सत्यार्थ न्यूज़
मनोज कुमार
आओ हर पक्षी की प्यास बुझाए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस
बे सहारा पशू पक्षी का मीलकर सहारा बने
के अवसर पर जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण जब से मनुष्य ने जंगलों में घर बनाने शुरू किए है। तब से पक्षियों के बसेरे उजड़ गए हैं। अब हमारे आसपास न तो आम है और न ही नीम पीपल और बरगद के पेड फिर कोबल जैसे पक्षियो का मधुर गान हमे कहा से सुनाई दे। वो वक्त दूसरा था जब हम मुर्गे की बाग और चिडीया के चहचहाने की आवाज से सुबह होने का संदेश पाते थे। परन्तु अभी भी कुछ नहीं गया है। बस जरूरत है हमे अपने अन्दर सुस्त पडी मानवता को जगाने की और पक्षियों को थोडा दाना चुगाने की उनके लिए इस गर्मी के मौसम में
पानी की व्यवस्था करने की। इससे आने वाले दिनों में पड़ने वाली भीषण गर्मी के प्रभाव से मरते जानवर और पक्षियो को राहत मिल सकेगी और हमारा यह प्रसास उनका संरक्षण और संवर्धन कर सकेगा
ग्रीष्म ऋतु के दिनों में पानी की जरूरत केवल मनुष्य को ही नहीं बल्की आसमान में उडते परिंदों को भी है। इस मौसम में प्राकृतिक जल स्त्रोतों के सुखने से पक्षियों को पानी नहीं मिल पाता है। इस वजह से वह दम तौड़ देते हैं। भीषण गर्मी की मार से बचने के लिऐ हर आदमी तो कई तरीक अपना रहा है। लेकिन मुक पशु पक्षी तो भोजन ओर प्यास बुझाने के लिए दर-दर भटक रहे है। प्रशासन और कुछ संस्थाएं इनके लिए दाना पानी की व्यवस्था करने का दम तो भरते है। पर हकिकत इससे कौसों दूर हैं। वन्य पशु-पक्षी पानी और चारे की तलाश में रिहायशी इलाके की ओर रूख कर रहे है। ऐसी घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। पानी नहीं मिलने तथा तेज गर्मी के कारण पशु-पक्षियों की मौत हो जाने की घटनाए भी सामने आती है।
आप भी कर सकते है पशु पक्षियों के लिए दाने पानी की व्यवस्था पक्षियों के भीषण गर्मी में प्यास भुजाने के लिए स्काउट मास्टर भेरुल