न्यूज रिपोर्टर नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है !पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं!
🙏जय श्री कृष्णा🙏
आज का पंचांग
*दिनाँक:- 10/06/2024, सोमवार* चतुर्थी, शुक्ल पक्ष, ज्येष्ठ “””””””(समाप्ति काल)
तिथि————- चतुर्थी 16:14:20 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——————– पुष्य 21:38:35
योग——————– ध्रुव 16:46:07
करण————— विष्टि भद्र 16:14:20
करण————– बव 28:45:28
वार———————– सोमवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन———————- उत्तरायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) ————— -कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1948
कलि संवत—————– 5125
सूर्योदय——————— 05:24:32
सूर्यास्त——————— 19:13:07
दिन काल—————— 13:48:34
रात्री काल—————— 10:11:26
चंद्रोदय——————– 08:40:27
चंद्रास्त——————— 22:49:47
लग्न——— वृषभ 25°25′, 55°25′
सूर्य नक्षत्र——————- मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————– रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
हे—- पुष्य 08:53:47
हो—- पुष्य 15:14:54
ड—- पुष्य 21:38:35
डी—- आश्लेषा 28:04:48
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी, अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृषभ 24:10, मृगशिरा 1 वे
चन्द्र=कर्क 08:30 , पुष्य 2 हे
बुध =वृषभ 19:53′ रोहिणी 3 वी
शु क्र= वृषभ 26°05, मृगशिरा ‘ 2 वो
मंगल=मेष 06°30 ‘ अश्विनी ‘ 2 चे
गुरु=वृषभ 09°30 कृतिका , 4 ए
शनि=कुम्भ 24°00 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 18°15 रेवती , 1 दे
केतु=(व) कन्या 18°15 हस्त , 3 ण
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 07:08 – 08:52 अशुभ
यम घंटा 10:35 – 12:19 अशुभ
गुली काल 14:02 – 15: 46अशुभ
अभिजित 11:51 – 12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 12:46 – 13:42 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:32 – 16:27 अशुभ
प्रदोष 19:13 – 21:17 शुभ
🚩गंड मूल 21:39 – अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत 05:25 – 07:08 शुभ
काल 07:08 – 08:52 अशुभ
शुभ 08:52 – 10:35 शुभ
रोग 10:35 – 12:19 अशुभ
उद्वेग 12:19 – 14:02 अशुभ
चर 14:02 – 15:46 शुभ
लाभ 15:46 – 17:30 शुभ
अमृत 17:30 – 19:13 शुभ
🚩चोघडिया, रात
चर 19:13 – 20:30 शुभ
रोग 20:30 – 21:46 अशुभ
काल 21:46 – 23:02 अशुभ
लाभ 23:02 – 24:19* शुभ
उद्वेग 24:19* – 25:35* अशुभ
शुभ 25:35* – 26:52* शुभ
अमृत 26:52* – 28:08* शुभ
चर 28:08* – 29:25* शुभ
💮होरा, दिन
चन्द्र 05:25 – 06:34
शनि 06:34 – 07:43
बृहस्पति 07:43 – 08:52
मंगल 08:52 – 10:01
सूर्य 10:01 – 11:10
शुक्र 11:10 – 12:19
बुध 12:19 – 13:28
चन्द्र 13:28 – 14:37
शनि 14:37 – 15:46
बृहस्पति 15:46 – 16:55
मंगल 16:55 – 18:04
सूर्य 18:04 – 19:13
🚩होरा, रात
शुक्र 19:13 – 20:04
बुध 20:04 – 20:55
चन्द्र 20:55 – 21:46
शनि 21:46 – 22:37
बृहस्पति 22:37 – 23:28
मंगल 23:28 – 24:19
सूर्य 24:19* – 25:10
शुक्र 25:10* – 26:01
बुध 26:01* – 26:52
चन्द्र 26:52* – 27:43
शनि 27:43* – 28:34
बृहस्पति 28:34* – 29:25
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृषभ > 03:02 से 04:40 तक
मिथुन > 04:40 से 07:20 तक
कर्क > 07:20 से 09:08 तक
सिंह > 09:08 से 11:48 तक
कन्या > 11:48 से 13:54 तक
तुला > 13:54 से 15: 56 तक
वृश्चिक > 15:56 से 18:28 तक
धनु > 18:28 से 20:18 तक
मकर > 20:18 से 22:30 तक
कुम्भ > 22:30 से 12:50 तक
मीन > 12:50 से 02:20 तक
मेष > 02:20 से 03:00 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें।
लाभ में व्यापार करें।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें।
*💮दिशा शूल ज्ञान—————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते हैl
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु चl*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय:ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं।।*
*महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत्।।*
4 + 2 + 1 = 7 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक हैl
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
4 + 4 + 5 = 13 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
सांय 1614 तक समाप्त
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*सर्वार्थ सिद्धि योग 2139 तक
*उमा चतुर्थी
*विनायक चतुर्थी
