न्यूज चीफ रिपोर्टर रमाकान्त झंवर बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
श्रीडूंगरगढ़ नगर पालिका में पट्टे जारी करने में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पालिका ने आचार संहिता के दौरान ही पट्टे जारी कर दिए। इन पट्टों पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत की फोटो और जनवरी में निलंबित ईओ कुंदन देथा के हस्ताक्षर हैं। मिली खबर से पता चला की दो भाइयों के नाम कृषि से आवासीय भूमि में परिवर्तन के 10 फ्री होल्ड पट्टे जारी हुए हैं। कुल मिलाकर 14751 वर्ग मीटर जमीन का कनर्वजन किया गया है। इन पट्टों का श्रीडूंगरगढ़ उप पंजीयक कार्यालय में पंजीयन भी हो गया है। श्रीडूंगरगढ़ नगरपालिका के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी कुंदन देथा को स्वायत्त शासन विभाग ने 29 जनवरी, 2024 को निलंबित कर दिया था। पालिका ईओ के पद पर संदीप बिश्नोई को नियुक्त किया गया। उसके बावजूद 29 मार्च, 2024 को पट्टा क्रमांक 3730 से 3739 तक के पट्टे पूर्व ईओ के हस्ताक्षर से जारी कर दिए। आचार संहिता 16 मार्च को ही लग चुकी थी।
इसमें पालिकाध्यक्ष मानमल शर्मा, जेईएन भरत गौड़ और अकाउंटेंट रवि जोगी के भी हस्ताक्षर हैं। पट्टा क्रमांक 3730, 3733, 3734, 3736, 3737 जयप्रकाश पुत्र कोडामल झेडू के नाम से है। ये पट्टे उपपंजीयक कार्यालय में 7 मई, 2024 को पंजीकृत हुए। वहीं पट्टा क्रमांक 3731, 3732, 3735, 3738 और 3739 कैलाश पुत्र कोडामल झेडू के नाम से जारी हुए हैं, इनका पंजीयन 22 अप्रैल, 2024 को हुआ है। यह मामला सामने आने के बाद अब वर्तमान पालिका ईओ संदीप बिश्नोई ने श्रीडूंगरगढ़ भूमि शाखा के लिपिक सूरज भान से सभी पत्रावलियां मांगी हैं। उन्होंने रिकॉर्ड रूम को लॉक कर चाबी अपने पास रख ली है।
अब अन्य कर्मचारी की उपस्थिति में रिकॉर्ड रूम से पत्रावलियां निकाली जाएंगी। ईओ बिश्नोई ने कहा कि आचार संहिता में पट्टे किसने जारी किए, रसीदें कब काटी गई, निगम के खाते में रुपए कब जमा करवाए गए। इन सभी की जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी। आचार संहिता में कोई भी पट्टे जारी नहीं हो सकते थे, उनकी जानकारी के बगैर जारी हुए हैं। पूर्व ईओ बोले-हस्ताक्षर मेरे नहीं, पालिकाध्यक्ष ने कहा-सभी हस्ताक्षर सही, जनवरी में ही बन गए थे
जब इस मामले में पूर्व ईओ कुंदन दैथा ने कि 29 मार्च को जारी पट्टों पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए। वे 29 जनवरी को ही श्रीडूंगरगढ़ मुख्यालय से रिलीव हो गए। हस्ताक्षर किसने किए, उन्हें नहीं पता। वहीं इस संबंध में पालिकाध्यक्ष मानमल शर्मा ने कहा कि पट्टों पर सभी हस्ताक्षर वास्तविक लोगों के ही हैं।जनवरी में पट्टे तैयार हो गए थे, भूमि शाखा के लिपिक ने उन्हें डिस्पैच रजिस्टर में इंद्राज नहीं किया। उसने गलती की और मार्च में डिस्पैच रजिस्टर में इंद्राज किया, इस कारण ऐसा हुआ। सीएम के फोटो लगे पट्टों के बारे में कहा कि 31 मार्च तक सरकार ने छूट दी थी, सुमोटो योजना में भूमि का कनर्वजन किया था। पूर्व ईओ झूठ बोले रहे हैं कि उनके हस्ताक्षर नहीं है, जांच करवाई जा सकती है। आठ पट्टे ही जारी किए हैं।”मामला हमारे सामने अभी तक नहीं आया है। प्रथम सूचना के आधार पर यह सरासर आचार संहिता का उल्लंघन है। इस मामले की जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
-दुलीचंद मीणा, अति. जिला निर्वाचन अधिकारी नियमों को ताक पर रख बनाए पट्टे 16 मार्च को आचार संहिता लगी, 29 मार्च को जारी किए। नई सरकार ने पूर्व सीएम के फोटो लगे पट्टे बांटने पर रोक लगाई, वे ही जारी कर दिए। • वर्तमान ईओ को पता नहीं, निलंबित ईओ के हस्ताक्षर
से जारी कर दिए। सुमोटो नियम का गलत फायदा उठाया, दोनों आवेदकों के पास करीब ढाई-ढाई बीघा जमीन थी, यह आवासीय की बजाय 90ए के रूप में कनर्वट होनी चाहिए थी।