सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नुन ने कनाडा में मंदिर हमलों की नई तारीखों की घोषणा की है और हिंदू सांसद चंदन आर्य को खुली धमकी दी है, जिससे भारत की ओर से प्रतिक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें इन कार्रवाइयों को “आतंकवादी कृत्य बताया गया है।
अपनी धमकी में पन्नुन ने कहा कि एसएफजे १६-१७ नवंबर को हिंदू मंदिरों में भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाएगा। “हम अयोध्या की नींव हिला देंगे।।। कनाडाई प्रधान मंत्री, आरसीएमपी ने स्वीकार किया है कि भारतीय राजनयिक कनाडाई सिखों की जासूसी करते हैं और शहीद निज्जर की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।।। भारतीय आतंकवादी राजनयिकों के लिए अगली चुनौती होगी: 16 नवंबर कालीबाड़ी मंदिर, मिसिसॉगा में और 17 नवंबर, त्रिवेणी मंदिर, ब्रैम्पटन|
जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए, खुफिया सूत्रों ने कहा: “कनाडाई सरकार सिर्फ आराम नहीं कर सकती और इन खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकती। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सभी गतिविधियाँ आतंकवादी कृत्यों के अलावा और कुछ नहीं हैं। कनाडा सरकार पहले के हमलों में जांच पर लीपापोती कर रही है। इन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर राजनयिक तोड़ दिया गया है।”
इस बीच, खालिस्तानी झंडे के नीचे सरे पुलिस अधिकारियों की तलवारबाजी के एक वीडियो तक पहुंचने के बाद सूत्रों ने खालिस्तानी आंदोलन के लिए कनाडाई पुलिस के “खुले समर्थन को भी चिह्नित किया है।
वीडियो पर टिप्पणी करते हुए, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा: “यह वीडियो हमारे लिए उपलब्ध है और यह बहुत चिंताजनक है क्योंकि यह सरे पुलिस की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगाता है। यह सांसद चंदन आर्य के बयान को साबित करता है जिन्होंने कहा कि खालिस्तानी तत्व कनाडाई पुलिस में घुस गए हैं। ट्रूडो सरकार इन तत्वों को जगमीत सिंह को खुश करने की अनुमति दे रही है जिन पर वे फरवरी २०२५ में अगले विधेयकों के लिए निर्भर हैं।’
उन्होंने आगे कहा: “दो दिन पहले, तलवारों और हथियारों के साथ हिंसक खालिस्तानी भीड़ उन पर हमला करने के लिए कारों में हिंदुओं की तलाश कर रही थी। कनाडाई पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके बजाय, भारतीय प्रवासियों, हिंदुओं और उदारवादी सिखों के खिलाफ कट्टरपंथी गुंडों और आतंकवादियों को खुला समर्थन है। सिख अधिकारियों का दृष्टिकोण वास्तव में चिंताजनक है।”
हिंदू मंदिरों पर हमले पिछले एक साल में बड़े पैमाने पर शुरू हुए, जिसमें सरे के लक्ष्मी नारायण मंदिर के अध्यक्ष सतीश शर्मा के घर पर गोलीबारी भी शामिल है।
ब्रैम्पटन के एक हिंदू मंदिर में रविवार ३ नवंबर को खालिस्तानी झंडे लिए प्रदर्शनकारी श्रद्धालुओं से भिड़ गए। सरे में लक्ष्मी नारायण मंदिर पर उसी दिन हमला किया गया था।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रैम्पटन में “जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा की और हिंसा को देश में भारतीय राजनयिकों को डराने का “कायरतापूर्ण प्रयास बताया। “मैं कनाडा में एक हिंदू मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी उतनी ही भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडाई सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का शासन कायम रखेगी |
गुरपतवंत सिंह पन्नू कौन है ?
