रिपोर्ट मनोज कुमार शर्मा
जिला मैनपुरी
सपा के मजबूत गढ़ पर फतेह करने के लिए भाजपा को करनी पर रही मशक्कत
जातिगत समीकरण में उलझी भाजपा नही तय कर पा रही लोकसभा प्रत्याशी।मैनपुरी सीट बनी भाजपा की प्रतिष्ठा
मैनपुरी लोकसभा सीट से बीजेपी ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है,
दो दिन से डॉ संघमित्रा मौर्य के बीजेपी से प्रत्याशी होने की खबरें राजनैतिक गलियारों में तेजी से फैल रही थीं। बुधवार को बसपा की सूची जारी होने से एक बार फिर बीजेपी को मैंनपुरी से अपना प्रत्याशी तय करने के लिए मंथन करना होगा। बसपा ने मैनपुरी से डॉ गुलशन देव शाक्य को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। समाजवादी पार्टी की महिला प्रत्याशी डिम्पल यादव को हराने के लिए बीजेपी एक बार फिर से शाक्य प्रत्याशी पर अपना दाँव चलना चाह रही थी। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मैनपुरी से समाजवादी पार्टी की विरासत को खत्म करने के लिए शाक्य प्रत्याशी कारगर साबित हो सकता था,परन्तु बसपा ने मैंनपुरी में डॉ गुलशनदेव शाक्य को टिकट देकर बीजेपी के सामने प्रत्याशी चयन को लेकर मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 से समाजवादी पार्टी का कब्जा है
और भारतीय जनता पार्टी एक बार भी मैंनपुरी पर केसरिया परचम फहरा नहीं पायी है। उत्तर प्रदेश में 80 में से 80 सीटें जीतने की मुहिम में मैंनपुरी सीट जीतना बीजेपी के लिए एक चुनोती से कम नहीं है। मैंनपुरी लोकसभा सीट पर यादव मतदाता सर्वाधिक है और उसके बाद नम्बर आता है शाक्य मतदाताओं का। मैनपुरी लोकसभा सीट पर शाक्य मतदाताओं के साथ-साथ अपने परम्परागत मतदाता लोध,ठाकुर,ब्राह्मण,वैश्य मतदाताओं के सहारे बीजेपी 2024 में चुनावी वैतरणी पार करना चाहती हैं।
बसपा से डॉ गुलशनदेव शाक्य के प्रत्याशी घोषित होने से शाक्य मतदाता बसपा,सपा और बीजेपी में बंट जायेंगें,
लोगों का मानना है ऐसे में मैनपुरी से बीजेपी से शाक्य प्रत्याशी उतरना समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिंपल यादव के लिए अच्छा ही रहेगा। मैनपुरी में सपा और बसपा ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। डिम्पल यादव पिछले एक महीने से गाँव-गाँव जाकर चुनाव प्रचार में जी-जान से जुटी हैं। बीजेपी से अब तक प्रत्याशी घोषित न होना समाजवादी पार्टी को चुनाव प्रचार में बढ़त बनाने का मौका ही देना माना जा रहा है।
बसपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद बीजेपी को एक बार फिर से अपनी रणनीति में परिवर्तन करने को मजबूर होना पड़ सकता है,
ऐसे में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह,पूर्व केबिनेट मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री,वरुण गांधी,पूर्व विधायक अशोक चौहान या किसी अन्य कद्दावर नेता के नाम पर विचार करना पड़ सकता है। हालांकि मैनपुरी लोकसभा सीट पर जब-जब समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव में कड़ी टक्कर मिली,तब-तब छत्रिय मतदाताओं का बीजेपी के पक्ष लामबंद होना रहा है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि बीजेपी एक बार फिर से छत्रिय नेता पर दाँव खेल सकती है….अशोक चौहान की साफ-सुधरी छवि भी उनके नाम पर मोहर लगवा सकती है। फिलहाल अभी हाल में बीजेपी में शामिल हुए सेना के एक पूर्व अधिकारी आर. एस भदौरिया का नाम भी संभावितों की सूची में उभरा है।