न्यूज रिपोर्टर नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
स्वयं को परमात्मा के साथ एकीकृत करने का मार्ग ज्ञान योग जानिए योग एक्सपर्ट ओम कालवा के साथ।
श्रीडूंगरगढ़। कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योग एक्सपर्ट ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 59 वां अंक प्रकाशित करते हुए ज्ञान योग के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। ज्ञान योग (Gyan Yoga) संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “ज्ञान का योग” या “ज्ञान मार्ग”। यह एक प्रकार का योग है जिसमें मन को ज्ञान और विचारों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। ज्ञान योग वेदांत दर्शन के अनुसार स्वयं को परमात्मा के साथ एकीकृत करने का मार्ग माना जाता है। ज्ञानयोग को बुद्धियोग भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर बुद्धि का अर्थ है संख्या। अत: जिससे आत्मतत्त्व का दर्शन हो वह सांख्ययोग है। ज्ञान योग की अवधारणा का वर्णन सबसे पहले भगवद् गीता में किया गया था, जो एक प्राचीन हिंदू ग्रंथ है जो दुख से मुक्ति पर केंद्रित है। ज्ञान योग के तीन मुख्य अभ्यास उपनिषदों में, इन तीन अभ्यासों को श्रवण (सुनना), मनन (चिंतन) और निदिध्यासन (ध्यान) के रूप में परिभाषित किया गया है। वे आत्म-साक्षात्कार या आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाते हैं। अष्टांग योग में, अंतरंग साधना योग के आठ अंगों वाले मार्ग के अंतिम तीन अंग हैं, और इन्हें आत्म-साक्षात्कार के लिए आंतरिक सहायक माना जाता है। ये तीन अंग हैं धारणा (एकाग्रता), ध्यान (ध्यान) और समाधि (एकता)। ज्ञान योग का उद्देश्य कोई व्यक्ति स्वयं के ज्ञान और समझ के बिना स्वयं की एकता प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए, इस आत्म-ज्ञान को प्राप्त करने के लिए, ज्ञान योग महत्वपूर्ण है। इसमें ज्ञान प्राप्त करना, उसका प्रसंस्करण और विश्लेषण करना, उसे समझना और इस प्रक्रिया में स्वयं से अहंकार को अलग करना शामिल है।
निवेदन
-ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।