गुरपतवंत सिंह पन्नू, एक अमेरिकी-कनाडाई दोहरी नागरिकता वाला नागरिक है, जिसे भारत में आतंकवादी घोषित किया गया है और वह खालिस्तान का समर्थक है, जो भारत से अलग होकर एक स्वतंत्र सिख मातृभूमि बनाने का प्रस्ताव है। पंजाब में जन्मे और अमेरिका में रहने वाले एक वकील पन्नू को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का दिमाग माना जाता है और हाल के वर्षों में वह खालिस्तान का सबसे मुखर समर्थक रहा है।
ज्यादातर गहरे रंग के औपचारिक कपड़ों और सफेद दाढ़ी में दिखने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सोशल मीडिया पर कई वीडियो संदेश पोस्ट किए हैं, जिनमें अक्सर भारतीय नेताओं, राजनयिकों और हिंदुओं को धमकाया गया है, यहां तक कि एयर इंडिया की उड़ानों को उड़ाने की भी धमकी दी गई है।
शुरुआत में पन्नू ने 1984 के सिख दंगों में कथित भूमिका के लिए भारतीय राजनेताओं के खिलाफ अमेरिकी अदालतों में मामले दर्ज किए थे। वह कमल नाथ, कैप्टन अमरिंदर सिंह, सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के खिलाफ मामले दर्ज करने के लिए सुर्खियों में आया था।
गुरपतवंत सिंह पन्नू भारत में वांछित
भारत ने 2020 में गुरपतवंत सिंह पन्नू को “व्यक्तिगत आतंकवादी” के रूप में सूचीबद्ध किया था। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पन्नू लगभग दो दर्जन मामलों में वांछित है, और भारत में आतंकवादी द्वारा हिंसा को वित्तपोषित करके और “पंजाब-आधारित गैंगस्टरों और युवाओं” को खालिस्तान के लिए लड़ने की अपील जारी करके भारत की सुरक्षा को चुनौती देने के लिए नामित किया गया था। भारत में उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार,
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने विभिन्न पश्चिमी देशों में खालिस्तान जनमत संग्रह का आयोजन किया था, जिसमें उनका कहना है कि ब्रिटेन, इटली, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में 1.3 मिलियन से अधिक लोगों ने मतदान किया है। रिपोर्टों के अनुसार, जनवरी 2021 में, भारत में किसानों के एक बड़े विरोध प्रदर्शन के दौरान, आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने सरकार के खिलाफ विद्रोह भड़काने की कथित साजिश के लिए पन्नू के खिलाफ मामला दर्ज किया।
पन्नून 2007 में स्थापित अपने सिख फॉर जस्टिस (SFJ) समूह के माध्यम से खालिस्तान की वकालत करता है , जिसके वह जनरल काउंसलर हैं। चरमपंथी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए इसके समर्थन का हवाला देते हुए, इस समूह को 2019 में भारत द्वारा “गैरकानूनी संघ” करार दिया गया था।
सितंबर 2024 में, पन्नून ने कनाडा में हिंदुओं को देश छोड़कर भारत लौटने की धमकी दी। पन्नून 2019 से एनआईए के रडार पर है, जब आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने उसके खिलाफ अपना पहला मामला दर्ज किया था।
पन्नून 2007 में स्थापित अपने सिख फॉर जस्टिस (SFJ) समूह के माध्यम से खालिस्तान की वकालत करता है , जिसके वह जनरल काउंसलर हैं। चरमपंथी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए इसके समर्थन का हवाला देते हुए, इस समूह को 2019 में भारत द्वारा “गैरकानूनी संघ” करार दिया गया था।
सितंबर 2024 में, पन्नून ने कनाडा में हिंदुओं को देश छोड़कर भारत लौटने की धमकी दी। पन्नून 2019 से एनआईए के रडार पर है, जब आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने उसके खिलाफ अपना पहला मामला दर्ज किया था।
खालिस्तानी आतंकी और सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने अयोध्या के राम मंदिर समेत अन्य हिंदू मंदिरों को बम से उड़ाने की धमकी दी है। पन्नू ने 16 और 17 नवंबर को कनाडा के हिंदू मंदिरों पर भी हमले की चेतावनी दी है। पन्नू ने एक वीडियो जारी कर कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमलों की नई तारीखों की भी घोषणा की है। अपनी धमकी में पन्नू ने कहा कि SFJ 16-17 नवंबर को कनाडा स्थित हिंदू मंदिरों में भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस धमकी वाले वीडियो में वह राम मंदिर को भी निशाना बनाने की बात कह रहा है। उसने वीडियो में कहा कि हम अयोध्या की नींव हिला देंगे। हालांकि, ‘मनीकंट्रोल हिंदी’ इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।
