसभा सीट से बीजेपी ने आरपीआई आठवले कोटे से उत्तर भारतीय नेता अमरजीत सिंह को उतारा है. उनका सामना उद्धव सेना के वर्तमान विधायक संजय पोतनिस से है. ऐसे ही गोरेगांव सीट से बीजेपी ने विद्या ठाकुर को हैट्रिक मारने के लिए उतारा है, जहां उन्हें उद्धव ठाकरे की शिवसेना के दमदार समीर देसाई की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है

शिंदे ने भी खेल रखा है सियासी दांव
बीजेपी की सहयोगी दल शिंदे सेना में दिंडोशी सीट से पूर्व सांसद और पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता संजय निरुपम को उतारा है और उनके सामने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के वर्तमान विधायक सुनील प्रभु से है. प्रभु की हैट्रिक रोकने के लिए निरुपम हर संभव कोशिश कर रहे हैं. उत्तर भारतीय बहुल सीट होने के चलते संजय निरुपम मुख्य मुकाबले में नजर आ रहे हैं. बहुजन विकास आघाडी के हितेंद्र ठाकुर फिर से इसी वसई सीट से मैदान में हैं. इसके अलावा भी कई सीट पर प्रकाश अंबेडकर ने उत्तर भारतीय को प्रत्याशी बनाया है.

कांग्रेस ने खेला उत्तर भारतीय कार्ड

महाविकास आघाडी गठबंधन की अगुवाई करने वाली कांग्रेस ने चारकोप विधानसभा सीट से उत्तर भारतीय नेता यशवंत जयप्रकाश सिंह को टिकट दिया है, जहां से उन्हें बीजेपी के विधायक उत्तर भारतीय नेता योगेश सागर से चुनौती मिल रही है. नालासोपारा सीट पर कांग्रेस ने उत्तर भारतीय कार्ड खेलते हुए संदीप अमरनाथा पांडे को मौका दिया है. वहां से पांडे को बीजेपी के राजन नाईक, बहुजन विकास आघाडी के क्षितीज ठाकुर चुनौती देते नजर आ रहे हैं.

कांग्रेस ने चांदिवली से पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीम खान, मलाड पश्चिम सीट से विधायक असलम शेख को फिर से अवसर दिया है. कांग्रेस के दोनों मुस्लिम प्रत्याशी उत्तर भारतीय हैं. इसके अलावा भिवंडी की दोनों ही सीटों पर उत्तर भारतीय नेता चुनाव लड़ रहे हैं. मालेगांव सीट पर ओवैसी और सपा ने उत्तर भारतीय को ही प्रत्याशी बना रखा है.

अणुशक्ति नगर सीट से अजित पवार की एनसीपी ने सना मलिक को उतारा है तो उनके सामने शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एस) ने फहाद अहमद को उम्मीदवार बना रखा है. दोनों ही एनसीपी गुट ने उत्तर भारतीय को टिकट दिया है. ऐसे ही मानखुर्द नगर विधानसभा से भी मुस्लिम उत्तर भारतीय बनाम मुस्लिम उत्तर भारतीय की टक्कर हैं. अणुशक्ति नगर से विधायक नवाब मलिक इस बार मानखुर्द शिवाजी सीट से एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जहां से उन्हें अपने पुराने दोस्त समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी से चुनौती मिल रही है. ऐसे ही अजित पवार की एनसीपी ने वांद्रा पूर्व सीट से विधायक जिशान सिद्दीकी को मौका किया है.

उत्तर भारतीय वोटों की सियासी ताकत
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश राज्यों समेत कई राज्यों से उत्तर भारतीय मुंबई में रहते हैं. अब इन उत्तर भारतीय वोटर पर सभी राजनीतिक दलों की नजर है. महाराष्ट्र में करीब 40 लाख वोटर उत्तर भारतीय है, जो अलग-अलग सीटों पर बंटे हुए हैं. मुंबई इलाके की 36 सीटों में 22 पर उत्तर भारतीयों खासकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के वोटरों का खासा प्रभाव है. यूपी और बिहार के करीब 18 लाख प्रवासी अब मुंबई के वोटर भी बन चुके हैं. कलीना, कुर्ला, दहिसर, चारकोप, कांदिवली-ई्स्ट, बोरीवली, मागाठणे, वर्सोवा, गोरेगांव, दिंडोशी, जोगेश्वरी-पूर्व और अंधेरी ईस्ट समेत कई सीटों पर इनका प्रभाव ज्यादा माना जाता है.

महाराष्ट्र में कई ऐसी जगहें हैं जहां उत्तर भारतीयों वोटरों का प्रभाव ज्यादा है. इसमें मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, कल्याण, पुणे, नागपुर, कोल्हापुर, अकोला, औरंगाबाद शामिल हैं, यहां उत्तर भारतीयों के वोट नतीजों पर प्रभाव डालने वाली स्थिति में हैं. ज्यादतर वह वोटर हैं जो रोजगार के लिए यहां आए. माना जाता है कि ये यहां की शिवसेना, मनसे, बहुजन विकास अघाड़ी जैसी पार्टियों के उठाए जाने वाले स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय पार्टियां उनकी पहली पसंद है.

महाराष्ट्र में एक समय उत्तर भारतीय वोटर कांग्रेस का परंपरागत मानी है. कांग्रेस का जब से उत्तर भारतीयों ने साथ छोड़ा है, तब से वह सत्ता से दूर हो गई है. अब उत्तर भारतीय बीजेपी के साथ खड़ा है, लेकिन बीजेपी भी कोई खास तवज्जे नहीं दे रही है. लोकसभा चुनाव में उत्तर भारतीय वोटर्स बीजेपी से बिदक गया क्योंकि किसी भी उत्तर भारतीय को प्रत्याशी नहीं बनाया था. इसका फायदा कांग्रेस के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी को हुआ है. ऐसे में उत्तर भारतीय वोटों को साधने की कवायद के लिए भी राजनीतिक दलों ने विधानसभा चुनाव में अच्छा खासा टिकट दिया है.

कृपाशंकर सिंह, संजय निरुपम, राजहंस सिंह जैसे नेताओं के कांग्रेस छोड़ने से पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है. ऐसे में कांग्रेस में उत्तर भारतीय नेतृत्व पूरी तरह से नसीम खान पर आकर टिक गई है, उनके अलावा कोई बड़ा चेहरा नहीं है. मुंबई कांग्रेस के कोषाध्यक्ष संदीप शुक्ला, अवनीश सिंह, डा. किशोर सिंह, अभय चौबे, अखिलेश यादव जैसे युवा चेहरा भी समाज में सक्रिय हैं. उद्धव ठाकरे भी अच्छी तरह समझ गए हैं कि बिना उत्तर भारतीयों के मुंबई में उनकी राजनीतिक दाल नहीं गलने वाली है. ऐसे में उद्धव खेमा प्रवक्ता आनंद दुबे को उत्तर भारतीय चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही

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