सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
स्वयं और समाज के दस नियमों से होगा मानव जीवन का कल्याण जानिए योग एक्सपर्ट ओम कालवा के साथ।
श्रीडूंगरगढ़। कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योग एक्सपर्ट ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 60 वां अंक प्रकाशित करते हुए स्वयं और समाज के दस नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। यम और नियम द्वारा मनुष्य के मन की बुराइयां जैसे राग-द्वेष, हर्ष-शोक, जीवन-मृत्यु, काम-क्रोध आदि दूर की जाती हैं और इस प्रकार निर्मल हुआ मन परमेश्वर से एकाकार हो जाता है।
1.यम(अहिंसासत्यास्तेयब्रह्मचर्यापरिग्रहा यमाः)वह बातें जिनका पालन करने से व्यक्ति सुखी जीवन व्यतीत करता है,यम कहलाता है। यम के पांच भेद किए गये हैं। अहिंसा (सारे प्राणियों के हित के लिए मन वचन तथा कर्म द्वारा पवित्र मनोवृतियों से कार्य करना।) सत्य ( जैसा देखा, सुना, पढ़ा एवं लिखा वैसा ही मन व वाणी में रखना) अस्तेय (दूसरों के पदार्थ को बिना पूछे न लेना वाणी से लेने के लिए न कहना व मन में भी लेने की इच्छा न रखना) ब्रह्मचर्य (मन वचन व शरीर के गुप्त इंद्रिय(जननेंद्रिय) का संयम रखना) अपरिग्रह(आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह न करना)।
2.नियम(शौचसंतोषतपः स्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि नियमतः) आचरण संबंधित बातों के पालन को नियम कहते हैं। पातंजल योगदर्शन ने नियम के पांच भेद किए हैं। शौच (शरीर को बाहर, भीतर से शुद्ध एवं पवित्र रखना),संतोष (अपनी योग्यता से पूर्ण पुरुषार्थ करने पर प्राप्त फल में प्रसन्न रहना),तप(सुख-दुख, भूख-प्यास,सर्दी गर्मी,मान अपमान आदि द्वन्दों को शांति व धैर्य से सहन करना),स्वाध्याय (वेद -उपनिषद आदि शास्त्रों का अध्ययन करना तथा प्रणव ओम गायत्री मंत्र आदि का जप करना) ईश्वर प्रणिधान(मन,वाणी व शरीर से करने वाले समस्त कर्मों एवं उनके फलों को ईश्वर के प्रति समर्पित करना)।
निवेदन
-ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।