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2 अप्रैल 2025 बुधवार आज का पंचांग व राशिफल और जानें कुछ खास बातें पंडित नरेश सारस्वत रिड़ी के साथ

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Manoj Mundhra
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सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़-सवांददाता नरसीराम शर्मा

पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है। शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है। पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि,नक्षत्र,मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।

🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
🕉️आज का पंचांग🕉️

दिनांक:- 02/04/2025, बुधवार

शुक्ल पक्ष, चैत्र “””””””””(समाप्ति काल)
तिथि————पंचमी 23:49:10 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——— कृत्तिका 08:48:47
योग——— आयुष्मान 26:48:44
करण————– बव 13:06:38
करण———– बालव 23:49:10
वार———————– बुधवार
माह————————- चैत्र
चन्द्र राशि—————- वृषभ
सूर्य राशि—————— मीन
रितु———————— वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर—————– विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)————— सिद्धार्थी
विक्रम संवत—————- 2082
गुजराती संवत————– 2081
शक संवत—————– 1947
कलि संवत—————–5126
सूर्योदय————– 06:09:48
सूर्यास्त————– 18:35:57
दिन काल———— 12:26:09
रात्री काल————- 11:32:44
चंद्रोदय————– 08:42:36
चंद्रास्त—————–23:20:01
लग्न—- मीन 18°19′ , 348°19′
सूर्य नक्षत्र—————– रेवती
चन्द्र नक्षत्र—————- कृत्तिका
नक्षत्र पाया—————— लोहा
पद, चरण

ए कृत्तिका————- 08:48:47

ओ—- रोहिणी 14:18:52

वा—- रोहिणी 19:50:55

वी—- रोहिणी 25:25:03

💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मीन 18°40, रेवती 1 दे
चन्द्र= वृषभ 08°30 , कृतिका 4 ए
बुध =मीन 03°52 ‘ उ o भा o 1 दू
शु क्र= मीन 02°05, पू o फाo’ 4 दी
मंगल=मिथुन 29°30 ‘ पुनर्वसु ‘ 3 हा
गुरु=वृषभ 21°30 रोहिणी, 4 वु
शनि=मीन 00°28 ‘ पू o भा o , 4 दी
राहू=(व) मीन 02°30 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 02°30 उ oफा o 2 टो
===========================

राहू काल 12:23 – 13:56 अशुभ
यम घंटा 07:43 – 09:16 अशुभ
गुली काल 10:50 – 12: 23अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:48 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:58 – 12:48 अशुभ
वर्ज्यम 23:33 – 25:03* अशुभ
प्रदोष 18:36 – 20:56 शुभ

चोघडिया, दिन

लाभ 06:10 – 07:43 शुभ
अमृत 07:43 – 09:16 शुभ
काल 09:16 – 10:50 अशुभ
शुभ 10:50 – 12:23 शुभ
रोग 12:23 – 13:56 अशुभ
उद्वेग 13:56 – 15:29 अशुभ
चर 15:29 – 17:03 शुभ
लाभ 17:03 – 18:36 शुभ

चोघडिया, रात

उद्वेग 18:36 – 20:03 अशुभ
शुभ 20:03 – 21:29 शुभ
अमृत 21:29 – 22:56 शुभ
चर 22:56 – 24:22* शुभ
रोग 24:22* – 25:49* अशुभ
काल 25:49* – 27:16* अशुभ
लाभ 27:16* – 28:42* शुभ
उद्वेग 28:42* – 30:09* अशुभ

होरा, दिन

बुध 06:10 – 07:12
चन्द्र 07:12 – 08:14
शनि 08:14 – 09:16
बृहस्पति 09:16 – 10:19
मंगल 10:19 – 11:21
सूर्य 11:21 – 12:23
शुक्र 12:23 – 13:25
बुध 13:25 – 14:27
चन्द्र 14:27 – 15:29
शनि 15:29 – 16:32
बृहस्पति 16:32 – 17:34
मंगल 17:34 – 18:36

