प्राणी जन्म के समय नग्न पैदा होता है
रतलाम – स्वर्ण नगरी में चल रहे श्री नेमीनाथ दिगंबर जिनबिंब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के चतुर्थ दिवस तपकल्याणक महोत्सव मनाया गया।

संसार की असारता देख युवाराज नेमीकुंअर को आया वैराग्य
किया वन गमन – ली दिगंबर दीक्षा – आज मनेगा ज्ञान कल्याणक
जिला संवाददाता राजेश पोरवाल रतलाम मध्यप्रदेश
प्रातः काल की बेला पर सकल समाज ने सागोद रोड स्थित ऋषभ धाम शौरीपुर नगरी में सामूहिक पूजन कर महोत्सव का शुभारंभ किया। इस दौरान इंद्रसभा एवं राज्यसभा में आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी हुई जिसमे कहा गया कि प्राणी जन्म के समय नग्न पैदा होता है नग्नता ही प्राणी का सौंदर्य है जो दिगंबरत्व की घोषणा करता है, मुनिराज जंगल में आनंद स्वरूप में लीन रहते हैं। प्रश्नोत्तरी के पश्चात सौधर्म इंद्र एवं कुबेर द्वारा लाए गया वस्त्र आभूषण हेतु प्रतिष्ठाचार्य रजनीभाई दोशी द्वारा विधि विधान पूर्वक राजकुमार नेमीकुमार के वस्त्राभूषण परिवर्तन की विधि कराई गई।

राज सभा में युवराज नेमीकुमार के विवाह की चर्चा चली ओर जूनागढ़ की राजकुमारी राजुल से विवाह तय हो गया, बड़े ही धूम धाम से युवराज नेमीकुमार की बारात ने शौरीपुर से जूनागढ़ के लिए प्रस्थान किया लेकिन रास्ते में पशुओं का क्रंदन सुनकर युवराज नेमीकुंअर को वैराग्य आ गया और उन्होंने दिगंबर दीक्षा हेतु गिरनार वन को गमन किया।
इस अवसर पर तीर्थंकर नेमीनाथ जी के 10 भवों का सुंदर चित्रण पंडित संजय शास्त्री जेवर द्वारा दिखाया गया वहीं स्वर्ग से आए लौकांतिक देवों ने युवराज नेमीकुंअर के वैराग्य की अनुमोदना की।

दीक्षा वन गमन के पूर्व देवता एवं मनुष्यों में पालकी उठाने पर सुंदर चर्चा हुई ओर दोनों ने अपना अपना पक्ष रखा अंत में सौधर्म ने कहा जो नेमी कुंअर के साथ दीक्षा धारण करेगा वहीं पहले पालकी उठाएगा इस प्रकार संयम के आगे असंयम की हार हो गई ओर मनुष्यों के पक्ष में फैसला गया तब सौधर्म इंद्र ने कहा कि है राजाओं आज संयम के आगे स्वर्ग का वैभव फेल हो गया अतः आप स्वर्ग का सारा वैभव ले लो और एक पल के लिए मनुष्य जन्म हमें दे दो। इस प्रकार प्रथम पांच कदम पालकी देवताओं ने उठाई और आगे राजाओं ने बारह भावना का पाठ कर पालकी के साथ वन गमन किया।
जहां पहुंचकर दीक्षा विधि की गई और सभी ने ब्रह्मचारी नन्हे भैया सागर एवं डॉक्टर मनीष शास्त्री मेरठ एवं ब्रह्मचारी डॉक्टर मनोज जैन जबलपुर के वैराग्यमय प्रवचनों का लाभ लिया पश्चात सभी ने दीक्षा कल्याणक की पूजन की ओर इंद्रों द्वारा क्षीर सागर में मुनिराज नेमीनाथ के केशों का क्षेपण कर उनकी जय घोष कर दिगंबर महामुनिराज की भक्ति की गई। इस प्रसंग पर तीर्थंकर भगवन के माता पिता शकुंतला मानमल विनायका ने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का संकल्प लिया।

सम्पूर्ण विधि विधान प्रतिष्ठाचार्य ने कराई। संध्या के समय सकल समाज ने श्री जिनेन्द्र भक्ति कर अतिथि विद्वानों के प्रवचनों का लाभ लिया पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत तत्व लहर महिला मंडल रतलाम द्वारा नाटक चंद्रगुप्त एवं अहमदाबाद की सुश्री मान्या मेहता द्वारा लघु नाटिका भरत का अन्तर्द्वन्द की सुंदर प्रस्तुति दी गई जिसकी सभी ने सराहना की।इस दौरान शीतल तीर्थ अधिष्ठात्री डॉ सविता जैन समाज अध्यक्ष राजकुमार अजमेरा उपाध्यक्ष कीर्ति बडजात्या सचिव जिनेंद्र जैन मुकेश मोठिया, प्रमोद पाटनी, कमल पाटनी, राजेश विनायक, गौरव अजमेरा, संजय गोधा, मेघना बड़जात्या, महेंद्र अजमेरा, ओम अग्रवाल,भरत पाटनी, मनोज अग्रवाल,देवेन्द्र गंगवाल, पीयूष गर्ग, आयुष गोधा, अर्पित मोठिया सहित समाजजन मौजूद थे ।

















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