TRAI New Rules: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी TRAI ने टेलीकॉम ऑपरेटरों को निर्देश दिए हैं। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI ने हाल ही में स्कैम और फिशिंग एक्टिविटीज को रोकने के लिए कई कदम उठाएं हैं। इसी बीच हाल ही में TRAI द्वारा कमर्शियल मैसेज और ओटीपी से जुड़े ट्रेसेबिलिटी नियम को लागू करने की दिशा में एक बड़ा फैसला लिया गया है। इस नियम को लागू करने की लास्ट डेट अब 1 दिसंबर तय की गई है, जिसे पहले 1 नवंबर और उससे पहले 1 अक्टूबर से आगे बढ़ाया गया था।इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते चलन के साथ, इन तकनीकों की सुविधाओं के साथ-साथ कई तरह के खतरे भी सामने आए हैं। स्मार्टफोन ने जहां कई काम आसान कर दिए हैं, वहीं इसने स्कैमर्स और साइबर अपराधियों को लोगों को धोखा देने के नए रास्ते भी मुहैया कराए हैं। इसे देखते हुए, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने हाल ही में लोगों को धोखाधड़ी और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए कई उपाय लागू किए हैं।
इस नए नियम की क्यों है जरूरत?
दरअसल, TRAI ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि अनचाहे कमर्शियल मैसेज और फिशिंग अटैक्स लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में इन पर लगाम लगाना बेहद जरूरी है। अक्सर ये मैसेज यूजर्स के OTP और अन्य सेंसिटिव इनफार्मेशन तक पहुंचने का जरिया बन जाते हैं, जिससे लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है।
हालांकि, टेलीकॉम कंपनियां जैसे एयरटेल, VI और जियो ने बताया कि कई टेलीमार्केटिंग कंपनियां इन बदलावों को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं, जिससे सिस्टम को लागू करने में दिक्कत आ रही है। बावजूद इसके, TRAI इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कड़े नियम लागू करने पर जोर दे रहा है।
ट्राई ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, दूरसंचार कंपनियों को संदेश ट्रेसबिलिटी लागू करने का निर्देश देना। यह बड़ा फैसला सबसे पहले अगस्त में घोषित किया गया था, जिसमें वाणिज्यिक संदेशों और ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) पर ध्यान केंद्रित किया गया था। शुरुआत में, दूरसंचार कंपनियों को इन ट्रेसबिलिटी उपायों को लागू करने के लिए 31 अक्टूबर की समयसीमा दी गई थी, लेकिन जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल जैसी प्रमुख कंपनियों के अनुरोध के बाद यह समयसीमा 31 नवंबर तक बढ़ा दी गई थी। जैसे-जैसे नई समयसीमा नजदीक आ रही है, इन कंपनियों को वाणिज्यिक और ओटीपी संदेशों को ट्रैक करने के लिए ट्राई के नियमों का पालन करना होगा।
पहले भी बढ़ाई गई थी लास्ट डेट
बता दें कि TRAI ने इस नियम को लागू करने के लिए पहले 1 अक्टूबर की डेडलाइन फिक्स की थी, जिसे बाद इसे बढ़ा कर 1 नवंबर और फिर अब 1 दिसंबर तक किया गया। हालांकि, अब TRAI ने इस पर सख्ती दिखाते हुए इसे जल्द से जल्द लागू करने का फैसला लिया है।
नेटवर्क कवरेज की देनी होगी जानकारी
TRAI ने हाल ही में सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को ये इंस्ट्रक्शन दिए हैं कि वे अपने नेटवर्क कवरेज से जुड़ी डिटेल्स को अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करें। इस जानकारी को यूजर्स के लिए और ज्यादा आसान बनाने के लिए इसे मैप के जरिए भी उपलब्ध कराया जाए। इससे यूजर्स को यह जानने में आसानी होगी कि उनके एरिया में नेटवर्क की स्पीड कैसी है। कहा जा रहा है कि TRAI के ये नया नियम न सिर्फ स्कैम और फिशिंग को रोकने में मदद करेगा, बल्कि यूजर्स को एक सिक्योर और ट्रांसपेरेंट माहौल देगा।
TRAI का उद्देश्य: स्कैम से बचाव
TRAI का यह कदम विशेष रूप से इसलिए उठाया गया है क्योंकि कई बार फेक ओटीपी मैसेज के जरिए स्कैमर्स यूजर्स के डिवाइस का एक्सेस पा लेते हैं और इससे यूजर्स को वित्तीय नुकसान होता है। ऐसे मैसेज से निपटने के लिए TRAI ने टेलीकॉम कंपनियों को सख्ती से इस नियम को लागू करने के लिए कहा है।
नतीजा: सुरक्षित और विश्वसनीय अनुभव
इस बदलाव के साथ, जहां एक ओर OTP मैसेज में थोड़ी देरी हो सकती है, वहीं दूसरी ओर यह कदम टेलीकॉम यूजर्स को सुरक्षित और धोखाधड़ी से बचा हुआ अनुभव प्रदान करेगा। आने वाले समय में यह बदलाव टेलीकॉम कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य यूजर्स के लिए ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ाना है।
1 दिसंबर से लागू होने वाले इस नए नियम के बाद Jio, Airtel, Vi और BSNL के यूजर्स को ओटीपी और अन्य मैसेज में थोड़ी देरी हो सकती है। हालांकि, यह कदम ऑनलाइन फ्रॉड और स्कैम से बचने के लिए लिया गया है, जिससे यूजर्स को भविष्य में सुरक्षित और सुरक्षित अनुभव मिलेगा
यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि अगर जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल 1 दिसंबर से इन ट्रेसेबिलिटी उपायों को लागू करना शुरू करते हैं, तो ओटीपी संदेशों में देरी हो सकती है। नतीजतन, अगर आप बैंकिंग या बुकिंग आरक्षण जैसी गतिविधियों में लगे हुए हैं, तो आपको अपने ओटीपी के लिए ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ सकता है।
ट्राई की यह पहल इस बात को ध्यान में रखकर की गई है कि धोखेबाज अक्सर लोगों के डिवाइस तक पहुँच बनाने के लिए नकली ओटीपी संदेशों का फायदा उठाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें काफी वित्तीय नुकसान होता है। सभी दूरसंचार कंपनियों पर इस नियम को लागू करके, ट्राई का लक्ष्य उपभोक्ताओं को अधिक प्रभावी ढंग से सुरक्षा प्रदान करना है।
अन्य खबरों में, 1 जनवरी 2025 से एक नया नियम लागू होगा जिसका असर जियो, एयरटेल, वीआई और बीएसएनएल के ग्राहकों पर पड़ेगा। इन नियमों का उद्देश्य देश भर में 5G इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी लाना है।
सरकार ने हाल ही में दूरसंचार अधिनियम के तहत अतिरिक्त नियम पेश किए हैं, जिसके तहत सभी राज्यों को इन परिवर्तनों का अनुपालन करना आवश्यक है। यह नया दिशानिर्देश, जिसे राइट ऑफ वे (RoW) कहा जाता है, देश भर में बुनियादी ढांचे की स्थापना करते समय दूरसंचार कंपनियों के लिए मानकीकृत लागत निर्धारित करता है। वर्तमान में, RoW नियम राज्य दर राज्य अलग-अलग हैं, जिसके कारण पूरे देश में अनुमति और बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए अलग-अलग शुल्क लगते हैं।