दिल्ली प्रदूषण: छठ पूजा से पहले यमुना हुई जहरीली, दिल्ली में गरमाता सियासी माहौल
पिछले 10 वर्षों में 7000 करोड़ रुपये यमुना नदी की सफाई के लिए दिए गए .. राजधानी की वायु गुणवत्ता (AQI) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई
संवाददाता विशाल लील की रिपोर्ट
Delhi Pollution: नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी इन दिनों वायु प्रदूषण के संकट से जूझ रही है। इसी कड़ी में छठ पूजा से पहले यमुना नदी का प्रदूषण स्तर भी खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। यमुना के पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने की वजह से सफेद झाग की चादर पानी के उपर तैर रही है। बीजेपी ने इसे आप सरकार की अनदेखी और असफलता बताया है। इतना ही नहीं बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते, यमुना की सफाई के लिए जो पैसा आया था उसे अरविंद केजरीवाल ने खा लिया।
दरअसल, शुक्रवार 1 नवम्बर को कालिंदी कुंज में यमुना नदी में एक बार फिर से जहरीले झाग की परत जमी हुई है। दिल्ली सरकार द्वारा झाग को हटाने के लिए इंतजाम किया जा रहा है। इसी बीच बीजेपी शहजाद पूनावाला ने दिल्ली की आप सरकार पर गंभीर आरोप लगाए है।
यमुना में झाग आप के भ्रष्टाचार का नतीजा
बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला शुक्रवार को कालिंदी कुंज पहुंचे। इस दौरान वे मीडिया से रूबरू हुए और केजरीवाल सरकार पर हमला बोला। बीजेपी नेता ने कहा, दिवाली के अगले दिन जब हम यहां यमुना घाट पर पहुंचे तो हमें नदीं पर एक सफेद मोटी परत दिखाई दी। नदी पर इस झाग के पीछे का कारण अरविंद केजरीवाल और AAP द्वारा किया गया भ्रष्टाचार है। अब छठ पूजा से पहले वे रासायनिक डिफोमर छिड़क रहे हैं। इसका कारण पिछले 10 वर्षों में 7000 करोड़ रुपये यमुना नदी की सफाई के लिए दिए गए थे वो अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार में खा लिए।
सांस लेंगे तो फेफड़े खराब और पानी पिएंगे तो पेट खराब
बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने आगे कहा, अरविंद केजरीवाल दिल्ली को गैस चैंबर बनाने के लिए जिम्मेदार हैं। हमें मास्क पहनना पड़ता है, वे यूपी को दोषी ठहराते हैं लेकिन पंजाब में पराली जलाने के बारे में भूल जाते हैं। छठ पूजा में महिलाओं की सेहत के साथ खिलवाड़ करने के लिए अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार हैं। दिल्ली को गैस चेंबर बना दिया। उत्तर प्रदेश और हरियाणा को दोष देते हैं लेकिन उन्होंने आज यमुना नदी के पानी को इतना प्रदूषित कर दिया है। अगर आप सांस लेंगे तो फेफड़े खराब और पानी पिएंगे तो पेट खराब होगा।
दिल्ली जल बोर्ड की एक टीम पिछले सप्ताह से ही सफेद जहरीले झाग को नियंत्रित करने के लिए यमुना नदी में सफाई अभियान और रसायनों का छिड़काव कर रही है. हालांकि स्थानीय निवासी इसके बावजूद निराश हो रहे हैं. यमुना नदी के आसपास रहने वाले लोगों ने छठ पूजा पर प्रदूषण के प्रभाव के बारे में चिंता जताई. उन्होंने कहा, “आप देख सकते हैं, यहां बहुत प्रदूषण है. छठ पूजा के लिए समस्या खड़ी हो गई है. हमें अब यह सोचना होगा कि यहां छठ पूजा की जा सकती है या नहीं.
यमुना नदी में झाग कहां से आती है या कैसे बनती है को लेकर ज्यादातर लोगों के मन में सवाल उठता है. हालांकि, यह सब जानते हैं कि यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण जहरीला झाग देखा जाता है. पर्यावरणविद् यमुना नदी में इस तरह की घटना को लेकर दिल्ली में पर्यावरण नियमों और राज्य के शासन को मजाक बताते. उनके मुताबिक, यमुना नदी की सतह पर बहुत सारे झाग से जुड़े प्रदूषण के सारे स्रोत मुख्य रूप से दिल्ली से हैं. भले ही दिल्ली सरकार इसके लिए पड़ोसी राज्यों पर दोष मढ़ना चाहे. दिल्ली के 17 बड़े नाले सीधे यमुना में गिरते हैं.