होरा, रात

सूर्य 18:36 – 19:34
शुक्र 19:34 – 20:31
बुध 20:31 – 21:29
चन्द्र 21:29 – 22:27
शनि 22:27 – 23:25
बृहस्पति 23:25 – 24:22
मंगल 24:22* – 25:20
सूर्य 25:20* – 26:18
शुक्र 26:18* – 27:16
बुध 27:16* – 28:13
चन्द्र 28:13* – 29:11
शनि 29:11* – 30:09

🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩

मीन > 05:18 से 06:42 तक
मेष > 06:42 से 08:22 तक
वृषभ > 08:22 से 10:20 तक
मिथुन > 10:20 से 12:38 तक
कर्क > 12:38 से 14:54 तक
सिंह > 14:54 से 17:08 तक
कन्या > 17:08 से 19:24 तक
तुला > 19:24 से 21:36 तक
वृश्चिक > 21:36 से 00:00 तक
धनु > 00:00 से 02:16 तक
मकर > 02:16 से 03:50 तक
कुम्भ > 03:50 से 05:14 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।

महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्।
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

5 + 4 + 1 = 10 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

 शिव वास एवं फल -:

5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮

*श्री पंचमी

*श्री राम जन्मोत्सव आरम्भ

*रोहिणी व्रत

💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮

बाहुवीर्य बलं राज्ञो ब्रह्मवित् बली ।
रूप-यौवन-माधुर्य स्त्रीणां बलमनुत्तमम् ।।
।। चा o नी o।।

एक शक्तिशाली आदमी से उसकी बात मानकर समझौता करे. एक दुष्ट का प्रतिकार करे. और जिनकी शक्ति आपकी शक्ति के बराबर है उनसे समझौता विनम्रता से या कठोरता से करे.

🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩

गीता -:दैवासुरसम्पद्विभागयोग :- अo-15

एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः।,
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः॥,

इस मिथ्या ज्ञान को अवलम्बन करके- जिनका स्वभाव नष्ट हो गया है तथा जिनकी बुद्धि मन्द है, वे सब अपकार करने वाले क्रुरकर्मी मनुष्य केवल जगत्‌ के नाश के लिए ही समर्थ होते हैं॥,9॥,

💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष-किसी प्रभावशाली व्यक्ति से संपर्क बनेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। किसी बड़ी समस्या से निजात मिल सकती है। तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कारोबार मनोनुकूल चलेगा। नौकरी में प्रभाव क्षेत्र बढ़ेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🐂वृष-स्वास्थ्य पर खर्च होगा। लापरवाही न करें। कार्य करते समय चोट लग सकती है। गृहिणियां विशेष ध्यान रखें। जल्दबाजी से बचें। अकारण विवाद हो सकता है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। धनहानि की आशंका है। व्यापार व्यवसाय ठीक चलेगा।

👫मिथुन-कानूनी अड़चन दूर होगी। जीवनसाथी के इच्छुक लोगों को जीवनसाथी मिलने के योग हैं। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। निवेशादि सोच-समझकर करें। बाहर लंबी यात्रा की योजना बन सकती है। जीवन सुखमय गुजरेगा। उत्साह व प्रसन्नता रहेंगे। प्रमाद न करें।

🦀कर्क-शैक्षणिक व शोध इत्यादि रचनात्मक कार्य के परिणाम सुखद मिलेंगे। किसी मांगलिक व आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी।

🐅सिंह-दूर से अच्छे समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। विवाद से बचें। क्रोध न करें। कोई बड़ा काम तथा लंबी यात्रा की योजना बनेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पुराने विवादों का समापन होगा। उत्साह व प्रसन्नता की वृद्धि होगी। व्यापार निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे।

🙍‍♀️कन्या-संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण निर्मित होगा। प्रमाद से बचें।

⚖️तुला-नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। बेरोजगारी दूर होगी। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। व्यापार निवेश व नौकरी मनोनुकूल लाभ देंगे। लंबी यात्रा हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

🦂वृश्चिक-लापरवाही न करें। किसी व्यक्ति के व्यवहार से आत्मसम्मान कम हो सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। धनहानि के योग हैं। जोखिम न लें। कुसंगति से हानि होगी। व्ययवृद्धि होगी। आर्थिक परेशानी रहेगी। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

🏹धनु-डूबी हुई रकम प्राप्ति की संभावना बनती है। यात्रा लाभदायक रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। कारोबार में वृद्धि संभव है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। बुद्धि के कार्य करें। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। रुके काम पूरे होंगे। प्रमाद न करें।