कथित तौर पर कनाडा के ब्रैम्पटन में रिकॉर्ड किए गए इस वीडियो का उद्देश्य हिंदू पूजा स्थलों के खिलाफ हिंसा भड़काना है। अपने बयान में पन्नू ने कहा, “हम हिंसक हिंदुत्व विचारधारा के जन्मस्थान अयोध्या की नींव हिला देंगे।” आतंकी की यह भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक के लिए सीधी धमकी है। वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस साल जनवरी में उद्घाटन के दौरान राम मंदिर में प्रार्थना करते हुए तस्वीरें दिखाई गई हैं। पन्नू ने कनाडा में भारतीयों को हिंदू मंदिरों पर खालिस्तानी हमलों से दूर रहने की भी चेतावनी दी है।
पिछले महीने पन्नू ने यात्रियों को 1 से 19 नवंबर के बीच एयर इंडिया की फ्लाइट में यात्रा करने के प्रति आगाह किया था। जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए खुफिया सूत्रों ने न्यूज 18 से कहा, “कनाडाई सरकार इन धमकियों को अनदेखा करके आराम नहीं कर सकती। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सभी गतिविधियां आतंकवादी कृत्यों के अलावा और कुछ नहीं हैं। कनाडा सरकार पहले के हमलों की जाँच को छुपा रही है। इन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए जानबूझकर कूटनीतिक विफलता की गई है।”
पन्नू का राइट हैंड, भारत के खिलाफ जहर… कौन है कनाडा के मंदिर में हुए हमले के केस में गिरफ्तार हुआ इंद्रजीत गोसल
कनाडा के ब्रैम्पटन में बीते हफ्ते (3 नवंबर) को हिंदू सभा मंदिर में हिंसा हुई थी। मंदिर में हिंसा की तस्वीरें सामने आने के बाद इसकी भारत में भी काफी चर्चा है और शीर्ष नेताओं ने घटना की निंदा की। हिंसा और मारपीट के इस मामले में जो सबसे अहम चेहरा उभरकर सामने आया है, वो इंद्रजीत गोसल है। ब्रैम्पटन निवासी 35 वर्षीय इंद्रजीत गोसल को ग्रेटर टोरंटो एरिया में मंदिर पर हमले में कनाडा की पुलिस ने आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार किया था।
गोसल को गिरफ्तारी के कुछ देर बाद पील रीजनल पुलिस (पीआरपी) ने शर्तों के तहत रिहा कर दिया। गोसल को ब्रैम्पटन में ओंटारियो कोर्ट ऑफ जस्टिस के सामने पेश होना होगा। टोरंटो स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, गोसल प्रतिबंधित गुट सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) का कॉर्डिनेटर है। उसे कनाडा में खालिस्तान जनमत संग्रह कराने वाले सबसे प्रमुख व्यक्ति माना जाता हैं।
गोसल के नाम की चर्चा क्यों?
इंद्रजीत गोसल के बारे में भारत में चर्चा की बड़ी वजह उसका संगठन और पन्नू से रिश्ता है। गोसल का संगठन एसएफजे भारत में बैन है तो उसे एसजेएफ प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू का लेफ्टिनेंट माना जाता है। पन्नू को भी भारत सरकार ने आतंकी घोषित किया हुआ है। जून, 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद गोसल को सिख्स फॉर जस्टिस का मुख्य कनाडाई ऑर्गेनाइजर बनाया गया था। निज्जर भी खालिस्तानी आतंकी थी, जिसकी हत्या का आरोप कनाडा सरकार ने बार-बार भारत पर लगाया है।
कनाडाई पुलिस ने कहा था कि गोसल भी उन 13 लोगों में से था, जो खालिस्तान समर्थक होने की वजह से आपराधिक हिंसा का निशाना बना। पुलिस ने उसको चेताया भी था। ब्रैम्पटन में हिंदू मंदिर में हिंसा के मामले में भी एसएफजे ने दावा किया है कि प्रदर्शन के दौरान गोसल को निशाना बनाया गया, जो उस समय एक कांसुलर शिविर की मेजबानी कर रहा था। इस दौरान टोरंटो स्थित वाणिज्य दूतावास के भारतीय अधिकारी परिसर में मौजूद थे।
गोसल को अपने आक्रामक बयानों के लिए भी जाना जाता है। पिछले महीने गोसल ने कहा था कि खालिस्तान बनाने के लिए मरना भी पड़ा तो वह पीछे नहीं हटेगा। गोसल ने कहा था कि मौत उसे डराती नहीं है। गोसले की पन्नू के साथ तस्वीरें आती रही हैं तो वह अक्सर खालिस्तानी झंडे के साथ भी दिखता रहा है। भारत विरोधी बयान देना उसकी आदत का हिस्सा है। पन्नू और गोसल दोनों भारत के लिए जहर उगलते रहे हैं।
खालिस्तानियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि अब वे हिंदुओं की आस्था के सबसे बड़े केंद्र अयोध्या के राम मंदिर को निशाना बनाने की धमकी देने लगे हैं. खालिस्तानी आतंकी (Canada Based Terrorist) गुरपतवंत सिंह पन्नू ने वीडियो जारी करते हुए राम मंदिर को उड़ाने की धमकी दी है. वीडियो में पन्नू ने कनाडा के हिंदू सांसद चंद्र आर्य को भी थ्रेट दिया है.
