सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
आज 01 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक माह की अमावस्या है। दरअसल इस वर्ष कार्तिक अमावस्या दो दिन है, जिसके कारण 31 अक्तूबर को भी कार्तिक अमावस्या थी और आज भी है। कार्तिक अमावस्या पर मां लक्ष्मी जी की पूजा होती है और दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। कुछ जगहों पर आज यानी 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन होगा। आपको बता दें कि इस वर्ष अमावस्या की तिथि के चलते दिवाली की तारीख को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन देश के ज्यादातर जगहों में बीते दिन 31 अक्तूबर को दिवाली मनाई गई, वहीं कुछ जगहों पर आज भी मनाई जा रही है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। तभी से हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा चली आ रही है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की परंपरा के पीछे मार्केंडेय पुराण में बताया गया है कि जब धरती पर चारो तरफ अंधेरा व्याप्त था तब एक तेज प्रकाश के साथ कमल पर विराजमान मां लक्ष्मी प्रकट होकर संसार में फैले अंधकार को दूर किया था। इस कारण दिवाली पर लक्ष्मी पूजन और दीप जलाने की परंपरा है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का महत्व और विधि
दीपावली पर महालक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। दिवाली पर धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के साथ भगवान गणेश, कुबेर देवता और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करने विधान होता है। दीपावली पर मां लक्ष्मी का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के तीन मुहर्त में किया जाता है। दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में करना सर्वोत्तम माना गया है। इसके अलावा दिवाली पर तांत्रिक और साधकों के लिए मां लक्ष्मी की पूजा महानिशीथ काल में करना ज्यादा उपयुक्त माना गया है। दिवाली की रात मां लक्ष्मी के प्रसन्न होने पर जीवन में सुख, संपन्नता, धन-धान्य, समृद्धि और अपार धन-दौलत की कोई कमी नहीं होती। मां लक्ष्मी हर तरह की मनोकामनाओं का पूरा करती हैं। आइए जानते है इस दिवाली पर मां लक्ष्मी की कैसे करें पूजा और क्या लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त।
लक्ष्मी पूजा संपूर्ण पूजा विधि
1.वैसे तो दिवाली से काफी दिनों पहले घरों की साफ-सफाई होती है, लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन से पहले एक बार फिर से साफ-सफाई करें। घर के वातावरण को शुद्ध और पवित्र करने के लिए घर के हर कोनों में गंगाजल का छिड़काव करें।
2.पूजन के समय गृह स्वामी हलके पीले, केसरी और स्त्री लाल या पीली साड़ी और घर के बाकि सदस्य भी हलके कपडे पहन कर ही पूजा में बैठे।
3.इसके बाद घर के मुख्य दरवाजे पर रंगोली और तोरण द्वार बनाएं। वहीं दरवाजे के दोनों हिस्सों में स्वास्तिक और शुभ-लाभ की आकृतियां बनाएं।
4.शाम के समय लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण में एक चौकी रखें।फिर इस चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं।
5.इसके बाद चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजित करें और दाहिन तरफ मां लक्ष्मी की मूर्ति को रखें। साथ ही जल से भरा कलश भी रखें।
6.दिवाली पूजन में कमल गट्टा, पीली सरसों, शहद, साबुत धनिया, पीली कौडियां, गोमती चक्र, नाग केसर, साबुत हल्दी की गांठ, कमल का फूल आदि का अवश्य प्रयोग करें।
7.फिर सभी पूजन सामग्री को साथ में लेकर आसान पर बैठें और चारो तरफ गंगाजल का छिड़काव करते हुए पूजा का संकल्प लेते हुए पूजा आरंभ कर दें।
8.सबसे पहले गणेश स्तुति और वंदना करते हुए गणेश की पुष्य, अक्षत, गंध, फल और भोग अर्पित हुए तिलक लगाएं।
9.भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हुए मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करते हुए सभी तरह की पूजन सामग्री भेंट करें।
फिर भगवान गणेश,माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ कुबेर देव और मां सरस्वती की पूजा करें।
10.लक्ष्मी गणेश, कुबेर जी की पूजा के साथ साथ, यदि घर में स्फुटिक श्री यंत्र, दक्षिण वर्ती शंख, नौ ग्रह यंत्र और यदि कोई अन्य भी यंत्र हो उनकी भी अवश्य ही पूजा करें।
11.इसके बाद परिवार सभी लोग महालक्ष्मी की आरती, मंत्रों का जाप और स्तुति पाठ करें।
12.आरती और मंत्रों का जाप के बाद दीपक जलाएं और घर के हर एक हिस्से में रखें।
13.महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें। इसके अलावा दिवाली पर पूर्वजों को याद करते हुए उनकी पूजा-अर्चना, धूप और भोग अर्पित करें।
14.दिवाली पूजन का पूजन घर के पूजा कक्ष में अथवा तिजोरी रखने वाले कक्ष में करना उत्तम होता है।
15.दीपावली की पूजा में घर के मंदिर में एक दिया ऐसा जलाये जो सारी रात जलाता रहे ।
🌷 महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त 🌷
लाभ और अमृत वेला: 08:14 am 10:59 am तक
वृश्चिक लग्न :- 08:00 am – 10:17 am तक
अभिजीत :- 11:59 am – 12:47 pm तक
शुभ वेला :- 12:22 pm – 01:44 pm
कुम्भ लग्न :- 02:05pm – 03:35 pm
गोधूली :- 03:00pm – 05:45pm
वृषभ लग्न :- 06:40 pm 08:37 pm
लाभ वेला :- 09:07pm – 10:44pm
मिथुन लग्न :- 08:31 – 10:46 pm
सिंह लग्न : 01:08 am 03:24 am
उपरोक्त मुहूर्तों के आधार पर आप महालक्ष्मी का पूजन कर सकते है ! कोई भी बंधू इस भ्रांति में ना रहे कि अमावस्या तिथि 06:18 तक है उसके बाद पूजन नहीं होगा यह एकदम निराधार है हालाँकि अमावस प्रदोष काल में दूसरे दिन 24 मिनट से भी अधिक है तो उसे संपूर्ण रात्रि को महालक्ष्मी पूजन होता है
मां लक्ष्मीजी की आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा,रमा,ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।