वाशिंगटनः अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ ले ली है। अपने शपथ बाद से ट्रंप ने एक से बढ़कर एक फैसले लिए है। वहीं अब ट्रंप ने बड़ा फैसला अप्रवासियों के खिलाफ था। ट्रंप ने एक आदेश पर हस्ताक्षर करके यह घोषणा की कि जो लोग बिना कागजात के या लीगल दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं, उन्हें उनके देशों में भेज दिया जाएगा। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
जन्मजात नागरिकता पर भी बड़ा फैसला
आपको बता दें कि ट्रंप ने अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को नागरिकता देने को लेकर भी एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए। इस आदेश के बाद अब अमेरिका में पैदा होने वाले हर बच्चे को जन्मजात नागरिकता नहीं मिलेगी। ट्रंप के इस आदेश का असर उन 725,000 अनडॉक्यूमेंटेड भारतीयों पर पड़ा है, जो अमेरिका के विभिन्न राज्यों जैसे फ्लोरिडा, टेक्सास, न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी में रह रहे हैं। यह आदेश इन लोगों के लिए चिंता का कारण बन गया है।
अप्रवासी परिवारों की चिंता बढ़ी
वहीं अमेरिका में रहने वाले अप्रवासी परिवारों में भय और असमंजस की स्थिति है, खासकर उन परिवारों में जिनके पास कानूनी दस्तावेज नहीं हैं। कुछ परिवार इस बारे में चिंता कर रहे हैं कि क्या बच्चों को स्कूल भेजना सुरक्षित रहेगा। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने यह घोषणा की कि अब इमिग्रेशन एजेंसियां स्कूलों, चर्चों और अस्पतालों में अप्रवासियों को गिरफ्तार कर सकती हैं। इससे कई अप्रवासी परिवार और अधिक चिंतित हो गए हैं।
स्कूलों में बच्चों को भेजने का डर
मैक्सिको से आई एक महिला, कारमेन ने कहा कि जब उसने सुना कि इमिग्रेशन एजेंसी स्कूलों में अप्रवासियों को गिरफ्तार कर सकती है, तो उसे बहुत डर लगा। वह अपने 6 और 4 साल के पोते-पोतियों को लेकर स्कूल गईं और स्कूल प्रशासन से वादा लिया कि यदि अधिकारी आएंगे तो वे परिवार को सूचित करेंगे और उनकी मदद करेंगे। कई स्कूलों से यह जानकारी मिली है कि चिंतित अभिभावक स्कूलों में फोन करके पूछ रहे हैं कि अगर इमिग्रेशन एजेंट स्कूल में घुसने की कोशिश करेंगे तो स्कूल प्रशासन क्या करेगा।
कुछ स्कूल प्रशासन अप्रवासियों के समर्थन में
कुछ स्कूल प्रशासन और शिक्षा अधिकारी अप्रवासी छात्रों के लिए खड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए, डीसी बाइलिंगुअल पब्लिक चार्टर स्कूल की प्रमुख डेनिएला एनेलो ने कहा कि ट्रंप की घोषणा से वह स्तब्ध हैं और यह गलत है कि स्कूलों को इमिग्रेशन एजेंटों से डरने की जरूरत हो। माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट के अनुसार, अनुमान है कि 733,000 स्कूली बच्चे अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं, जिनमें से कई के माता-पिता अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के कड़े फैसलों ने अप्रवासी परिवारों में भय और चिंता पैदा कर दी है। विशेष रूप से वे परिवार जो बिना दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे हैं, उनके लिए यह एक बड़ा संकट बन गया है। हालांकि कुछ स्कूल प्रशासन और शिक्षा अधिकारी उनके समर्थन में खड़े हुए हैं, लेकिन ट्रंप के आदेशों ने अप्रवासियों के लिए स्थिति को और अधिक कठिन बना दिया है।
अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले ने देश की सभी गर्भवतियों में हड़कंप मचा दिया है। अस्पतालों में समय पूर्व डिलीवरी करवाने के लिए गर्भवतियों की भीड़ लग रही है। इससे डॉक्टर भी हैरान हैं। आखिर ट्रंप ने ऐसा क्या ऐलान कर दिया है, जिससे महिलाएं समय से पहले डिलीवरी करवाने के लिए कुछ भी तकलीफ सहने को तैयार हैं, अमेरिका के गर्भवतियों को ट्रंप ने क्या टेंशन दे दी है, जिससे उनका चैन-सुकून हराम हो गया है?… आइये आपको पूरा मामला समझाते हैं।
दर असल न्यू इमिग्रेशन पॉलिसी के तहत डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि अमेरिका में प्रवासियों के लिए जन्म से मिलने वाली नागरिकता का प्रावधान अब खत्म हो जाएगा। यानि इसका सीधा सा मतलब है कि जो लोग अमेरिका में जाकर बस गए हैं या जॉब कर रहे हैं, अगर उनको कोई बच्चा होता है तो अब उसे अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी। इससे पहले अमेरिका में जन्मे बच्चे को वहां की नागरिकता आसानी से मिल जाती थी, उसके माता-पिता चाहे जिस देश के नागरिक हों। मगर ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ये बड़ा ऐलान कर दिया। इससे खलबली मची है।
20 फरवरी से पहले डिलीवरी कराने की होड़
अमेरिकी गर्भवतियां अस्पतालों में जाकर डॉक्टरों से समय से पूर्व यानि प्री-मेच्योर डिलीवरी करवाने के लिए निवेदन कर रही हैं। वह सभी 20 फरवरी से पहले ही अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि डोनाल्ड ट्रंप का जन्म से नागरिकता नहीं मिलने वाला कानून आगामी 20 फरवरी से लागू हो जाएगा। ऐसे में जो बच्चे 20 फरवरी के बाद पैदा होंगे, उन्हें अब अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलेगी।