रिपोर्टर :-आलम ख़ान
सिकन्दरपुर, बलिया। सिकन्दरपुर में नहरों की सिल्ट सफाई के नाम पर सरकार हर साल लाखों रुपए खर्च कर रही है। ताकि किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए परेशान न होना पड़े। लेकिन सरकार के मंसूबों पर विभागीय अधिकारी और ठेकेदार कैसे पानी फेरते हैं, यह स्थानीय चौराहा स्थित नहर को देखा जा सकता है।
तुर्तीपार पम्प कैनाल से निकली यह नहर देवकली, सिकन्दरपुर होते हुए हरदिया तक चली जाती है। कई दशक पूर्व बनाई गई, यह नहर कभी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का आधार हुआ करती थी, पर अब ऐसा नहीं है। इसके इर्दगिर्द की भूमि और पटरी का अधिकांश हिस्सा जहां अवैध अतिक्रमण का शिकार है तो दूसरी ओर साफ-सफाई के आभाव में यह पूर्णतः नाले का रूप ले चुकी है। खास कर बस स्टैंड चौराहा के पूरब और पश्चिम करीब एक किमी की स्थिति बेहद खराब है। यदि यही स्थिति रही तो इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
एक तरह नहर कूड़ा करकट से पटी पड़ी है, तो दूसरी ओर इससे निकलने वाली दुर्गन्ध ने लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है। इसके बावजूद विभाग नहर की साफ-सफाई को लेकर बेखबर नजर आ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि साफ-सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है। कभी सफाई हुई भी तो उसका सारा मलबा नहर के किनारे ही छोड़ दिया जाता है, जिससे स्थिति और विकराल हो जाती है। साथ ही सिल्ट के कारण सीजन में नहर का ओवरफ्लो करना आम बात है। जिससे आस पास के दुकानदारों को काफी दिक्कत भी होती है।
बता दें कि, तहसील क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था काफी कुछ तुर्तीपार पम्प कैनाल पर निर्भर करती है। करीब 52 सौ हेक्टेयर भूमि की सिंचाई सिकन्दरपुर, पूर, पंदह के अलावा रुद्रवार, हुसैनपुर व बघुड़ी माइनर समेत एक दर्जन रजवाहों पर निर्भर है। विभाग की निद्रा नहीं टूट रही।