क्या सावन के महीने में, शारीरिक संबंध बनाना चाहिए…?
सावन का महीना हिंदू पञ्चांग के मुताबिक वर्ष का पांचवां महीना होता है। जिसमें शिव भक्त जहां देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक कर शिव को प्रसन्न करने का हर यत्न प्रयास करते हैं।सावन माह को एक त्योहार के रूप में भी महत्व दिया गया है।बहुतायत लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि, क्या सावन के महीने में शारीरिक संबंध बनाना चाहिए या नहीं…?
सावन माह में शारीरिक संबंध बनाना उचित है या अनुचित…?
सावन में शारीरिक संबंध बनाना कहीं भारी न पड़ जाए।
सावन माह में शारीरिक संबंध बनाने से कहीं महादेव कुपित न हो जाएं…आदि तमाम तरह के सवाल लोगों के मन में उठता रहता है,तो आइए एक छोटी सी जानकारी हम प्रस्तुत करते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रावण (सावन) मास में शारीरिक संबंध बनाने से,जुड़े नियमों के बारे में अच्छी तरह जानना चाहिए,उसके बाद ही कोई निर्णय लेना उचित होगा।
सावन में शारीरिक संबंध बनाना सही है या गलत…?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सनातन हिन्दू धर्म में सावन के महीने को बेहद पवित्र एवं खास महीना माना जाता है।
इस दौरान देवाधिदेव महादेव शिव जी,माता पार्वती जी और शिव के विग्रह रूप शिवलिंग की आराधना एवं पूजा करने से शिव भक्तों को महादेव का विशेष कृपा प्राप्त होता है।
हालांकि इस दौरान हिंदू धर्म में बहुत कुछ को करने की प्रबल मनाही बताया गया है।
विशेषतौर से उस व्यक्ति (महिला – पुरुष) को सावन माह के प्रत्येक नियमों का पालन करना चाहिए, जो साधक श्रावण व्रत रखता है।
हमारे शास्त्रों में सावन के महीने में शारीरिक संबंध बनाने को लेकर कई नियम बताए गए हैं।
तो आइए जानते हैं कि,
सावन में संबंध बनाने चाहिए या नहीं…?
भगवान शिव को समर्पित सावन का पूरा महीना बेहद पवित्र होता है।
इस दौरान साधक शिव भक्ति में पूरी तरह से लीन होता है और विभिन्न तरह के धार्मिक अनुष्ठानों एवं धार्मिक कार्यों को अपनाता है। कुछ लोग तो सावन के प्रत्येक सोमवार,उसके साथ मंगला गौरी का या श्रावण माह के हर एक दिन उपवास रखते हैं और नित्य पूजा-पाठ करते रहते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के पूर्व या उसके बाद या उस दौरान शारीरिक संबंध (संभोग) बनाने की पूरी तरह से मनाही होती है। चाहें आप सावन के प्रत्येक सोमवार,या मंगला गौरी या प्रत्येक दिन का उपवास या व्रत रख रहे हैं या सावन में केवल पूजा ही कर रहे हैं, तो तब भी आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है।
अगर आप अपनी इंद्रियों पर काबू नहीं पाते हैं,और शारीरिक संबंध बनाते हैं तो निश्चित ही आपको पाप का भागी बनना पड़ेगा।इसके अलावा आपका व्रत,उपवास या पूजा भी खण्डित हो जाएगा।
क्या है धार्मिक मान्यता…?
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कामदेव को प्रेम और काम क्रीड़ा का देवता माना जाता है।
वहीं शिव जी को विश्वकल्याण का देवता और संहारक माना गया है। कामदेव ने सावन मास के दौरान ही देवाधिदेव महादेव शिव जी पर अपना बाण चलाया था,जिसके पश्चात क्रोधित होकर महादेव शिव ने कामदेव को उसी वक्त अपनी तीसरी नेत्र से जला कर भस्म कर दिया था।
इस कारण सावन में शारीरिक संबंध बनाने से शिव क्रोधित होते हैं और साधक को पाप लगता है।
कब-कब नहीं बनाने चाहिए शारीरिक संबंध…?
सनातन धर्म के अनुसार,वर्ष के पांचवें माह यानी सावन माह के अलावा अमावस्या तिथि,चतुर्थी तिथि,पूर्णिमा तिथि,अष्टमी तिथि,एकादशी एवं रविवार,श्राद्ध पक्ष,संक्रांति व्रत और शारदीय तथा चैत्र नवरात्रि के 9 दिन के अलावा गुप्त नवरात्रि में भी महिला – पुरुष को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए।
अगर आप ऐसा करते हैं तो,निश्चित ही आपको पाप लग सकता है, और अपने आराध्य – ईष्ट देवी-देवताओं के क्रोध का भी सामना करना पड़ सकता है।