सुरज मंडावी शाकम्भरी जयंती महोत्सव में शामिल हुए जिला पंचायत सदस्य हेमलाल मरकाम, पटेल समाज जिला पंचायत सदस्य हेमलाल मरकाम को दी बधाई
कांकेर जिले के ग्राम पंचायत किशनपुरी में आयोजित माँ शाकम्भरी जयंती महोत्सव कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य हेमलाल मरकाम मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान ग्राम पंचायत के सरपंच सत्यवती नेताम, चंद्रावती नेताम, और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिवप्रसाद पटेल, गांव प्रमुख भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में ग्रामवासियों के साथ-साथ पटेल समाज के कई सम्मानित सदस्य भी शामिल हुए।
कार्यक्रम का प्रारंभ गुलाल और पुष्प गुच्छ से अतिथियों का स्वागत करते हुए किया गया। स्वागत के बाद हेमलाल मरकाम ने अपने सम्बोधन में सभी को माँ शाकम्भरी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने पटेल समाज की भूमिका और उनके संगठित प्रयासों की सराहना की और समाज के सभी लोगों से एकजुटता के साथ रहने का आह्वान किया। मरकाम ने कहा, “पटेल समाज एक संगठित और सशक्त समाज है। हमे समाज में एकजुटता बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि समाज में जीना और मरना दोनों ही एक साथ होता है। हालांकि, आजकल कुछ लोग पढ़े-लिखे होने के बावजूद समाज को कमजोर करने का काम कर रहे हैं, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि समाज ही हमारी असली पहचान है।”
अपने भाषण में हेमलाल मरकाम ने युवाओं से समाज के रीति-नीति और नियमों के बारे में जानकारी रखने का अनुरोध किया और उन्हें प्रेरित किया कि वे समाज में सक्रिय भूमिका निभाते हुए समाज की प्रगति में योगदान करें। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए गर्व की बात है कि आज मुझे पटेल समाज द्वारा आयोजित इस विशेष पर्व में सम्मिलित होने का अवसर मिला। इस आयोजन में उपस्थित होकर मुझे अपार प्रेम और सम्मान मिला, जिसके लिए मैं केसरिया मरार पटेल समाज का आभार व्यक्त करता हूँ।”
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ललेश्वरी पटेल, जागेश्वरी पटेल, रेखा पटेल, गैतो पटेल, शंकर लाल, फिरतु राम पद्दा, सुदामा पटेल, श्यामलाल पटेल, सियाराम पटेल, मनीराम पटेल, विनोद पटेल, हेमंत कुलदीप, तुलाराम पटेल, मनहरन भारद्वाज, रामाहरण पटेल, खेदुराम पटेल, आत्म राम पटेल, राजेंद्र पटेल सहित अन्य सम्मानित लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम ने केवल धार्मिक आस्थाओं का सम्मान किया, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी दिया। इस आयोजन ने दर्शाया कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोग एकजुट होकर अपने सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों का सम्मान कर सकते हैं और एक सकारात्मक समाज की ओर बढ़ सकते हैं।