• सैनिक की वीरता के नाम कवि चिंतक शिवसिंह की कलम से वीर सैनिकों को सलाम।
कविता – वीर सैनिक
हिंद देश के हम सैनिक हैं , जिस्म हमारा फौलादी है । वीरता की रेखाओं से भरी पड़ी , देखो हमारी गादी है।।प्रेम के हम पुजारी हैं , प्रेम ही हमें भाता है । पर यदि लड़ने की बात की, तो लड़ना भी हमें आता है ।।
शांति के हम दूत हैं, शांति ही हमें अच्छी लगती है । पर यदि हमें छेड़ दिया , तो बैरी सेना प्राण लेकर भगती है।।
जिस धरा में हमने जन्म लिया है, उसी की आन- मान में जियेंगें। आंख यदि किसी ने इस पर उठाई, तो लहू उसका पियेंंगें।।
बैरी सेना को भूजनें में , आगे ही आगे कदम बढ़ाएंगे। गोली यदि खुद पर आन पड़ी , तो वीरगति वही पाएंगे ।।
हम नाहरों की कोई मेंन नोचे, ऐसी किसी में औकाद नहीं । दुनियां में कोई मुल्क न ऐसा , जो हमारी वीरता की देता दाद नहीं ।।
धरती माता का कर्ज है हम पर ,उसको हम चुकाएंगे। माता ने जब चाहा , तो खून की नदियां बहायेगें।
भारत माता में जन्म लिया है, यह प्राणों से भी बढ़कर प्यारी है ।इसकी रक्षा हम करेंगे, यह हम सब की जिम्मेदारी है।।
बैरियों में वह सामर्थ्य नहीं ,जो माता का मस्तक का पा ले । ऐसा चना न कोई बैरियार, जो भार ही फोड़ डालें।।
वह राणा -शिवा हम ही हैं, जो मुगलों का खून बहाए थे। हमने भी वही काम किया जो सीमा पर चढ़कर आए थे।।
जिस भारत माता ने हमें , सर्व मंगल व फूलों का सेज दिया ।उसकी रक्षा में मैने, बैरियों को यमपुरी भेज दिया ।।
सीमा पर मूर्ति रूप में देखो , हम ही तो हिंद हैं। हमारे ऊपर यदि चढ़ आये, तो समझो हम ही तो जिंद हैं ।।
जब से हम सैनिक हुए , देश से प्रीत हमारी गहरी है। इसकी रक्षा को हम , देश के हम सजग प्रहरी हैं।।हम वीर सैनिक हैं , और भारत माता के भी भक्त हैं। पर सीमा की निगरानी में, हम रहते बहुत सख्त हैं।।