• मां गंगा बहता हुआ भगवान है – स्वामी गोपालानंद सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ग्राम पंचायत ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर स्थित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 114 वे दिवस पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा की आज महान लेखक मुंशी प्रेमचन्द का जन्मदिन है। आपके द्वारा लिखित कई उपन्यास विश्व प्रसिद्ध रहे। आपके उपन्यासों ने समाज को एक नई दिशा प्रदान की।
स्वामीजी ने मां गंगा जी कि महिमा बताते हुए कहा कि मां गंगा बहता हुआ भगवान है। मां गंगा के किनारे बैठ कर भक्ति करने से मन निर्मल हो जाता है। जो कर्म करना चाहते है उन्हे गंगा जी से सीखने की आवश्यकता है। जब से भागीरथ उन्हें धरती पर लाए तब से वह बिना थके कल कल कर बह रही है। जीवन में बिना रुके लगातार कार्य करने की आवश्यकता रहती है। तभी सफलता मिलती है। भगवती गंगा मैया को याद करने मात्र से भगवान महादेव एवं गोमाता बहुत प्रसन्न होते हैं क्योंकि शिवजी की जटा में से मां गंगा गोमुख के माध्यम से धरती पर आई है और पुनः गोमुख में ही समाई है ।भगवती गंगा मैया की बहती कल कल धारा ज्ञान मार्गी को संदेश देती है कि अपने ज्ञान को कल कल बहाएं। भक्ति मार्गी हो तो पल पल पल ईश्वर का चिन्तन करें और कर्मयोगी हो तो फिर चल चल चल बस चलता ही रहें का पाठ सिखाती है गंगा मैया।
गंगा के किनारे करोड़ों बीघा गोचर भूमि रहती थीलेकिन समय के साथ अतिक्रमण होता गया। यह चिंता का विषय है
स्वामीजी ने आगे बताया कि गो सेवा के क्षेत्र में लगने वालो को हमेशा कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। कई बार गोसेवक को इतनी समस्या आती है की मन करता है इस कार्य को छोड़ देवे। घर वालों के ताने, आर्थिक समस्या, कर्मचारियों की तकलीफे आदि आदि। एक बात ध्यान रखें *जिनती बड़ी समस्या होती है उसका परिणाम उतना ही सुखद होता है। हरि का मुख में सुमिरन और हाथ में गोसेवा हो तो प्रभु से मिलन को कोई नहीं रोक सकता है। गोसेवा से इतना आनंद मिलता है यह एक बार आ जाता है तो वापस जाता नही है।
स्वामीजी ने कथा में आगे कहा की विद्यालय में अध्यापक विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं। वर्षो बाद भी अध्यापक अध्यापक ही रहते है लेकिन उनके द्वारा पढ़े हुवे बच्चे जिन्होंने अध्यापक द्वारा बताए गए दिशा निर्देशों का पालन किया, मन लगा कर अध्ययन किया वह कलेक्टर तक बना है।
जिस विद्यार्थी ने अध्यापक की कमियों को देखा वह आज भी धक्के खा रहा होता है।
ठीक इसी प्रकार अध्यात्म जीवन में गुरु की बातो का अनुसरण करने वालो को भगवान के दर्शन भी हुवे है, ओर जो गुरु निंदा का महापाप करते है वह आज भी भटक रहे हैं।गोमाता की सेवा करने वाला यदि किसी से द्वेष करता है, छल कपट करता है, हर किसी से नफरत करता है तो पक्का माने उसकी गोसेवा निष्काम नही है। जो सही अर्थों में गोसेवा करता है उसके मन में सभी के प्रति प्रेम रहता है।
114 वे दिवस पर जटाशंकर आश्रम खारपा (राजगढ़) से स्वामी रामाश्रम महाराज एवं अतिथि के रूप में नलखेड़ा के वरिष्ठ समाजसेवी राजमल जैन, पारसमल सकलेचा, हेमराज शर्मा, रखबचन्द गोयल एवं हरिनारायण रावल ने भाग लिया।श्रावण मास की एकादशी के पुण्य पर्व पर शिवसहस्त्राहुती यज्ञ, पार्थिव शिव लिंग पूजन एवं रुद्राभिषेक एकादश विद्वान विप्रजनों ने किया।
114 वे दिवस पर चुनरी यात्रा सुसनेर नगर से
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 114 वें दिवस पर सुसनेर नगर से श्री कृष्णा महिला मण्डल की और से एवं सुसनेर तहसील के लोंगड़ी ग्राम के पंच पटेल मोरसिंह चौहान, भेरूसिंह चौहान, गोवर्धनसिंह चौहान, तोफानसिंह चौहान, अंशुल शर्मा, जसवंतसिंह चौहान, बालूसिंह चौहान, जीवनसिंह चौहान, महेश विश्वकर्मा, कमलसिंह विश्वकर्मा, बालूसिंह तंवर, श्याम बाबू, गोविन्द विश्वकर्मा एवं सुसनेर के तेल व्यवसायी मोहनलाल राठौर के साथ सैकडों मातृशक्ति, युवा, वृद्धजनों ने अपने नगर, ग्राम के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।