अंकुर कुमार पाण्डेय
रिपोर्ट सत्यार्थ न्युज वाराणसी
वाराणसी । सूरजेवाला मामले में 18 मई को होगी सुनवाई सुरजेवाला 24 वर्ष पुराने संवासिनी प्रकरण में कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में धरना प्रदर्शन व सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोपी है. इस मामले में आज एमपी/एमएलए कोर्ट में सुनावाई होनी थी, जो टल गई है.
वाराणसी। कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सूरजेवाला के खिलाफ केस की सुनवाई अब 18 मई को होगी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका सूचीबद्ध न होने की वजह से अदालत ने सुनवाई के लिए 18 मई का समय दिया है। दरअसल सूरजेवाला पर 24 साला पुराना केस है। कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में धरना-प्रदर्शन व सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप है। उनके खिलाफ वाराणसी के एमपी-एमएलए कोर्ट में मामला चल रहा है। सुनवाई होनी थी, जो टल गई वाराणसी जिले के एमपी/एमएलए कोर्ट में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के खिलाफ एक मामले में गुरुवार को होने वाली सुनावाई टल गई है. अब इस मामले में सुनवाई 18 मई को होगी. सुरजेवाला 24 वर्ष पुराने संवासिनी प्रकरण में कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में धरना प्रदर्शन व सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोपी है.वहीं, सुरजेवाला के अधिवक्ता संजीव वर्मा ने बताया कि रणदीप सिंह सुरजेवाला की गिरफ्तारी पर स्थगन आदेश प्रभावी है. सुरजेवाला के खिलाफ स्थानीय अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. जिसके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में याचिका लंबित है. सुरजेवाला की तरफ से आरोप से डिस्चार्ज किये जाने का अनुरोध स्थानीय अदालत में किया गया है, जिसके लिए केस डायरी और अन्य अभियोजन प्रपत्र की मांग की गई है.वहीं, अदालत में रणदीप सिंह सुरजेवाला के हाजिर नहीं होने पर अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप नहीं बन पा रहा, ऐसे में अदालत ने सुरजेवाला के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. जिसके खिलाफ सुरजेवाला की तरफ से सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रणदीप सिंह सुरजेवाला के याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके विरुद्ध स्थानीय न्यायालय द्वारा सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी गई है.वहीं अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट यह कहा, अग्रिम सुनवाई तक यह आदेश प्रभावी रहेगा. रणदीप सिंह सुरजेवाला के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अग्रिम सुनवाई न होने के करण स्थानीय न्यालायल द्वारा किसी भी प्रकार की कोई भी कार्यवाही ना करने का आदेश अग्रिम सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है. न्यायालय के आदेश के अनुपालन में स्थानीय न्यालालय द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती है.