छ.ग. विशेष संवाददाता :- राजेन्द्र मंडावी राष्ट्रीय विधिक सेवा स्थापना दिवस – प्रयास आवासीय विद्यालय कांकेर में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन
कांकेर। राष्ट्रीय विधिक सेवा स्थापना दिवस के अवसर पर 9 नवंबर 2024 को कांकेर के प्रयास आवासीय विद्यालय में विधिक साक्षरता शिविर का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को विधिक जागरूकता प्रदान करना और उन्हें उनके अधिकारों एवं कानूनी पहलुओं की जानकारी देना था। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कांकेर के सचिव भास्कर मिश्र ने शिविर को संबोधित करते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 9 अक्टूबर 1995 को स्थापित यह संगठन गरीब और वंचित वर्गों को न्यायिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से काम करता है। भास्कर मिश्र ने बच्चों को विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं और इसके उद्देश्यों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि यह संगठन न केवल न्यायिक सहायता प्रदान करता है बल्कि समाज में विधिक जागरूकता भी फैलाता है ताकि लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत रह सकें।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कांकेर, भूपेन्द्र कुमार वासनीकर ने बच्चों के साथ संवाद करते हुए पॉक्सो एक्ट और टोनही प्रताड़ना अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये कानून बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। इसके अलावा, भूपेन्द्र कुमार वासनीकर ने बच्चों को सड़क सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि गाड़ी चलाते समय हेलमेट का उपयोग करना और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना क्यों आवश्यक है। अधिवक्ता सागर गुप्ता प्रतिधारक ने भी बच्चों को कानूनी प्रक्रियाओं की सरल और उपयोगी जानकारी दी। उन्होंने बच्चों को उनके अधिकारों और कानून की मूलभूत जानकारी देकर उन्हें जागरूक किया। कार्यक्रम में श्रीमति विद्या पवार, विद्यालय की अधीक्षिका, और विधिक स्वयं सेवक जैसे गुप्तेश्वर साहू, वर्षा पोया, नीलकमल मटियारा, और प्रहलाद सिन्हा की उपस्थिति ने आयोजन को सफल और प्रभावी बनाया। इस विधिक साक्षरता शिविर में बच्चों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। उन्होंने अपने सवालों के जरिए विभिन्न कानूनी मुद्दों पर जिज्ञासा दिखाई और विशेषज्ञों से उनके उत्तर प्राप्त किए। यह शिविर न केवल बच्चों के ज्ञानवर्धन में सहायक सिद्ध हुआ बल्कि उन्हें जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनने के लिए प्रेरित भी किया। ऐसे प्रयास समाज में विधिक जागरूकता को बढ़ाने में सहायक होते हैं और न्याय प्रणाली के प्रति सम्मान और समझ को मजबूत करते हैं।