सिख फॉर जस्टिस (SFJ) नामक आतंकी संगठन के चीफ पन्नू ने जारी विडियो में कहा,’16 और 17 नवंबर को अयोध्या के राम मंदिर में हिंसा होगी.’ बताया जा रहा है कि पन्नू ने यह वीडियो कनाडा के ब्रैम्पटन में रिकॉर्ड किया है. इस वीडियो में राम मंदिर के साथ-साथ कई दूसरे हिंदू धार्मिक स्थलों के खिलाफ हिंसा भड़काने की धमकी भी दी गई है.
वीडियो में पन्नू ने आगे कहा,’हम हिंदुत्व विचारधारा की जन्मस्थली अयोध्या की नींव हिला देंगे.’ पन्नू की इस धमकी को भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक (राम मंदिर) के लिए बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. पन्नू के वीडियो में पीएम मोदी की अयोध्या राम मंदिर में प्रार्थना करते हुए तस्वीरें भी दिखाई गई हैं. खालिस्तानी आतंकी ने कनाडा में रहने वाले भारतीयों को हिंदू मंदिरों पर हो रहे खालिस्तानी हमलों से दूर रहने की भी धमकी दी है.
भारत से फरार होने वाला भगोड़ा पन्नू भारत के खिलाफ लगातार जहर उगलता रहता है. वह कनाडा में भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा के लिए खालिस्तानियों को उकसाने का काम करता रहता है.
पहले भी धमकी दे चुका है खालिस्तानी पन्नू
ऐसा नहीं है कि पन्नू ने पहली बार भारत के खिलाफ कोई धमकी दी है. इससे पहले खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने भारत को धमकी देते हुए प्लेन उड़ाने की बात कही थी. पन्नू ने कहा था कि सिख दंगों के 40 साल पूरे होने पर एअर इंडिया की फ्लाइट पर हमला हो सकता है. पन्नू ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से 1 से 19 नवंबर तक एअर इंडिया में उड़ान न भरने की चेतावनी दी थी.
कौन है भारत से फरार आतंकी पन्नू?
गुरपतवंत सिंह पन्नू. पंजाब में पैदा हुआ. पढ़ाई भी यहीं से की. अभी विदेश में है. कभी कनाडा तो कभी अमेरिका में रहता है. उसके पास इन दोनों देशों की नागरिकता है. बाहर से ही भारत में आतंकी हमले करने की धमकी देता है. भारत के एक डोजियर के मुताबिक, 1947 में बंटवारे के बाद पन्नू का परिवार पाकिस्तान से अमृतसर के खानकोट गांव आ गया था. पन्नू का जन्म 14 फरवरी 1967 को हुआ था. पन्नू के पिता पंजाब में एक कंपनी में काम करते थे. उसका एक भाई भी है, जो विदेश में ही रहता है. उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है. पन्नू ने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की है. वो अमेरिका में अभी वकालत कर रहा है. पन्नू ने साल 2007 में ‘सिख फॉर जस्टिस’ संगठन बनाया था. जुलाई 2020 में भारत ने पन्नू को आतंकी घोषित किया था. पन्नू आईएसआई की मदद से खालिस्तान की मुहिम चला रहा है
<em>निज्जर से ज्यादा हत्याएं, गोल्डी बरार का पार्टनर; कौन है कनाडा में पकड़ा गया खालिस्तानी अर्श डाला
कनाडा की पुलिस ने खालिस्तानी अर्श डाला उर्फ अर्शदीप सिंह को गिरफ्तार किया है। अर्श डाला कौन है? इसे लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। कनाडा में चरमपंथी गतिविधियों में वह शामिल है। डाला खालिस्तानी हरदीप सिंह का चेला जरूर था, लेकिन उसके नाम निज्जर से ज्यादा हत्या के रिकॉर्ड हैं। यह कुख्यात आतंकी गोल्डी बरार का पार्टनर भी है। पंजाब में कई हाई प्रोफाइल किलिंग में शामिल है।
अर्श डाला कौन है?
