पूरी अकीदत और एहतराम से मनाई गई ईद-उल-अजहा
हजारों हाथ एक साथ उठे — अमन, चैन और खुशहाली की दुआओं के लिए
सत्यार्थ न्यूज़
आगर मालवा सोयत कला
रिपोर्टर मोहम्मद आलम खान सत्यार्थ न्यूज़

शहर की फिजा उस वक्त रूहानी एहसास से भर गई जब शनिवार की सुबह 8:30 बजे ईदगाह में अदा की गई ईद-उल-अजहा की नमाज़ के बाद हजारों लोगों ने एक साथ अपने रब के दर पर हाथ उठाकर अमन, शांति, भाईचारे और मुल्क की सलामती की दुआ मांगी। ‘आमीन’ की सामूहिक सदा ने माहौल को आध्यात्मिकता और सुकून से भर दिया।
नमाज़ की इमामत मुफ्ती सफीउल्लाह खान साहब ने की, जो शहर काज़ी हाफिज हामिद अली साहब की मौजदगी में अदा की गई। नमाज़ से पहले मुफ्ती साहब ने ईद-उल-अजहा की फजीलत और कुर्बानी की अहमियत पर रोशनी डालते हुए बताया कि यह पर्व हज़रत इब्राहीम अ. की सुन्नत है, जिसमें उन्होंने अल्लाह की रज़ा के लिए अपने सबसे प्यारे बेटे को कुर्बान करने का जज़्बा दिखाया। उन्होंने कहा कि कुर्बानी हर उस मोमिन पर वाजिब है जो मालदार है, और यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है।
नमाज़ के बाद कुर्बानी का सिलसिला पूरे आदाब और पाकीज़गी के साथ शुरू हुआ। लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी और आपसी मोहब्बत, इत्तेहाद और इंसानियत का पैग़ाम दिया।
इस खास मौके पर शहर के अन्य समुदायों से जुड़े कई सम्मानित नागरिक भी ईदगाह पहुंचे और अपने मुस्लिम भाइयों को ईद की बधाई दी। नगर परिषद पार्षद लालचंद कुशवाह, पटेल साहब और उनके साथियों ने साफा पहनाकर मुबारकबाद दी और मेल-जोल व सौहार्द की मिसाल पेश की। यह दृश्य गंगा-जमुनी तहज़ीब की ज़िंदा तस्वीर था — जहां धर्म नहीं, दिल जुड़ते हैं।
पूरे ईदगाह का नज़ारा मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत के जज़्बे से सराबोर था। हर दिल से यही दुआ निकल रही थी — “हमारा वतन सदा सलामत रहे, सभी में मोहब्बत बनी रहे और अल्लाह की रहमतें हर दिल तक पहुंचें।”
इस मौके पर शहर के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी भी खास रही। मुस्लिम समाज के लोगों ने अधिकारियों से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी और उनके सहयोग की सराहना की। प्रशासन की चुस्ती, सौहार्दपूर्ण रवैया और अनुकरणीय भूमिका ने त्योहार को और भी शांतिपूर्ण और यादगार बना दिया।
ईदगाह से निकली हर दुआ, मोहब्बत और अमन की खुशबू लेकर शहर में फैल गई।L

















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