गंगेश कुमार पाण्डेय
(ब्यूरो चीफ) सत्यार्थ न्यूज़ सुल्तानपुर,उत्तर प्रदेश
“प्रभु श्री राम के पुत्र कुश महाराज की तपस्थली व ब्रह्मऋषि मदन बाबा की साधना स्थली पर अखंड रामायण,हवन पूजन के पश्चात आज विशाल भंडारे का आयोजन “।
सत्यार्थ न्यूज़(कूरेभार) सुलतानपुर: प्रभु श्री राम के छोटे पुत्र कुश महाराज जिनके नाम पर इस जिले का नाम कुश भवनपुर पड़ा। कुश महाराज के शासनकाल में कुश महाराज इस स्थान पर सविता (सूर्य साधना) के लिए आया करते थे।
कालांतर में अयोध्या राजघराने
के कुलगुरु मदन बाबा माघ स्नान के लिए अपने शिष्यों के साथ पैदल ही तीर्थराज प्रयाग गए। स्नान करके वापस आते समय इसी स्थान पर तपस्या में लीन हो गए। जब वह अयोध्या वापस नहीं लौटे तो अयोध्या राजा को चिंता सताने लगी कुल गुरु कहां गए। अपने मंत्री एवं गुप्तचर को गुरु की खोज के लिए भेजा। गुप्तचर को इसी स्थान पर मदन बाबा तपस्या में लीन मिले। राजा रानी अयोध्या से पैदल ही उनसे मिलने चल पड़े और मिलते ही वापस अयोध्या चलने के लिए कहा किंतु मदन बाबा यह कहते हुए नहीं गए कि हे राजन अब हमारा चौथापन आ गया है। अब हम यहीं रहकर तपस्या करेंगे। अयोध्या राजा ने कुशभवनपुर को दान लेने के लिए कहा किंतु उन्होंने नहीं लिया। जबरन अयोध्या नरेश ने 100 बीघे जमीन उन्हें दान दी जो आज भी भुलेख में दर्ज है। जनपद की समस्त जमीन स्टेट दियरा स्टेट हसनपुर, स्टेट अमेठी के अधीन थी इकलौता मदनपुर राजस्व गांव कभी उनके अधीन नहीं रहा इसका जुड़ाव प्राचीन काल से सीधे अयोध्या राजघराने से रहा है।
मदन बाबा का मूल निवास बस्ती जिले के हरैया तहसील में रामनाथ का पुरवा था जो कालांतर में यही की मूल निवासी हो गए। आज हम सब उन्हीं के वंशज उनकी याद में कार्तिक एकादशी के दिन अखंड रामायण का पाठ एवं दूसरे दिन हवन पूजन पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन करते है। जो भी भक्त श्रद्धा और भक्ति से इनका दर्शन पूजन और परिक्रमा करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। प्रधान पुजारी श्री गंगेश पाण्डेय ने बताया कि मदन बाबा स्नान करते समय अपनी
धोती को निचोड़ कर आसमान की तरफ फेंक देते थे जब तक वह स्नान करके नहीं निकलते थे उनकी धोती आसमान में ही लहराती रहती थी और जब वह स्नान कर बाहर निकलते और अपने दोनों हाथ आसमान की तरफ करते तो उनके हाथों में व्यवस्थित धोती सुख कर आ जाती थी।
मदन बाबा धाम पर मान्यता पूरी होने पर लोग घंटा,जनेऊ, खड़ाऊ, आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाते हैं। और कड़ाही देते हैं।