रिपोर्टर देवीनाथ लोखंडे
जिला बैतूल
कुकुरमुत्ते की तरह जिले भर में अपनी जड़ फैला चुके हैं झोलाछाप छाप डॉक्टर
सीएमओ,बीएमओ,एसडीएम को नही हैं कोई सरोकार
खबर बैतूल जिले भर के लगभग सभी जनपद में झोलाछाप छाप डॉक्टरों की भरमार हो गई हैं, ग्रामीणों का हाल बेहाल हैं, मौसमी बीमारी के चलते लोंग शासन के अस्पतालों में जाते है, जिसमे ज्यादातर डॉक्टर नर्स हॉस्पिटल से नदारत रहते हैं या फिर ऐसे लोग रहते हैं जो महंगी 2 दवाई का प्रिस्क्रिप्शन लिख कर उनके सेटिंग वाले मेडिकलो से ही महंगी 2 दवाई मंगवाते हैं। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के गरीब मरीज मजबूर होकर झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराने मजबूर हैं, जिसके द्वारा हरी पीली गोली देकर मोटी रकम वसूली जा रही हैं। जैसे कोलगांव,बेला ,सारणी
और आसपास के ग्रामीण अंचलों में गैर पंजीकृत डॉक्टरों (झोलाछाप)व अस्पतालों की भरमार हो गई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है इनमें कई डॉक्टर जो अवैध रूप से घर पर चिकित्सकीय कार्य कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के नाक के नीचे अवैध व्यवसाय कर जन जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई मरीज की मृत्यु तक हो जाती है,लेकिन जानकारी के अभाव में किसी के खिलाफ कोई कर्यवाही नही होती है। दूसरी ओर जागरूकता की कमी,गरीबी और अशिक्षा की वजह से शिकायत भी दर्ज नहीं कराया जाता है। लोगों का कहना है कि कई पीडि़त परिवार को आज तक न्याय नहीं मिल पाया। अशिक्षा आर्थिक अभाव,ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और प्रशासनिक लचर व्यवस्था की वजह से झोलाछाप चिकित्सकों के मकडज़ाल में समूचा जिला फंस गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने की वजह से ये झोलाछाप चिकित्सक सस्ते उपचार के नाम पर मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ करते हैं। कई मर्तबा देखा गया कि झोलाछाप डाक्टरों के इलाज से मरीजों की हालात बिगड़ जाती है या किसी का इंजेक्शन पक जाता है या फिर किसी को दवाएं नुकसान कर जाती है। ऐसे में मरीज को शहर जाकर सेटिंग वाले निजी अस्पताल में भेज दिया जाता है जहां ठीक हो गया तो या मौत हो जाने पर भी झोलाछाप डॉक्टर की कमीशन जोड़ कर भारी भरकम बिल थमा दिया जाता है। गरीब दोनों तरफ से लुटता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के ग्राम कोलगांव के झोला छाप डॉक्टर के इलाज से एक गरीब परिवार का इकलौता पुत्र की जिंदगी लील ली जिस पुत्र का पिता अपने पुत्र के गम में आज एक पखवाड़े से बेटे की याद में आसू बहा रहा है आज उसके बुढ़ापे का सहारा छीन गया है डॉक्टर की राजनीतिक पकड़ और रसूख दार होने पर एक गरीब और मजबूर पिता अपनी सुध बुध खो बैठा है ,