बायो एक्सपर्ट के मुताबिक, यमुना की झाग बढ़ते प्रदूषण का संकेत है. हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश के प्वाइंट पर यमुना नदी में ऑक्सीजन का लेवल 9 और फिकल मैटर का इंडिकेटर (मल मूत्र का इंडिकेटर) 1200 है. ऑक्सीजन लेवल 9 का मतलब है कि वहां पर आचमन किया जा सकता है, स्नान किया जा सकता है, पानी पीने लायक भी है, लेकिन जब दिल्ली में 36 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद यमुना बाहर निकलती हैं, तो वहां ऑक्सीजन का लेवल जीरो और फिकल इंडिकेटर 9 लाख है. वहां यमुना नदी के पास खड़े भी नहीं हो सकते. यमुना नदी में कोई जीव-जंतु जिंदा नहीं बच पाता.
यमुना नदी में सफेद और जहरीले झाग बनने के पीछे पर्यावरण और इंसान दोनों की गतिविधियां जिम्मेदार हैं. पर्यावरणीय कारण देखें तो मानसून के बाद गर्म पानी का तापमान सर्फेक्टेंट की हरकत को तेज कर देता है. इससे बनने वाले कंपाउंड पानी के सतह पर बनने वाले तनाव को कम करते हैं और झाग बनना तेज हो जाता है. जल का स्तर और प्रवाह कम होने पर यही ठहराव झाग को इकट्ठा होने और देर तक बने रहने के लिए जिम्मेदार होता है. बिना ट्रीटमेंट वाले सीवेज की मात्रा बढ़ने से यमुना नदी की यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है.
वहीं, इंसानों की गलती के लिहाज से देखें तो यमुना नदी में सफेद झाग के लिए बगैर ट्रीटमेंट के गिरने वाला सीवेज मुख्य फैक्टर है. यमुना में रोजाना 3.5 बिलियन लीटर से अधिक सीवेज आता है. इसमें से सिर्फ 35-40 फीसदी का ही ट्रीटमेंट किया जाता है. ये सीवेज नाइट्रेट्स और फॉस्फेट से प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देता है. इसके दबाव के कारण बड़े पैमाने पर झाग बनने लगता है. आईआईटी कानपुर में कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी सीवेज, वेस्टेज और गंदे तरल को यमुना में सफेद झाग बनने का सबसे बड़ा कारण बताते हैं.
वैज्ञानिक खास तरह के फिलामेंटस बैक्टीरिया की मौजूदगी को भी यमुना नदी में सफेद झाग बनने की एक बड़ी वजह मानते हैं. ये बैक्टीरिया कम ऑक्सीजन वाले पानी में सर्फेक्टेंट अणु छोड़ते हैं, जो झाग को स्थिर करने में मदद करता है. इन सर्फेक्टेंट के अलावा यमुना नदी में सड़े हुए पौधे, शैवाल, मृत जीव और कृषि अपशिष्ट भी गिरते और बहते हैं. ये कार्बनिक पदार्थ टूटने पर मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैस छोड़ते हैं. सर्फेक्टेंट वाले पानी में फंसे गैस से झाग बढ़ने में मदद मिलती है. अक्सर कृषि अपवाह और बदतर अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था के चलते ऐसे कार्बनिक पदार्थों को यमुना में गिराया जाता है.
कई सारी साइंटिफिक रिसर्च के मुताबिक, यमुना नदी के पानी में मौजूद फथलेट्स, हाइड्रोकार्बन और कीटनाशक जैसे कार्बनिक प्रदूषक वाष्पित होकर वायुमंडल में फैल जाते हैं. यमुना नदी में बड़े पैमाने पर मौजूद ये प्रदूषक पानी और हवा के बीच विभाजन कर सकते हैं और वायुमंडलीय ऑक्सीडेंट के साथ केमिकल रिएक्शन करके सेकेंडरी कार्बनिक एरोसोल (SOAs) बना सकते हैं. यह केमिकल रिएक्शन तापमान, आर्द्रता और पानी की कार्बनिक संरचना सहित पर्यावरणीय परिस्थितियों से भी प्रभावित होती है, जिससे वायु प्रदूषण भी बढ़ता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, शुक्रवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में धुंध की मोटी परत छाई रही. इसके चलते राजधानी की वायु गुणवत्ता (AQI) ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई. दिल्ली के ज्यादातर क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 से अधिक दर्ज किया गया. सुबह करीब 7 बजे, आनंद विहार में AQI 395, आया नगर में 352, जहांगीरपुरी में 390 और द्वारका में 376 दर्ज किया गया. यह सभी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक स्तर का जोखिम पैदा कर रहे हैं