न्यूज रिपोर्टर मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
श्री डूंगरगढ़। कस्बे के योगाचार्य ओम प्रकाश कालवा ने जानकारी देते हुए बताया संतुलन के लिए बहुत ही शानदार योगासन है बकासन इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए कहा।
अर्थ-
पहले शब्द बक का अर्थ है बगुला (crane) पक्षी, जबकि दूसरे शब्द आसन का अर्थ है बैठना। यानि कि इसका शाब्दिक अर्थ होता है बगुले की तरह बैठना। वहीं इस आसन को काकासन भी कहा जाता है। काकासन शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। बकासन, जिसे क्रेन पोज़ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक मध्यवर्ती स्तर का योग आसन है जो क्रेन की मुद्रा जैसा दिखता है । इस मुद्रा में, हाथ फर्श पर होते हैं जबकि घुटने कंधे की ओर इशारा करते हुए हवा में लटकते हैं और पूरे शरीर का वजन सिर्फ दो हथेलियों पर होता है।
विधि-
-भीतरी घुटनों से लेकर भीतरी एड़ियों तक फैलाएँ। अपने भीतरी घुटनों और भीतरी एड़ियों को घुटनों से दूर फैलाएँ। अपनी ऊपरी पीठ को चौड़ा करें। नियंत्रण में, अपनी कोहनियों को फिर से मोड़ें और अपने सिर को हल्के से वापस फर्श पर रखें। और धीरे धीरे ऊपर उठे सन्तुलन बनाते हुए आसन में रूकें।
लाभ-
योग आसन का अभ्यास करके अपनी रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन और मूल शक्ति को बनाए रखें। बकासन (क्रेन स्थिति) जैसे योग आसन ऊपरी शरीर की ताकत के साथ-साथ मुख्य मांसपेशियों की ताकत में सुधार करने में सहायता करते हैं।
सावधानी-
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित व्यक्ति इस आसन को न करें।
ह्रदय रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को यह आसन नहीं करना चाहिए। कंधे में दर्द होने पर इस आसन को करना बंद कर दें।इस आसन को करने के लिए जल्दबाजी नही करनी चाहिए।