डीएम से लेकर परिवहन मंत्री तक नही रोक पाये आरटीओ कार्यालय का भ्रष्ट्राचार
रिश्वत लेकर अन्ट्रेन्ड को धड़ल्ले से जारी किया जा रहा डीएल
बगैर रिश्वत दिये नही पास होता ड्राइविंग लाइसेंस
आरटीओ कार्यालय में सक्रिय है संगठित गिरोह, भ्रष्टाचार चरम पर
रिपोर्टर-शिवेश शुक्ला बस्ती उत्तर प्रदेश
बस्ती। आरटीओ महकमे से जारी हो रहे ड्राइविंग लाइसेंस के नाम पर खुलेआम 1500 रूपया रिश्वत वसूल किया जा रहा है। अफसरों के डर से कोई मुंह खोलने को तैयार नही है। ड्राइविंग लाइसेंस जारी करन के मामले में एक संगठित गिरोह काम कर रहा है। दलाल से लेकर सहायक और अफसर तक सभी इस गिरोह का हिस्सा हैं। ड्राइविंग टेस्ट में आप फेल हों या पास बगैर 1500 रूपया दिये आपका लाइसेंस नही बन सकता।
यह बातें अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन (भारत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी महेन्द्र श्रीवास्तव ने यहां प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कही। आवेदक जानना चाहे कि उसने जो ड्राइविंग टेस्ट दिया उसमे वह फेल हुआ है या पास, तो नही जान सकता है। इसे अफसर गोपनीय रखते हैं। पास को फेल बताकर उनसे पैसे ऐंठते हैं। वसूली कोई करता है, जमा कहीं होता है और हिसाब कोई और करता है। इतना ही नही कई प्रभावी लोगों के लाइसेंस घर बैठे जारी हो रहे हैं। फेल वही होता है जो पैसा नही देता या ज्यादा कानून बघारता है। हालात क्या हैं आसानी से समझा जा सकता है। डीएम से लेकर परिवहन मंत्री तक प्रयास करके थक चुके हैं, आरटीओ महकमे का भ्रष्टचार रत्ती भर कम नही हुआ।
नतीजा ये है कि अन्ट्रेन्ड लोगों को धड़ल्ले से लाइसेंस जारी हो रहा है और मार्ग दुर्घटनाओं में लोग अपनी जांन गंवा रहे हैं। महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा महकमे की लापरवाही की कीमत यात्रियों को सड़क हादसों में चुकानी पड़ रही है। आरटीओ विस्तार पटल में लगे सीसीटीवी कैमरे लम्बे अरसे से सक्रिय नही हैं। सूत्रों की मानें तो अपनी कारगुजारियों पर परदा डालने की नीयत से इसे ठीक नही कराया जा रहा है। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर भी अफसर जानकारी नही देना चाहते। महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा करोडों की लागत से ड्राइविंग टेस्ट के लिये आरटीओ विस्तार में बना ट्रैक मजाक बनकर रह गया है। महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा टेस्ट होता है तो आवेदक को परिणाम भी बताया जाना चाहिये। उन्होने उपरोक्त मामलों को सज्ञान लेते हुये सक्षम अधिकारियों से ठोस कार्यवाही की मांग किया है।