पूर्व संगठन मंत्री संजय जोशी हो सकते हैं भाजपा के संभावित राष्ट्रीय अध्यक्ष
हरिशंकर पाराशर सत्यार्थ न्यूज़ संवाददाता कटनी

अब इस बात की संभावना प्रबल हो गई है कि भाजपा के पूर्व संगठन मन्त्री संजय जोशी का 18 साल से चल रहा वनवास खत्म हो जाएगाl राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 21 से 23 मार्च तक तीन दिन बेंगलुरु में हुई प्रतिनिधि सभा की बैठक में वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के जरिये कथित पार्टी हाई कमान (गुजरात लॉबी) को संदेश दे दिया था की अब कोई डमी नाम अथवा अन्य बहाना नहीं चलेगाl इससे साफ़ हो जाता है कि नव संवत्सर में राम नवमी के बाद भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा, ऐसे में यह भी जाहिर है कि नाम पर निर्णय से पहले संघ प्रमुख और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच संवाद जरूरी है, जो वर्षों से बाधित हैl इसी दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में संजय जोशी के नाम पर भी सहमति बनने की उम्मीद जताई जा रही हैl हालांकि यह संदेश मिलने के बाद से भाजपा में आंतरिक खलबली मची हैl
भाजपा के संविधान में है ऐसा नियम
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संविधान के मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है जब देश के आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव संपन्न हो जाए। पहले चर्चा थी कि भाजपा के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक और कार्यकाल दिया जा सकता है लेकिन अब साफ हो गया है कि पार्टी अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनेगी।
बीजेपी के अब तक के अध्यक्षों की सूची
अटल बिहारी वाजपेई- 1980 से 1986 तक
लाल कृष्ण आडवाणी- 1986 से 1991 तक
मुरली मनोहर जोशी- 1991 से 1993 तक
लाल कृष्ण आडवाणी- 1993 से 1998 तक
कुशाभाऊ ठाकरे- 1998 से 2000 तक
बंगारू लक्ष्मण- 2000 से 2001 तक
जेना कृष्ण मूर्ति- 2001 से 2002 तक
वंकैया नायडू- 2002 से 2004 तक
लाल कृष्ण आडवाणी- 2004 से 2006 तक
राजनाथ सिंह- 2006 से 2009 तक
नितिन गडकरी- 2009 से 2014 तक
राजनाथ सिंह- 2013 से 2014 तक
अमित शाह- 2014 से 2020 तक
जेपी नड्डा- 2020 से अब तक
नागपुर में संघ मुख्यालय पर प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का 30 मार्च को पहुंचना पहली ऐसी घटना होगी जो संघ के इतिहास में दर्ज होगी, हालांकि वह माधव नेत्र चिकित्सालय के शिलान्यास समेत विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे, लेकिन संघ के नजदीकी सूत्र बताते हैं कि इसी दौरान मोदी और जोशी की मुलाकात भी हो सकती हैl यदि दोनों पुराने घनिष्ठ फ़िर मिले तो उनके बीच दो दशक से चल रही कड़वाहट के दूर होने की उम्मीद जताई जा रही है l
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दरअसल ढाई दशक पूर्व ‘मोदी और जोशी’ की जोड़ी या यूं कहें, गहरी दोस्ती की नींव तब हिल गई थी जब वर्ष 2000 में गुजरात के सीएम केशू भाई पटेल बनेl इस दौरान पार्टी के निर्देश पर दोनों को गुजरात से बाहर होना पड़ा था,लेकिन मोदी दो साल के भीतर ही दिल्ली से ताकतवर होकर लौटे तो सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए, यहां से उतरे तो दिल्ली के तख्त पर बैठ गए, लेकिन प्रायोजित सीडी प्रकरण ने संजय जोशी को राजनीति के नेपथ्य में ढकेल दियाl बावजूद इसके,उनकी राजनीतिक और सांगठनिक क्षमता में लेसमात्र कमी आने की बजाय वह अपनी व्यवहार कुशलता के चलते बिना सत्ता के ‘राजा’ बने रहेl आज भी देशभर के संघ हो या भाजपा से जुड़े लोग अथवा उनके माध्यम से आये व्यक्तियों की समस्या निवारण वह फोन के जरिये कर देते हैं l विगत नौ महीने से उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बाद से भीड़ में इजाफा हो चुका है l उनसे मिलने वाला हर कोई उनकी सादगी और बेबाकी का कायल हो जाता है l
नये अध्यक्ष के नाम पर सहमति बनने के बाद भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तरफ़ से मंजूरी 18 अप्रैल को दी जाएगीl इसके लिए बेंगलुरु में भाजपा की बैठक पूर्व से निर्धारित है l अध्यक्ष के मामले में तस्वीर साफ़ होने के बाद दिल्ली और लखनऊ के बीच जारी शीत युद्ध ‘बाधा दौड़’ रुकेगी और प्रदेश सरकार को नई दिशा और ताकत मिलेगीl संघ मानता है कि हिंदुत्व और सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने और मजबूती देने के लिए उसे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के रूप में बड़ा चेहरा मिल चुका है l पिछले दिनों एक मीडिया संस्थान से हुई बातचीत में योगी द्वारा दिये गए बयान के भी विभिन्न मायने निकाले जा रहे हैंl राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि योगी सीएम की कुर्सी से छोड़ेंगे तो उन्हें राष्ट्रीय पैमाने पर कोई बड़ा ओहदा या जिम्मेदारी मिलेगीl
















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