शिक्षामित्रों की हुंकार, लखनऊ आए हैं और अपना हक लेकर ही जाएंगे
नियमितीकरण, मानदेय बढ़ाने समेत अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को प्रदेश भर से आए हजारों शिक्षामित्रों ने इको गार्डन में धरने के साथ हुंकार भरी। शिक्षामित्रों के सीएम आवास के घेराव की चेतावनी से प्रशासन पहले से ही सतर्क था। भारी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात थी। मुख्यमंत्री से वार्ता की मांग कर रहे शिक्षामित्रों को दोपहर बाद प्रशासन के अधिकारियों ने सीएम के ओएसडी से वार्ता कराई, लेकिन बात नहीं बनी। शिक्षामित्रों का कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री से वार्ता नहीं हो जाती, धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार यादव ने कहा कि शिक्षामित्रों की जब तक मुख्यमंत्री से वार्ता नहीं हो जाती है, आन्दोलन जारी रखेंगे। शिक्षामित्रों को हर माह सिर्फ 10 हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है, जबकि काम शिक्षकों के बराबर लिय जा रहा है। वो भी 11 माह का। अधिकांश शिक्षामित्र घर से करीब 70 किमी. दूर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। वर्ष 2017 से सरकार ने मानदेय नहीं बढ़ाया है। शिक्षामित्र वापसी की मांग कर रहे।
संघ वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्याम लाल यादव ने कहा कि अधिकांश शिक्षामित्र 45 वर्ष से अधिक के हो गए हैं। कई बीमारियों से पीड़ित हैं। इन्हें स्वास्थ्य बीमा और इलाज के लिये आयुष्मान योजना का लाभ मिलना चाहिये। चिकित्सीय अवकाश की व्यवस्था की जाए। इतने कम मानदेय में परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है। कई शिक्षामित्र आर्थिक परेशानी के चलते खुदकुशी कर चुके हैं।
उप्र.प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के बैनर तले गुरुवार को प्रदेश भर के करीब 50 हजार शिक्षामित्र लखनऊ के आलमबाग स्थित धरना स्थल इको गार्डन पहुंचे और अपनी आवाज बुंलद की। शिक्षामित्रों ने कहा कि लखनऊ आए हैं, हक लेकर जाएंगे, सरकार शिक्षामित्रों को नियमित करे, नियमितीकरण की कार्रवाई होने तक मानदेय बढ़ाएं, हमारी मांगें पूरी हो, चाहे जो मजूबरी हो। इन्हीं नारों के साथ शिक्षामित्रों ने अपने गुस्से को बयां किया। शिक्षामित्रों को नियमित करें, सहायक शिक्षकों के समान सुविधाएं दी जाएं आदि स्लोगन लिखी तख्ती लेकर शिक्षामित्र आए थे। उप्र.प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने कहा कि करीब एक लाख 40 हजार शिक्षामित्र प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 24 वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। राज्य और केंद्र सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर रहे हैं। फिर भी सरकार शिक्षामित्रों की अनदेखी कर रही है। अब शिक्षामित्र अपना हक लेकर ही जाएंगे।