🐊मकर-सामाजिक मान-सम्मान प्राप्त होगा। कारोबार में मनोनुकूल लाभ होगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। लंबी व्यावसायिक यात्रा की योजना बन सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। काम पर पूरा ध्यान दे पाएंगे। थोड़े प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी।

🍯कुंभ-योजना फलीभूत होगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। उत्साह व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में अमन-चैन रहेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। नए व्यापारिक अनुबंध होंगे। निवेश शुभ रहेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। परिवार में खुशी का वातावरण रहेगा।

🐟मीन-स्वास्थ्य का ध्यान रखें। विवाद को बढ़ावा न दें। वाणी में हंसी-मजाक समय व स्थिति को देखकर करें। शोक समाचार प्राप्त हो सकता है। नकारात्मकता रहेगी। मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रह सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। फालतू बातों पर ध्यान न दें। व्यापार ठीक चलेगा।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏

नवरात्री के प्रकार एवं महत्त्व
==================
नवरात्र चल रहा है और हममें से बहुत से लोग इस नवरात्र को शारदीय नवरात्र भी कहते हैं तो,इसी आलोक में क्या आपने कभी सोचा है कि जब हमारे यहाँ ऋतु चार (जाड़ा, गर्मी,बरसात एवं वसंत ऋतु) होती है तो फिर नवरात्र महज दो (शारदीय एवं चैत्रीय) ही क्यों होते हैं? क्योंकि अगर मौसम चार हैं तो फिर नवरात्र भी चार ही होने चाहिए थे न ??तो आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि असल में हमारे चंद्रमास के अनुसार नवरात्र वास्तव में ही चार होते है।

1.आषाढ शुक्लपक्ष में “आषाढ़ी” नवरात्र.

2.आश्विन शुक्लपक्ष में “शारदीय” नवरात्र.

3.माघशुक्ल पक्ष मे “शिशिर” नवरात्र.

4.चैत्र शुक्ल पक्ष मे “बासन्तिक” नवरात्र.परंतु  परंपरा से दो नवरात्र (चैत्र एवं आश्विन मास ) ही सर्वमान्य हैं।क्योंकि,चैत्रमास “मधुमास” एवं आश्विन मास ऊर्जमास नाम से प्रसिद्ध है। जो शक्ति के पर्याय है। अतः शक्ति आराधना हेतु इस काल खण्ड को “नवरात्र” शब्द से सम्बोधित किया गया है।

नवरात्र का मतलब हो गया

“नवानां रात्रिणां समाहारः” अर्थात “नौ रात्रियों का समूह”.

अब यहाँ रात्रि का तात्पर्य

“विश्रामदात्री” “सुखदात्री” के साथ एक अर्थ “जगदम्बा” भी है।

रात्रिरुप यतो देवी दिवारुपो महेश्वरः”
तंत्रग्रन्थो मे तीन रात्रि इस प्रकार हैं।
———–
1. “कालरात्रि”- महा फाल्गुन कृष्णपक्ष चतुर्दशी “महाकाली” की रात्रि.

2.”मोहरात्रि”- आश्विन शुक्लपक्ष अष्टमी “महासरस्वती” की रात्रि.

3.”महारात्रि”- कार्तिक कृष्णपक्ष अमावश्या “महालक्ष्मी” की रात्रि.

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि एक अंक से सृष्टि का आरम्भ है तथा सम्पूर्ण मायिक सृष्टि का विस्तार आठ अंक तक ही है। इससे परे “ब्रह्म” है जो नौ अंक का प्रतिनिधित्व करता है। इसीलिए,नवमी तिथि के आगमन पर शिव शक्ति का मिलन होता है। इसी कारण शक्ति सहित शक्तिमान को प्राप्त करने हेतु भक्त को नवधा भक्ति का आश्रय लेना पड़ता है। क्योंकि, जीवात्मा नौ द्वार वाले पुर (शरीर) का स्वामी है। “नवछिद्रमयो देहः”अर्थात,इन छिद्रो को पार करता हुआ जीव ब्रह्मत्व को प्राप्त करता है अतः नवरात्र की प्रत्येक तिथि के लिए कुछ साधन ज्ञानियों द्वारा नियत किये गये है।

