सवांददाता ब्यूरो चीफ रमाकान्त झंवर बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
तीर्थराज प्रयागराज में कुंभ मेला अपने पूरे परवान पर आ गया है। चौफेर श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई देती है। आज समूचे दिन बरखा की फुहारें पड़ती रहीं, किंतु श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला टूटा नहीं। सर्वेश्वर नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन की कथा करते हुए जगत गुरु निम्बार्काचार्य स्वभूराम देवाचार्य पीठाधीश्वर श्री राधा मोहन शरण देवाचार्य ने कहा कि कुंभ संसार का सबसे वृहद मेला है, इसमें गुप्त-प्रकट सभी संत तो उपस्थित होते ही हैं, किंतु मकर संक्रांति के दिवस तो यहाँ सभी तीर्थ भी उपस्थित हो जाते हैं। देवयोग से विगत 12 कुंभों के पश्चात इस बार विलक्षण प्रभाववाला संयोग उपस्थित हो रहा है। आपने कथा के प्रसंगों के मध्य कहा कि यह संसार कर्म सापेक्ष है। पुण्य की गठरी समाप्त होते ही स्वर्ग से भी च्युत होना पड़ता है। अतः अपनी मुक्ति की चेष्टा करनी चाहिए। आज कृष्ण जन्मोत्सव तक की कथा सुनाई गई। कथा पाण्डाल में यजमान हरिप्रसाद जांगिड़ परिवार दारा कृष्ण जन्मोत्सव राग रंग के साथ मनाया गया। कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर-20 में भक्ति वेदांत पीठ की ओर से जगत गुरु अनन्ताचार्य काशी पीठ के पीठाधीश्वर डॉ.राजकमल दास वेदांती के द्वारा मंत्रोच्चार के साथ अपने विशाल शिविर में धर्म ध्वजा कि रोपण किया गया। इस अवसर पर सभी बड़े संतों की उपस्थिति रही। काशी गुरुकुल के बटुकों ने वेद ध्वनि की।
कुम्भ क्षेत्र का परिभ्रमण करनेवाले साहित्यकार डाॅ चेतन स्वामी ने बताया कि प्रभु प्रेमी संघ की ओर से लगाए अति विशाल तथा शिल्पकला से परिपूर्ण पाण्डाल को देखने वालों की भारी भीड़ रही। यहाँ राष्ट्रीय संत अवधेशानंद गिरी कथा कर रहे हैं। पाण्डाल के मध्य में आदि शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा लगाई गई है। इस पाण्डाल को आधुनिक सुविधाओं के साथ लगाया गया। अन्य शिविरों में जहां निशुल्क भण्डारे लग रहे हैं, वहीं इसमें आधुनिक रेस्टोरेंट तथा अनेक उत्पादों की दूकानें सजाई गई हैं। यहां विश्राम करना भी काफी महंगा है तथा बहुत पहले से ही यहां बुकिंग करवाना होता है।