एकीकृत पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लागू करने की जिम्मेदारी पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के हाथों में होगी। ऐसे कर्मचारी जो नई पेंशन स्कीम से जुड़े थे लेकिन 10 वर्ष की सेवा के बाद नौकरी छोड़ दी है, उन सभी कर्मचारियों को डाटा उपलब्ध कराने से लेकर पेंशन और एरियर जारी करने तक का काम पीएफआरडीए की निगरानी में ही पूरा होगा।
पोर्टल पर चुन सकेंगे दोनों में से एक स्कीम योजना के तहत पहले एक एकीकृत पोर्टल तैयार किया जाएगा। इसमें कर्मचारियों को विकल्प दिया जाएगा, जिसके माध्यम से कर्मचारी नई पेंशन स्कीम और यूपीए में से किसी एक को चुन सकेंगे। वित्त मंत्रालय से संबद्ध पीएफआरडीए पहले से नई पेंशन स्कीम की जिम्मेदारी संभाल रहा है, जिसके पास पूरा डाटा है कि कितने कर्मचारी नई पेंशन स्कीम का लाभ ले रहे हैं और नई पेंशन स्कीम आने के बाद से कितने कर्मचारियों ने सेवानिवृत्त ली है। उन्हें सरकार की तरफ से एकमुश्त कितना भुगतान सेवानिवृत्त पर किया गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने एकीकृत पेंशन स्कीम (यूपीएस) लाकर कर्मचारियों के सारे गिले शिकवे दूर कर दिए है। साथ ही उन्होंने विपक्ष से भी एक बड़ा मुद्दा छीन लिया है, जिसे लेकर उसने लोकसभा चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया था। सरकार के इस फैसले का भाजपा को आने वाले चार विधानसभा चुनाव में बड़ा लाभ मिल सकता है। भाजपा अपने विरोधियों से लड़ाई में लगातार बड़े फैसले लेकर उनसे आगे निकल रही है और विपक्ष के बड़े मुद्दों को लेकर वह उनको ध्वस्त करने में भी जुटी हुई है। इसके लिए उसे आगे बढ़ना पड़े या पीछे हटना पड़े।
एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) पर कैबिनेट की मुहर लगाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार शाम संयुक्त परामर्शदात्री तंत्र (जेसीएम) के प्रतिनिधिमंडल से अपने आवास पर मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि प्रधानमंत्री ने जेसीएम की लगभग सभी मांगों को मान लिया है। भारत में पहली बार ऐसा हुआ कि प्रधानमंत्री ने जेसीएम को बुलाकर उनसे चर्चा की। जेसीएम 32 लाख केंद्रीय कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है।