*गुरु अर्जुन देव शहीद दिवस
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
जीवन्तं मृतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितम्।
मृतो धर्मेण संतुक्तो दीर्घजीवी न संशयः।।
।। चा o नी o।।
मेरी नजरो में वह आदमी मृत है जो जीते जी धर्म का पालन नहीं करता. लेकिन जो धर्म पालन में अपने प्राण दे देता है वह मरने के बाद भी बेशक लम्बा जीता है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: आत्मसंयम योग अo-06
एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषतः।,
त्वदन्यः संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते॥,
हे श्रीकृष्ण! मेरे इस संशय को सम्पूर्ण रूप से छेदन करने के लिए आप ही योग्य हैं क्योंकि आपके सिवा दूसरा इस संशय का छेदन करने वाला मिलना संभव नहीं है॥,39॥,
💮 🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत।।
🐏मेष👉व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय बढ़ेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अपने व्यसनों पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करना चाहिए। व्यापार में कर्मचारियों पर अधिक विश्वास न करें। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे।
🐂वृष👉भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। अपनी बुद्धिमत्ता से आप सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे। विकास की योजनाएं बनेंगी। निजीजनों में असंतोष हो सकता है। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।
👫मिथुन👉धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। भूमि, आवास की समस्या रह सकती है। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेगा। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। संतान से कष्ट रहेगा। मेहनत का फल मिलेगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। थकान रहेगी।
🦀कर्क👉वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य पर व्यय होगा। विवाद न करें। यात्रा में अपनी वस्तुओं को संभालकर रखें। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। अधीनस्थों की ओर ध्यान दें। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।
🐅सिंह👉दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। थकान रहेगी। जोखिम न लें। विवाद से बचें। राजकीय सहयोग मिलेगा एवं इस क्षेत्र के व्यक्तियों से संबंध बढ़ेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। वाणी पर संयम रखें।
🙍♀️कन्या👉किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कामकाज में धैर्य रखने से सफलता मिल सकेगी। योजनाएं फलीभूत होंगी। मित्रों में आपका वर्चस्व बढ़ेगा। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें।
⚖️तुला👉भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। जोखिम न लें। व्यावसायिक चिंता दूर हो सकेगी। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएंगे। योजनाएं फलीभूत होंगी।
🦂वृश्चिक👉संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। धनार्जन होगा। समाज में प्रसिद्धि के कारण सम्मान में बढ़ौत्री होगी। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेंगे। परिवार की समस्याओं को अनदेखा न करें।
🏹धनु👉समय ठीक नहीं है। वाहन, मशीनरी व अग्नि के प्रयोग में सावधानी रखें। लेन-देन में सावधानी रखें। विवाद न करें। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। सकारात्मक विचारों के कारण प्रगति के योग आएंगे। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाए रखें।
🐊मकर👉प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय काम बनेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। चिंता रहेगी। जोखिम न उठाएं। संतान से मदद मिलेगी। आर्थिक स्थिति में प्रगति की संभावना है। अचानक धन की प्राप्ति के योग हैं। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें।
🍯कुंभ👉नए अनुबंध होंगे। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। कार्य की प्रवृत्ति में यथार्थता व व्यावहारिकता का समावेश आवश्यक है। व्यापार में नई योजनाओं पर कार्य नहीं होंगे। जीवनसाथी का ध्यान रखें।
🐟मीन👉धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बुद्धि एवं तर्क से कार्य में सफलता के योग बनेंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। अतः उसका परित्याग करें। व्यापार लाभप्रद रहेगा।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
भगवान शिव ने कैलाश को ही अपना निवास स्थान क्यों चुना?