पंजाब के मोगा जिले के दल्ला गांव का रहने वाला 27 वर्षीय अर्शदीप सिंह खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) जैसे चरमपंथी समूहों से जुड़ा हुआ है। वह कई संगठित आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है और कुख्यात कनाडाई गैंगस्टर गोल्डी बरार से भी जुड़ा हुआ है।
अर्शदीप अपनी पत्नी और एक नाबालिग बेटी के साथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में रह रहा है। उसके पास 1 सितंबर, 2017 को जालंधर में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय द्वारा जारी किया गया पासपोर्ट है, जो 31 अगस्त 2027 तक वैध है।
निज्जर से ज्यादा हत्या के रिकॉर्ड
अर्श डाला 2020 से खालिस्तानी गतिविधियों में सक्रिय है। वह ज़्यादातर आतंकी फंडिंग, आतंकी मॉड्यूल तैयार करने, सीमा पार से हथियारों की सप्लाई करने और पंजाब में हाई प्रोफाइल हत्याओं की योजना बनाने में शामिल है। भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा बनाए गए डोजियर के अनुसार, डाला का हत्या का रिकॉर्ड मारे गए केटीएफ नेता हरदीप सिंह निज्जर से भी ज़्यादा है।
अर्श डाला का खौफ
डाला ने निज्जर के साथ मिलकर केटीएफ मॉड्यूल बनाया, जो 2021 में मोगा में सनशाइन क्लॉथ्स स्टोर के मालिक तेजिंदर उर्फ पिंका की हत्या के लिए जिम्मेदार था। डाला ने कथित तौर पर अपने सहयोगियों राम सिंह उर्फ सोना और कमलजीत शर्मा उर्फ कमल की मदद से जनवरी 2021 में जालंधर के फिल्लौर में एक हिंदू पुजारी प्रज्ञा ज्ञान मुनि पर हमले की योजना बनाई थी। डाला नवंबर 2020 में बठिंडा में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहर लाल की हत्या में भी शामिल था। डाला ने सुखप्रीत सिंह की हत्या की भी जिम्मेदारी ली थी।
गोल्डी बरार के साथ कब जुड़ा
डाला ने 2021 में गैंगस्टर बिक्रम बरार और गोल्डी बरार के साथ मिलकर एक और केटीएफ मॉड्यूल बनाया था, जिसका काम हाई प्रोफाइल लोगों को निशाना बनाना था। इसे बिट्टू प्रेमी, शम्मा बदमाश और सिरसा में रहने वाले डीएसएस अनुयायी शक्ति सिंह को निशाना बनाने का काम सौंपा गया था। जनवरी 2022 में डाला ने निज्जर के साथ मिलकर मोगा के एसएसपी हरमनबीर सिंह गिल और मोगा में अपराध जांच एजेंसी (सीआईए) विंग के दो इंस्पेक्टरों को निशाना बनाने की योजना बनाई।
डाला ने 2021 के अंत में गुरजंत सिंह जंट्टी और लखबीर सिंह रोडे के साथ मिलकर हरियाणा में भी केटीएफ मॉड्यूल बनाया। जनवरी 2022 में, इसके साथी गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी ने सुखप्रीत सिंह उर्फ सुख ग्रीस को चंडीगढ़ से पंजाब से पाकिस्तान में घुसपैठ कराने के लिए बुलाया। डाला ने जनवरी 2022 में 7 लोगों के साथ मिलकर मोहाली के इमिग्रेशन कंसल्टेंट प्रीतपाल सिंह बॉबी को निशाना बनाने की योजना बनाई थी।
पंजाब के मोगा के दल्ला गांव में जन्मे अर्श डाला पर हत्या और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने जैसे कई संगीन मामले दर्ज हैं. कनाडा पुलिस की गिरफ्त में आया आतंकी अर्श डाला कई भारत विरोधी वारदातों में शामिल है. 2020 से भारत से फरार चल रहा डाला तभी से कनाडा में शरण लिए हुए था. अर्श डाला के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया जा चुका है. डाला देश के बाहर से भारत के खिलाफ अपना गैंग चला रहा है. वह खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) से जुड़ा हुआ है. जिसका मुखिया खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर था.
