सवांददाता चीफ रिपोर्टर रमाकान्त झंवर बीकानेर श्रीडूंगरगढ
श्रीडूंगरगढ़। मनुष्य के जीवन में तीन अवस्थाएं होती हैं जिसमें बाल्य अवस्था ज्ञानार्जन की अवस्था होती है। बाल्यावस्था में ज्ञान के संस्कारों का जो बीजारोपण होता है वहीं उनके जीवन निर्माण में सहायक होता है। यह मंगल प्रेरणदायी उद्बोधन सेवा केंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी कुंथुश्री ने ज्ञानशाला दिवस पर समुपस्थित ज्ञानार्थियों और प्रशिक्षिकाओं को प्रदान किया। साध्वी ने कहा कि बच्चों में सर्वप्रथम अपनी माता और उसके बाद प्रशिक्षिकाओं के संस्कार जीवन में बहुत गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। बच्चों में संस्कार वह संपदा है जो धनार्जन से भी अधिक मूल्यवान होती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में गीतांश मालू द्वारा मंगलाचरण से किया गया। ज्ञानशाला संयोजक के. एल. जैन ने स्वागत वक्तव्य से उपस्थित सभी का स्वागत किया। ज्ञानशाला ज्ञानार्थी मोहित गंग और युवराज चोपड़ा ने नमस्कार महामंत्र मुद्रा की प्रस्तुति दी। साध्वी सुमंगलाश्री ने ज्ञानशाला दिवस पर ज्ञानवर्धक वक्तव्य दिया। ख्वाइश झाबक, कार्तिक मालू, जैनिशा बोथरा ने अपने भाषण से भावों की अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के नन्हें ज्ञानार्थियों ने अतिमुक्तक मुनि और सपनों को सच करती संस्कारशाला के माध्यम से बहुत ही सुंदर और मनमोहक प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में सभा के मंत्री प्रदीप पुगलिया ने कृतज्ञता ज्ञापित की। इस दौरान कमलचंद दीपक कुमार सिंघी ने ज्ञानार्थियों की प्रस्तुति पर 5100 रुपए के अर्थ सहयोग की घोषणा की। कार्यक्रम में नाटिका प्रस्तुति देने वाले ज्ञानार्थियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में हुए प्रश्नोत्तरी के प्रतिभागियों का सभाध्यक्ष सुशीला पुगलिया के आर्थिक सहयोग से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मंजू झाबक ने किया। कार्यक्रम में ज्ञानशाला संयोजक के.एल. जैन, मुख्य प्रशिक्षिका मंजू बोथरा, मंजू झाबक, गुंजन छाजेड़,संपत देवी मालू, तन्वी मालू, साक्षी दुगड़, दीप्ति झाबक, सभा कोषाध्यक्ष तोलाराम पुगलिया, संजय बरड़िया, तेयुप मंत्री अमित बोथरा आदि उपस्थित रहे।