रिपोर्टर देवीनाथ लोखंडे-
जिला। बैतूल
दुल्हन सा सजा पवित्र ताप्ती सरोवर,
कल मनाया जाएगा मां ताप्ती का भव्य जन्म उत्सव।
इस सृष्टि की प्रथम नदी जो धरती पर ताप का हरण करने अवतरित हुई जिसे हम आदि गंगा सूर्यपुत्री मां ताप्ती के नाम से जानते है,कहा जाता है कि जो पुण्य गंगा जी के स्नान से नर्मदा जी पान से वही पुण्य मां ताप्ती के स्मरण मात्र से मिल जाता है।
मां ताप्ती का जन्म उत्सव आषाढ़ सप्तमी को प्रतिवर्ष बड़े हो हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।
मां ताप्ती का उद्गम सतपुड़ा की सुरम्य वादी में बसे बैतूल जिले के मुलताई से हुआ जिसका विलय अरब सागर में होता है।
ताप्ती नदी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात तीन राज्यों से होकर लगभग 724 किलो मीटर की दूरी तय कर समुंद्र में मिल जाती है।
ताप्ती नदी को भारत वर्ष सहित मध्यप्रदेश की प्रमुख नदियों में गिना जाता है।
ताप्ती अपने वेग के विपरीत पश्चिम दिशा में सर्पआकार में बहती है।
मुलताई में ताप्ती का उद्गम स्थल होने से आसपास के लगभग 125 ग्रामों सहित ताप्ती के समस्त तटो पर ताप्ती का जन्म उत्सव मनाया जाता है।
मान्यता अनुसार मां ताप्ती सूर्य छाया की पुत्री है,यम और शनि ताप्ती के भाई तो वही यमुना जी ताप्ती की बड़ी बहन है।
पुराणों के अनुसार
राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने विशाल यज्ञ हवन करवाया था, जिससे कि पृथ्वी पर मौजूद समस्त सांप भीषण ताप से जलने लगे थे।
सांपों को जलता हुआ देख जन्मेजय के मन में प्रायश्चित करने का भाव उत्पन्न हुआ और उन्होंने मां ताप्ती की आराधना की थी।
जिससे प्रसन्न होकर मां ताप्ती ने धरती लोक के ताप का हरण कर सभी सांपों को मुक्ति दिलाई थी, तभी से मां ताप्ती सर्प वाहिनी भी कहलाई।
एक और मान्यता है जो मां ताप्ती की महिमा बताती है कि ताप्ती जल में अस्थि कलश और बाल भी गल जाते है।
मां ताप्ती जन्म उत्सव पर नगर में लाखो श्रद्धालु भक्त आते है जो बड़े ही भक्ति भाव से मां ताप्ती की पूजा अर्चना कर दुग्ध अभिषेक और दीप दान भी करते है।
प्रतिवर्ष अनुसार आषाढ़ सप्तमी ताप्ती जन्म उत्सव के अवसर पर पवित्र ताप्ती सरोवर को दुल्हन की तरह सजाया गया है।
वही ताप्ती जन्म उत्सव पर सरकार द्वारा स्थानीय अवकाश भी घोषित किया गया है,जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मां ताप्ती के जन्म उत्सव में शामिल होते हैं।