विधायक विजय चौरे के आह्वान पर सड़कों पर उतरा किसानों का जनसैलाब
संवाददाता धनंजय जोशी
जिला पांढुरना मध्य प्रदेश

*सौंसर में कांग्रेस की विशाल किसान आक्रोश रैली, नागपुर–छिंदवाड़ा हाईवे जाम, पुतला दहन कर सरकार के खिलाफ तीखा विरोध*
पांढुरना – सौंसर। क्षेत्र में किसानों की समस्याओं और फसलों के गिरते दामों को लेकर शुक्रवार को सौंसर में कांग्रेस द्वारा आयोजित किसान आक्रोश रैली विशाल आंदोलन का रूप ले गई। कांग्रेस विधायक विजय चौरे के नेतृत्व में सौंसर बाजार चौक से शुरू हुई यह रैली देखते ही देखते जनसमुद्र में परिवर्तित हो गई, जिसमें हजारों किसान शामिल हुए।
सभा के बाद उग्र हुए किसानों ने नागपुर–छिंदवाड़ा नेशनल हाईवे पर कब्जा करते हुए चक्का जाम कर दिया। प्रदर्शनकारी किसानों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुतलों का दहन कर शासन-प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाज़ी की।
*किसानों की प्रमुख मांगें*
✔ फसलों का उचित दाम
✔ नमी वाले कपास की सरकारी खरीद
✔ सस्ती व पर्याप्त बिजली
✔ मंडी व्यवस्था में सुधार
✔ मक्का आयात पर रोक**

किसानों का कहना था कि कपास और मक्का का मूल्य लागत से भी कम मिल रहा है। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार 17–18% नमी वाले कपास को खरीदने से इंकार कर रही है, जिससे हजारों किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली की उपलब्धता भी एक बड़ा मुद्दा रहा।
मक्का के आयात से स्थानीय किसानों को हुए नुकसान पर भी बड़ी संख्या में किसानों ने नाराजगी व्यक्त की।
*हजारों किसानों के दबाव के बाद प्रशासन हरकत में*
अचानक बिगड़ते हालात को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला। लगभग 300 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई।
आंदोलन को शांत करने के लिए एसडीएम सिद्धार्थ पटेल मौके पर पहुंचे और किसानों की 5-सूत्रीय मांगों को शासन तक पहुंचाने व उन पर शीघ्र निर्णय का आश्वासन दिया।
लंबी बातचीत के बाद किसानों ने हाईवे जाम समाप्त किया, लेकिन चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और व्यापक होगा।

*विधायक विजय चौरे बोले*
“किसान अगर सड़क पर उतर रहा है तो उसकी पीड़ा गहरी है”**
सभा को संबोधित करते हुए विधायक चौरे ने कहा कि सरकार किसानों को भरोसा दिलाने में असफल रही है।
उन्होंने कहा—
“सरकार के वादे खोखले साबित हो रहे हैं। किसान बेमूल्य फसल बेचने को मजबूर है। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं तो यह आंदोलन आगे और बड़ा रूप लेगा।”
क्या है आगे का रास्ता?
किसानों के बढ़ते आक्रोश और सौंसर में हुए इस ऐतिहासिक प्रदर्शन से सरकार पर दबाव बढ़ गया है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को कपास-मक्का खरीद मूल्य, मंडी व्यवस्था और बिजली आपूर्ति पर त्वरित निर्णय लेने होंगे, अन्यथा यह आंदोलन पूरे जिलों में फैल सकता है।


















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