देवाधिदेव महादेव शिव के दर्शन और जीवन की कहानी दुनिया के हर धर्म और उनके ग्रंथों में अलग-अलग रूपों में विद्यमान है। आज से 15 से 20 हजार वर्ष पूर्व वराह काल की शुरुआत में जब देवी-देवताओं ने धरती पर कदम रखे थे, तब उस काल में धरती हिमयुग की चपेट में थी। इस दौरान भगवान शकर ने धरती के केंद्र कैलाश को अपना निवास स्थान बनाया। भगवान विष्णु ने समुद्र को और ब्रह्मा ने नदी के किनारे को अपना स्थान बनाया था। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। साथ ही इस पर्वत को रहस्यमयी, गुप्त और पवित्र माना गया है। इसलिए इसकी परिक्रमा करना शुभ और कल्याणकारी मानी गई है। हिंदू धर्म में इस तीर्थ स्थान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। कैलाश पर्वत की ऊंचाई दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत एवरेस्ट से लगभग दो हजार दो सौ मीटर कम है। फिर भी ऐसा क्यों है कि माउंट एवरेस्ट पर लोग सात हजार से अधिक बार चढ़ाई कर चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत अब भी अजेय है। भगवान शिव के घर कैलाश पर्वत से जुड़े ऐसे कई रहस्य हैं जिन पर बड़े-बड़े वैज्ञानिकों द्वारा शोध किए जा रह हैं, लेकिन ऋषि-मुनियों के अनुसार उस भोले के रहस्य को भांप पाना किसी साधारण मनुष्य के वश की बात नहीं है।
आगे जानते हैं कि कैलाश पर्वत का क्या रहस्य है?
कैलाश पर्वत के बारे में तिब्बत मंदिरों के धर्म गुरु बताते हैं कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है। यह शक्तियां कोई आम नहीं बल्कि अद्भुत हैं। कहा जाता है कि आज भी कुछ तपस्वी इन शक्तियों के माध्यम से आध्यात्मिक गुरुओं के साथ साक्षात्कार करते हैं। कैलाश पर समुद्र तल से लगभग 22 जहर फीट ऊंचा है और हिमालय के उत्तरी क्षेत्र तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है इसलिए कैलाश पर्वत चीन में आता है।
जानकारों के अनुसार कैलाश पर्वत के महत्व को ऊंचाई से नहीं बल्कि इसके विशेष आकार की वजह से समझा जाता है। इस पर्वत का चौमुखी आकार दिशा बताने वाले कंपास के चार बिंदुओं जैसा माना जाता है। साथ ही कैलाश पर्वत से ही चार महान नदियों का उदय होता है। सतलज, सिंधु, ब्रह्मपुत्र और घाघरा ये चारों नदियां इस पूरे क्षेत्र को चार अलग-अलग हिस्सों में बांटती है। जो पूरे विश्व के चार भागों को दर्शाती है। कैलाश पर्वत का सबसे रहस्यमयी तथ्य ये है कि यहां समय तेजी से बीतता है। हालांकि वैज्ञानिक इसके पीछे के कारण को ढूंढने में असफल रहे हैं। इसके अलावा कैलाश पर्वत की चोटियों पर दो झील स्थित है। पहला मानसरोवर झील जो दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित शुद्ध पानी की सबसे बड़ी झील है। यह झील 320 वर्ग कीलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। साथ ही इस झील का आकार सूर्य के समान है। दूसरा राक्षस झील है जो दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। यह झील 225 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। इसका आकार चंद्रमा के समान है। इन्हीं सब कारणों से कैलाश पर्वत को अद्भुत और रहस्यमयी है। हरि ओम….