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मुर्गी पालन बना आजीविका का सशक्त साधन: ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना से मिली नई दिशा

पारुल राठौर हरिद्वार

मुर्गी पालन बना आजीविका का सशक्त साधन: ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना से मिली नई दिशा

हरिद्वार जनपद के नारसन ब्लॉक के लाठरदेवा हुंण गांव की निवासी श्रीमती रुकसार पत्नी सचिन कुमार है, मुर्गी पालन व्यवसाय के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी हैं।

वर्ष 2023-24 में ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के अंतर्गत चयनित रुकसार देवी को प्रेरणा सीएलएफ के अंतर्गत कनक स्वयं सहायता समूह जो उड़ान ग्राम संगठन के माध्यम से उद्यमिता हेतु जोड़ा गया। पहले वह छोटे स्तर पर मुर्गी पालन कर रही थीं और तीन माह में केवल ₹8,000 से ₹10,000 की आय होती थी।

परियोजना से जुड़ने के बाद उन्हें ₹75,000 की अनुदान सहायता, ₹75,000 स्वयं की अंश राशि और ₹1,50,000 का बैंक लोन प्राप्त हुआ। इस सहयोग से उन्होंने 2400 मुर्गियों के साथ पोल्ट्री फार्म यूनिट शुरू की।

लगभग हर 45 दिनों में मुर्गे की सप्लाई बाजार में बिक्री हेतु हो जाती है, जिससे हर 45 दिनों में लगभग उन्हें ₹32,400 का लाभ होता है। अब उनकी वार्षिक आय लगभग ₹2.5 लाख से ₹3.0 लाख पहुँच गई है।
ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना की मदद से रुकसार देवी ने न केवल आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया, बल्कि परिवार का सम्मानजनक भरण-पोषण भी सुनिश्चित किया। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता और परिश्रम के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं भी सफल उद्यमी बन सकती हैं।

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