पत्रकार मंजीत डाबला महेन्द्रगढ़ हरियाणा
राज्य हरियाणा जिला महेन्द्रगढ़
हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग की आयुक्त एवं सचिव की अपील
परवरिश में असमर्थ लोग (पालना घर) में छोड़ें बच्चों को
महेन्द्रगढ़ नारनौल, 28 दिसंबर। किसी भी नवजात को लावारिस हालत में छोड़ना महापाप है। जो परिवार किसी कारण से बच्चों को पालने में असमर्थ हैं या वह अनचाहा बच्ची या बच्चा है तो उसे कूड़े के ढेर या अन्य कहीं भी फेंके नहीं बल्कि इन्हें जिला में विभिन्न स्थानों पर स्थापित पालना घर में सम्मान पूर्वक रखकर जा सकते हैं। इन पालन घरों में कोई भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है। ऐसे बच्चों को उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद जरूरतमंद परिवार गोद ले लेते हैं।
पंचकूला के जंगलों में एक नवजात बच्ची की मौत पर संज्ञान लेते हुए हरियाणा महिला एवं बाल विकास विभाग की आयुक्त एवं सचिव अमनीत पी कुमार ने लोगों को जागरूक करने के लिए आदेश जारी किए हैं।
विभाग की आयुक्त एवं सचिव के आदेशानुसार जिला बाल संरक्षण ईकाई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिला स्तर पर ऐसी घटनाओं की रोकथाम की हर संभव कोशिश के लिए बाल कल्याण समिति व जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय स्थापित हैं। वर्तमान में यह दोनों कार्यालय महेंद्रगढ़ रोड पर स्थित शास्त्री नगर गली नंबर एक में स्टार किड्स प्ले के नजदीक चल रहे हैं। उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि बच्चा या बच्ची दोनों को सम्मान पूर्वक जीने का अधिकार प्राप्त है। उनके जीने के अधिकार को ना छीनते हुए उनके संदर्भ में सूचना कार्यालय के लैंडलाइन नंबर 01282-254721, चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 या पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 पर भी इन बच्चों के विषय पर सूचना देकर उनकी जिंदगी को बचाया जा सकता है। सभी हेल्पलाइन नंबर 24X7 कार्यरत रहते हैं। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त बच्चा या बच्ची को फेंकने की बजाय असमर्थ परिवार इन्हें बाल कल्याण समिति कार्यालय में कुछ कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करके उसे सम्मानपूर्वक सरेंडर भी कर सकता है। लड़का और लड़की दोनों को सम्मान रूप से जीने का अधिकार है। ऐसे बच्चों के लिए जिला महेंद्रगढ़ में सिविल अस्पताल नारनौल, सिविल अस्पताल महेंद्रगढ़, सीएचसी नांगल चौधरी, कनीना, अटेली मंडी व बाल भवन नारनौल में पालना घर स्थापित किए गए हैं। असमर्थ परिवार बच्चा या बच्चे को कहीं ना फेंक कर इन पालन घरों में सम्मान पूर्वक रख कर जा सकते हैं। बहुत से ऐसे अभिभावक हैं जिन्हें बच्चा गोद लेने के लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन कर रखा है और उन्हें बच्चा मिलने में लगभग 3 वर्ष का समय लग जाता है। ऐसे में असमर्थ परिवार बच्चे को सम्मान पूर्वक बाल कल्याण समिति कार्यालय में सरेंडर करके या उसे पालना घर में रखकर उनके जीने का अधिकार सुनिश्चित कर सकते हैं। जिला स्तर पर विभाग द्वारा बच्चों की सुरक्षा एवं सहायता को सुनिश्चित करने के लिए आमजन को जागरूक करने के लिए जागरूकता कैंप लगाए जा रहे हैं और इन कैंप के माध्यम से अभिभावकों को बच्चों के अधिकारों व उनके संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर जागरूक किया जा रहा है। आमजन से अपील है कि बच्चों के जीने के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए दोनों कार्यालय में उपलब्ध करवाए गए हेल्पलाइन नंबर पर समय रहते जानकारी देकर उनके अमूल्य जीवन को बचाया जा सकता है।