निज्जर की ओर से आतंकी मॉड्यूल चलाता है
अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला का जन्म साल 1966 में पंजाब के डल्ला गांव में हुआ था. वह साल 2020 में भारत से भागकर कनाडा चला गया. जहां वह अपनी पत्नी और एक बेटी के साथ शरण ले रखा है. जबकि उसके माता-पिता पंजाब के डल्ला गांव में रहते हैं. सूत्रों के अनुसार, आतंकी डाला को कनाडा के ओंटारियो में फायरिंग की घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है. गोलीबारी की यह घटना पिछले महीने 24 अक्तूबर की है. वह प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) से जुड़ा हुआ है. वह पिछले साल जून में मारे गए आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की ओर से आतंकी मॉड्यूल चलाता था.
पिछले साल सरकार ने आतंकी घोषित किया था
आतंकी अर्श डाला जांच एजेंसी एनआईए द्वारा दर्ज कई मामलों में आरोपी है. उस पर हत्या, आतंकी फंडिंग के लिए पैसे जुटाने, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिकता फैलाने और पंजाब में आतंक कायम रखने समेत कई गंभीर आरोप हैं. भारत सरकार ने पिछले साल जनवरी में डाला को आतंकी घोषित किया था. इसके साथ ही वह पाकिस्तान की आईएसआई के संपर्क में भी था. इसके जरिए वह सीमा पार बड़े पैमाने पर ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में शामिल है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 35 के तहत आतंकवादी घोषित किया है
जांच एजेंसी के मुताबिक अर्श डाला के गिरोह में 700 से ज्यादा सक्रिय शूटर हैं. उसका गिरोह कनाडा और भारत के अलावा पाकिस्तान में भी सक्रिय है. यह पंजाब से युवाओं को बहला-फुसलाकर कनाडा भेजने के बहाने कई अपराध करवाता है. डाला पर नवंबर 2020 में बठिंडा में डेरा सच्चा सौदा के सदस्य मनोहर लाल की हत्या का भी आरोप है. अगर उसके आपराधिक इतिहास पर नजर डालें तो वह गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से भी ज्यादा खतरनाक है. लॉरेंस पर 58 मामले दर्ज हैं जबकि डाला पर देश विरोधी कृत्यों के कई और मामले दर्ज हैं.
कनाडा किस तरह अपने यहां के खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने को तैयार नहीं, इसका पता इससे चलता है कि जब जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन भारत विरोधी तत्वों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की आवश्यकता जता रहे थे, तब ऐसे तत्व वहां खालिस्तान पर जनमत संग्रह करा रहे थे। इस तथाकथित जनमत संग्रह में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू भी शामिल हुआ। उसने न केवल भारत के टुकड़े करने के नारे लगाए, बल्कि भारतीय प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विदेश मंत्री को धमकियां भी दीं। पन्नू भारत में वांछित आतंकी है और उसका संगठन भी प्रतिबंधित है।
कनाडा में खालिस्तानी अतिवादियों और आतंकियों की सक्रियता कोई नई बात नहीं। अभी कुछ ही दिनों पहले वहां के एक शहर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन करते हुए एक परेड निकाली गई थी। इसी तरह खालिस्तानी अतिवादी कनाडा के कई हिंदू मंदिरों को निशाना बना चुके हैं। वे कनाडा में कार्यरत भारतीय राजनयिकों को धमकाने के साथ भारतीय उच्चायोग पर हमले की भी कोशिश कर चुके हैं।
इन घटनाओं पर भारत ने हर बार कनाडा से कड़ी आपत्ति जताई और एक बार तो उसके उच्चायुक्त को तलब कर अपनी नाराजगी भी व्यक्त की, लेकिन जस्टिन ट्रूडो सरकार ने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। आगे भी इसके आसार कम ही हैं, क्योंकि जस्टिन ट्रूडो जिस न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से सत्ता में टिके हैं, उसका प्रमुख खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह धालीवाल है। उसने कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान पंजाब के किसानों को भड़काने की हरसंभव कोशिश की थी।
नई दिल्ली आए जस्टिन ट्रूडो से जब कनाडा में खालिस्तानी उग्रवादियों की सक्रियता के बारे में प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं। क्या किसी की हत्या की धमकी देना, भारत की पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों का गुणगान करना और भारत के टुकड़े करने के लिए लोगों को उकसाना अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में आता है?