1.”प्रतिपदा”-इसे “शुभेच्छा” कहते है, जो प्रेम जगाती है क्योंकि प्रेम बिना सब साधन व्यर्थ है। अतः “प्रेम” को अविचल अडिग बनाने हेतु”शैलपुत्री” का आवाहन पूजन किया जाता है। क्योंकि, अचल पदार्थो मे पर्वत सर्वाधिक अटल होता है।

2.”द्वितीया”-धैर्यपूर्वक “द्वैतबुद्धि” का त्याग करके ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए “माँब्रह्मचारिणी” का पूजन करना चाहिए.

3.”तृतीया”-“त्रिगुणातीत” (सत, रज, तम से परे) होकर “माँ चन्द्रघण्टा” का पूजन करते हुए मन की चंचलता को वश मे करना चाहिए।

4.”चतुर्थी”-“अन्तःकरणचतुष्टय” मन, बुद्धि , चित्त एवं अहंकार का त्याग करते हुए मन एवं बुद्धि को “कूष्माण्डा” देवी चरणो मे अर्पित करना चाहिए।

5 .”पंचमी”-“इन्द्रियो के पाँच विषयो” अर्थात शब्द,रुप,रस गन्ध एवं स्पर्श का त्याग करते हुए “स्कन्दमाता” का ध्यान करना चाहिए।

6.”षष्ठी”- “काम, क्रोध,मद,मोह,लोभ,एवं मात्सर्य” का परित्याग करके”कात्यायनी देवी” का ध्यान करना चाहिए।

7.”सप्तमी” – “रक्त, रस, माँस, मेदा,अस्थि, मज्जा एवं शुक्र” इन सप्त धातुओ से निर्मित क्षण भंगुर दुर्लभ “मानव” देह को सार्थक करने के लिए “कालरात्रि देवी” की आराधना करना चाहिए”।

8. “अष्टमी” -“ब्रह्म की अष्टधा प्रकृति” यथा “पृथ्वी अग्नि वायु,आकाश,मन,बुद्धि एवं अहंकार” से परे “महागौरी” के स्वरुप का ध्यान करते हुए “ब्रह्म” से एकाकार होने की प्रार्थना करना चाहिए।

9.”नवमी” – “माँ सिद्धिदात्री” की आराधना “नवद्वार” वाले शरीर की प्राप्ति को धन्य बनाते हुए आत्मस्थ हो जाने का प्रयास करना चाहिए।

यहाँ ध्यान देने की बात है कि पौराणिक दृष्टि से आठ लोकमाताएँ हैं तथा तन्त्रग्रन्थों मे आठ शक्तियाँ है।

1.ब्राह्मी – सृष्टिक्रिया प्रकाशित करती है.
2.माहेश्वरी – यह प्रलय शक्ति है.
3.कौमारी – आसुरी वृत्तियो का दमन करके दैवीय गुणो की रक्षा करती है।
4.वैष्णवी – सृष्टि का पालन करती है.
5.वाराही – आधार शक्ति है इसे काल शक्ति कहते है.
6.नारसिंही – ये ब्रह्म विद्या के रुप मे ज्ञान को प्रकाशित करती है.
7. ऐन्द्री – ये विद्युत शक्ति के रुप मे जीव के कर्मो को प्रकाशित करती है।
8.चामुण्डा – प्रवृत्ति (चण्ड), निवृत्ति (मुण्ड) का विनाश करने वाली है।

साथ ही,आसुरी शक्तियाँ भी आठ ही हैं।
—————————————
1- मोह – महिषासुर
2- काम – रक्तबीज
3- क्रोध – धूम्रलोचन
4- लोभ – सुग्रीव
5- मद मात्सर्य – चण्ड मुण्ड
6- राग द्वेष – मधु कैटभ
7- ममता – निशुम्भ
8- अहंकार – शुम्भ

इसीलिए,अष्टमी तिथि तक इन “दुर्गुणों” रुपी “दैत्यो” का संहार करके “नवमी तिथि” को “प्रकृति पुरूष” का एकाकार होना ही “नवरात्र का आध्यात्मिक” रहस्य है।

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