विदिशा लोकेशन गंजबासौदा
जिला ब्यूरो संजीव शर्मा
विवाह पंचमी पर नगर में निकली दो राम बारात में उमड़ा आस्था का सैलाब. पलक पावड़े बिछाकर हुआ ऐतिहासिक स्वागत

सीताराम विवाहोत्सव : मिथिला का कण–कण खिला… जमाई राजा राम मिला
गंजबासौदा। मंगलवार को नगर में चहुंऔर मंगल ही मंगल दिखाई दिया, भक्ति, आस्था और श्रद्धा के सैलाब से पूरा शहर राममय था। सड़कें पंखुड़ियां से बिछी थीं, ऊंट नाच रहे थे, किन्नर बधाई गा रहे थे तो दिल-दिल घोडी अपने अनूठे नृत्य से दिल जीत रही थी, हनुमान जी, राधा कृष्ण के रूप में कलाकार राम भक्ति में झूम रहे थे तो गोरिल्ला अपनी और भाव भंगिमा से बारातियों को आनंदित कर रहा था। मौका था विवाह पंचमी पर नगर में निकली चक्रवर्ती भगवान सियाराम जी की भव्य और अलौकिक ऐतिहासिक बारात का जिसने ऐसा दिव्य अनुभव दिया मानो त्रेता की संस्कृति और परंपराएं नगर में लौट आई हों। रामरस धारा परिवार के संस्थापक पंडित अंकुर माधव महाराज एवं बालाजी हनुमान मंदिर हथोड़ा के प्रमुख राजा महाराजा द्वारा राम बारात का आयोजन किया गया था। स्टेशन से निकली एक बारात का समापन गांधी चौक पर हुआ जबकि दूसरी बारात का समापन बरेठ रोड से होते हुए बालाजी मंदिर हथोड़ा में हुआ। दोनों बरातों में नगर के जनप्रतिनिधियों के अलावा धार्मिक,सामाजिक, व्यापारिक, राजनीतिक संगठनों के पदाधिकारि प्रबुद्ध जन मौजूद थे।

मन को आनंदित और नेत्रों को सुख प्रदान करने वाला यह दृश्य मंगलवार को विवाह पंचमी के मौके पर नगर में निकलीं दो राम बारात में देखने मिला। नगर के हर चौक-चौराहे पर सनातन प्रेमियों ने बारात का स्वागत ऐसे किया मानो वास्तव में जमाई राजा राम मिथिला पहुँचे हों। महिलाओं ने कुमकुम की थाली सजाई, बच्चों ने पुष्प की डलियाँ उठाईं, और श्रद्धालु सड़क के दोनों ओर कतारबद्ध होकर बारात पर पुष्प-वर्षा करते दिखाई दिए। डीजे, बैंड के साथ तीन दर्जन से अधिक रथों के साथ करीब 2 किलोमीटर लंबी राम बारात में पगड़ी बांधे बाराती अयोध्या की परंपरा को जीवित कर रहे थे तो बारातियों का स्वागत विनम्रता, सहजता और सरलता के भाव से पुष्प वर्षा, शरबत पिलाकर शहर मिथिला की परंपरा को निभा रहा था। स्वागत, सत्कार से जनकपुर मिथिला के कण–कण की तरह हर्षित हो रहा नगर का हर कोना, सड़कें, आकाश भक्ति-रस से सराबोर नगर अयोध्या-मिथिला की दिव्य परंपराओं और उत्सव से आलोकित हो उठा। सड़कें, फूलों की पंखुड़ियों से सज गईं, छतों से पुष्प-वर्षा होने लगी, और मिथिला वासियों की तरह नगर ने पलक-पांवड़े बिछाकर बारात का ऐतिहासिक स्वागत किया। बारात में साथ चल रहे दशरथ की भूमिका में हरी प्रीति नेमा और जनक की भूमिका में सुशील नीतू सुहाने भक्ति में भाव विभोर होकर आनंदित थे।
संतों–महंतों के सान्निध्य में निकली अलौकिक राम बारात
बारात में वशिष्ठ जी की भूमिका में रामदेव द्वारकाधीश मंदिर शमशाबाद के पीठाधीश्वर पंडित गौरीशंकर तेनगुरिया, पंडित अरविंद अवस्थी विश्वामित्र की भूमिका में रथ पर विराजमान थे। क्षेत्र के कई आश्रमों के संत-महंत शोभा यात्रा की शोभा बढ़ाते साथ चल रहे थे। भगवत चिंतन सेवा समिति के संस्थापक एवं अंतरराष्ट्रीय भागवताचार्य पंडित अभिषेक कृष्ण शास्त्री तथा राम रस धारा परिवार के संस्थापक पंडित अंकुर माधव महाराज जनक रूप में बारात के अग्रभाग में रहे। राम–लक्ष्मण–भरत–शत्रुघ्न चार भैया भव्य रथों पर सवार थे, तो दूसरी ओर मिथिला परंपरा का जीवंत रूप लिए चारों बहनें दुल्हन रूप में रथों पर विराजमान थीं। इन झांकियों ने सिया-राम विवाह की वैदिक परंपरा को जीवंत कर दिया। बारात में श्री सीताराम संकीर्तन पीठ की चरण पादुकाएं, जबलपुर से आए कलाकारों ने शिव-पार्वती, शबरी, राधा–कृष्ण झांकियाँ, देवास के नाचते ऊँट, बीना के ढोल और दर्जनों आकर्षक प्रस्तुति शामिल रहीं। डीजे-बैंड, अखाड़ों की टंकार और भजन कीर्तन मंडलियों के साथ वैदिक मंगल ध्वनियों से पूरा वातावरण दिव्य हो उठा। बारात में भीड़ उल्लास में थी, पर अनुशासन और श्रद्धा से ओत प्रोत दिखाई दी।
ऐसा स्वागत… मानो नगर ने अपना हृदय खोल दिया हो
अयोध्या के पारंपरिक चिन्हों और घोड़ सवार धर्म ध्वजा लिए बारात में आगे आगे थे। स्टेशन से राम जी की बारात किन्नरों की बधाई नृत्य के साथ गांधी चौक मिथिला के लिए रवाना हुई। नगर ने राम जी की बारात का ऐसा स्वागत किया मानो हृदय खोलकर अपनी राम भक्ति का समर्पण कर दिया हो। स्वागत से बारात कई मिनटों तक थम गई। स्वागत और पुष्प वर्षा ऐसी हुई की रास्ते जाम हो गए। किन्नर समाज ने पारंपरिक नृत्य और बधाई देकर बारात को शुभाशीष दिया। उनकी मंगल ध्वनियों से वातावरण गूंज उठा। स्टेशन से प्रारंभ हुई बारात नेहरू चौक, अंबेडकर चौक,जय स्तंभ चौक, हनुमान चौक, सावरकर चौक, सिरोंज चौराहा होते हुए मिथिला गांधी चौक पहुंची। हजारों की संख्या में बारातियों की उपस्थिति ने रास्ते में कई स्थानों पर जाम लगने से पुलिस को व्यवस्था संभालने में पसीना आ गया।

















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