विशेष संवाददाता पुनीत मरकाम भानुप्रतापपुर /कांकेर जवान बेटे की मृत्यु के बाद प्रधानमंत्री बीमा योजना के राशि के लिए भटक रहा बुजुर्ग पिता
भानुप्रतापपुर/ कोरर एक कहावत है दुनिया में सबसे बड़ा बोझ पिता के कंधे पर पुत्र का जनाजा उठाना होता है मगर कोरर से 5 किलोमीटर दूर ग्राम राड़वाही के गरीब किसान बुजुर्ग विष्णु कांगे ने अपने जवान बेटा का शव को कंधा दिया है उनके पुत्र सुशील कांगे का सितम्बर 2023में हार्ट अटैक से निधन हो गया वो मात्र 25 वर्ष के थे उसके मृत्यु के बाद जब बैंक पासबुक का पड़ताल किया गया तो पता चला छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक और भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कोरर शाखा में उनका खाता है जिसमें उसका प्रधानमंत्री बीमा भी हुआ है जिसके बाद बैंक मैनेजर से मिलने पर बताया गया आप स्टेट बैंक में क्लैम्प करे क्योंकि यह बीमा दोनों में से कोई एक बैंक में क्लैम्प करे जिस पर उनकी पत्नी अमिता कांगे और पिता विष्णु कांगे स्टेट बैंक में 2023 में संपूर्ण कागजात जमा किए फिर 6 माह बाद पूछने पर बैंक मैनेजर ने बताया कि हम भेज दिए है अब बीमा कंपनी का काम है फिर 2024 में नए सीरे से भेजा गया*
*मगर आज 4 साल बीतने को आ रहा मगर अब तक क्लैम्प की राशि नहीं मिला उनकी पत्नी अमिताऔर बुजुर्ग पिता विष्णु कांगे बैंक का चक्कर काट रहे जब बैंक को बीमा करना होता है वतो बैंक के कर्मचारी उपभोक्ता पर बीमा का दबाव डालते है मगर जब क्लैम्प की बारी आता है तो बार बार घुमाया जाता है ना जाने ऐसे कितने खाता धारक होंगे जिन्हें बीमा की या तो जानकारी नहीं होगा या क्लैम्प नहीं कर पाते होंगे या ऐसे ही विष्णु कांगे जैसे गरीब मजदूर किसान बैंकों का चक्कर काट रहे होंगे*
जब पत्रकार नई दुनिया ने बैंक मैनेजर कल्पना गावड़े से इस बारे में जानकारी मांगा तो उन्होंने बताया