सत्यार्थ न्यूज/ मनीष माली कि रिपोर्ट
सुसनेर
कॉन्वेंट स्कूल के माध्यम से भारतीय शिक्षा का विनाश हुआ है -साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती
सुसनेर नि. प्र. । नगर सुसनेर के श्रीराम मन्दिर धर्मशाला प्रांगण में चल रही सप्त दिवसीय दिव्य श्री गो कृपा कथामृत के चतुर्थ दिवस पर साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती ने बताया कि मैकाले शिक्षा पद्धति के कारण हम अपनी संस्कृति को भूल बैठे है। ओर जब से हम भगवती गोमाता को पशु समझ बैठे है। तब से हमारा पतन हो रहा है जबकि गोमाता पशु न होकर मानव व ईश्वर के बीच का सेतु है। अर्थात भगवती गोमाता को माध्यम बनाकर भारत की पुण्य भूमि में भगवान राम, कृष्ण ने अवतार लिया है।
साध्वी जी ने ग्वाला का अर्थ बताते हुए कहां कि ग्वाला यानि गाय वाला। जतीपुरा ब्रज में प्रगट हुए श्रीनाथ जी जो बाद में श्रीनाथद्वारा पधारे वे भी भूगर्भ से भूतल पर गो दुग्धाभिषेक से ही प्रगट हुए है।
साध्वी जी ने बताया कि प्राचीन समय में गुरुकुल व्यवस्था के कारण हमारी भावी पीढ़ी बचपन से लेकर युवावस्था की देहली पर चढ़ने से पूर्व भारतीय संस्कृति के अनुकूल अपना आचरण एवं व्यवहार करते थे और जिसमें सबसे बड़ी भूमिका भगवती गोमाता जी की थी क्योंकि गुरुकुल में पढ़ने वाला विद्यार्थी गोचारण के साथ गोमाता द्वारा प्रदाय पंच गव्य पान से तीक्ष्ण बुद्धि के साथ साथ स्वस्थ रहकर देश भक्ति एवं राष्ट्र निर्माण के भाव सीखकर ही गुरुकुल से बाहर जाकर उसके माध्यम से समाज में जन जागृति करते थे लेकिन जब से भारत में विदेशी आक्रांताओं का शासन हुआ है। तब से कॉन्वेंट स्कूल शिक्षा पद्धति के माध्यम से मैकाले शिक्षा पद्धति द्वारा भारतीय संस्कृति का विनाश हुआ है अर्थात हमारे लोग ही हमारी संस्कृति का विरोध करने लग गए है। और कान्वेंट विद्यालयों में अपने बच्चों को पढ़ाकर भारी भरकम फीस के रूप में हम सीधे सीधे ईसाई धर्म के लिए फंडिंग कर रहें है।ओर हम काले अंग्रेज तैयार कर रहें है ओर फिर यही बड़े होकर हमारी संस्कृति पर कुठाराघात कर रहें है।जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण भारतीय त्योहारों में होली पर पानी बर्बाद करने श्रावण में शिवजी पर दूध चढ़ाने का विरोध करने जैसे कृत्य सुनने को मिलता है। लेकिन उन तथाकथित बुद्धिजीवियों को बकरीद पर हजारों लीटर पानी खून को साफ करने का विरोध करते कभी आपने सुना है क्या? लेकिन मैकाले पुत्र केवल हिंदू विरोधी ही बातें करते है।
साध्वी जी ने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति में व्यवहारिक शिक्षा के बजाय रटने वाले शिक्षा पर जोर दिया जाता है जिससे देश में पुल बांध का टूटना आदि घटनाएं आज देश में सुनने को मिलती है और विद्यार्थी मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है।
मैकाले शिक्षा पद्धति से पढ़े तथाकथित बुद्धिजीवियों के कारण ही देश में हरित एवं स्वेत क्रान्ति के नाम से जहर युक्त खेती व मिलावटी दूध को बढ़ावा मिला है जिससे केंसर जैसी गम्भीर बीमारी के कारण लोग असमय काल काल का ग्रास बन रहें है।
साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती ने बालक के जन्म से लेकर युवावस्था तक उसमें बल एवं संस्कार निर्माण में गोमाता की भूमिका के बारे में बताया कि बालक के लिए मां के दूध के बाद पौषण के लिए कोई वस्तु है तो वह है गोदूग्ध साथ ही साध्वी जी ने बताया कि बालक अनजाने में कोई जहरीली वस्तु खा ले तो उसे पञ्च गव्य चटाने से तुरन्त लाभ मिलता है।
साध्वी जी ने कहां कि जब पाश्चात्य देशों में मानव को कपड़े तक पहनना नहीं आता था उससे पूर्व भारत के ऋषि मुनियों ने अनेकानेक खोज कर ब्रह्मास्त्र से लेकर पुष्पक विमान जैसे अविष्कार कर दिए थे। इस अवसर पर अर्चना जोशी पायली, एडवोकेट विजय बगड़ावत, शिक्षक जगदीश तेजरा, लालसिंह सालरिया, कालूसिंह सालरिया आदि गोभक्तों के द्वारा भगवती गोमाता का पूजन एवं आरती की गई।
: सुसनेर में गौकथा सुनाती साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती दीदी।
: कथा में उपस्थित विशाल संख्या में उपस्थित गौभक्त।