यह वही जस्टिन ट्रूडो हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष कोविड प्रतिबंधों के विरोध में हड़ताल करने वाले ट्रक ड्राइवरों से निपटने के लिए आपातकाल का सहारा लेने में संकोच नहीं किया था। वैसे तो कनाडा के साथ ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, अमेरिका आदि में भी खालिस्तानी अतिवादी सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें जितना खुला संरक्षण कनाडा में मिल रहा है, उतना अन्यत्र कहीं नहीं।
यह ध्यान रहे कि कनाडा के ही खालिस्तानी आतंकियों ने 1985 में एयर इंडिया के विमान कनिष्क में टाइम बम से विस्फोट किया था, जिसमें 329 लोग मारे गए थे। इनमें अधिकतर भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक थे। भारत यह भूल नहीं सकता कि कनाडा सरकार ने इस भीषण आतंकी घटना के दोषियों पर किस तरह नरमी बरती थी। स्पष्ट है कि भारत को कनाडा सरकार के खिलाफ और सख्ती दिखानी होगी।
भारतीय वकील की याचिका से बढ़ी ट्रूडो की टेंशन : कनाडा के CJI से की मंदिर हमले में जांच की मांग, याचिका में SFJ का जिक्र……
सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने हाल ही में कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर हुए हमले और उसमें शामिल खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई में असफल रहने पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की आलोचना करते हुए कनाडा…भारतीय सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने हाल ही में कनाडा के ब्रैम्पटन में एक हिंदू मंदिर पर हुए हमले और उसमें शामिल खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई में असफल रहने पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की आलोचना करते हुए कनाडाई सुप्रीम कोर…
याचिका में, जिंदल ने कनाडा के सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वे पील पुलिस के अधिकारियों के इस मामले में भूमिका की जांच करें और खालिस्तान समर्थक समूहों जैसे “सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ) के गतिविधियों की भी जांच करें। इन समूहों पर हिंसा भड़काने का आरोप है।…याचिका दायर करने के कारणों को साझा करते हुए विनीत जिंदल ने कहा- “यह सभी को पता है कि वर्तमान जस्टिन ट्रूडो सरकार हमारी भारतीय सरकार के अनुरोधों के बावजूद खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रही है। 3 नवंबर को ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर और वहां के भक्तों पर खालिस्तान समर्थक समूहों द्वारा हमला किया गया था। यहां तक कि पुलिस के अधिकारियों ने भी इस घटना के दौरान हिंदू भक्तों के साथ दुर्व्यवहार किया। तब से लेकर अब तक कनाडा में…
खालिस्तानी आतंकवादी संगठन जैसे “खालिस्तान टाइगर फोर्स” और “सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ) ट्रूडो सरकार के कथित समर्थन के साथ वहां के युवाओं को हिंसा और नफरत के झूठे मामलों में फंसा रहे हैं। मैंने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि कनाडा के सर्वोच्च न्यायालय के माध्…
संदेश दिया जा सके कि वहां रहने वाले प्रत्येक हिंदू की जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए।” जिंदल ने कनाडा की न्यायिक प्रणाली पर भरोसा जताया और उम्मीद व्यक्त की कि उनकी याचिका स्वीकार की जाएगी और हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा करने वालों पर सख्त ..ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर पर हुए हमले ने न केवल कनाडा में बल्कि भारत में भी नाराजगी पैदा की है। इस हमले के पीछे खालिस्तानी अलगाववादी समूहों का हाथ होने का आरोप लगाया गया है। खालिस्तान समर्थक समूहों, विशेष रूप से “
सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ), पर हिंसा और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप है। भारत सरकार भी लगातार इस मुद्दे को उठा रही है और ट्रूडो सरकार पर आरोप लगा रही है कि वह ऐसे आतंकवादी समूहों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठा रही है। बरहाल विनीत जिंदल द्वारा दायर इस …
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कनाडा की न्यायपालिका इस याचिका पर क्या कदम उठाती है और क्या खालिस्तानी अलगाववादियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी। इस याचिका का उद्देश्य कनाडा में हिंदू समुदाय की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना है।……