छ. ग. विशेष संवाददाता :- राजेन्द्र मंडावी राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अंडरट्रायल बंदियों के लिए न्यायिक सहायता – कांकेर जिला जेल में शिविर और लीगल एड क्लीनिक का निरीक्षण
कांकेर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के द्वारा अंडरट्रायल बंदियों के अधिकारों और न्यायिक सहायता पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए अक्टूबर 2024 के लिए निर्धारित विषय के तहत आज, दिनांक 23 अक्टूबर 2024 को कांकेर जिला जेल में शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर की अध्यक्षता जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कांकेर के सचिव, भास्कर मिश्र ने की। शिविर के दौरान मिश्र ने जेल परिसर में स्थित लीगल एड क्लीनिक का भी निरीक्षण किया, जिसका उद्देश्य जेल में बंद बंदियों को त्वरित न्याय और कानूनी सहायता प्रदान करना था।
शिविर में भाग लेने वाले बंदियों ने अपनी व्यक्तिगत समस्याओं और शिकायतों को व्यक्त किया, जिन्हें विधिक अधिकारियों द्वारा सुना गया। जिन बंदियों के पास वकील नहीं थे, उनके लिए निःशुल्क वकील की व्यवस्था तुरंत की गई। लीगल एड क्लीनिक के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि सभी बंदियों को उचित न्यायिक परामर्श और सहायता मिले, जिससे उनके मुकदमों की सुनवाई में तेजी आए और उन्हें न्याय दिलाने की प्रक्रिया में सहयोग प्राप्त हो। शिविर के दौरान जिला जेल अधीक्षक संदीप कश्यप और प्रतिधरक अधिवक्ता सागर गुप्ता की भी उपस्थिति रही। इस मौके पर बंदियों को उनके कानूनी अधिकारों और न्याय प्रणाली के संबंध में जानकारी दी गई। इसके साथ ही बंदियों को यह बताया गया कि न्यायिक प्रक्रिया के दौरान उनके लिए मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध है और उन्हें अपने वकील से हर आवश्यक परामर्श प्राप्त करने का अधिकार है। इस निरीक्षण और शिविर का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह भी था कि इसमें ऐसे बंदियों पर विशेष ध्यान दिया गया जो लंबे समय से न्यायिक प्रक्रिया में फंसे हुए हैं, किंतु उनके मामलों में कोई प्रगति नहीं हो रही थी। भास्कर मिश्र ने कहा कि इन बंदियों के मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे, ताकि न्याय में देरी से उन्हें अनावश्यक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। जिला जेल कांकेर में यह शिविर और निरीक्षण अंडरट्रायल बंदियों के लिए न्यायिक सहायता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्यक्रम न केवल उन्हें त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में मदद करेगा, बल्कि उन्हें न्याय प्रणाली और उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक भी करेगा। इस तरह के प्रयासों से न केवल बंदियों को कानूनी मदद मिलेगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया में उनके विश्वास को भी बल मिलेगा।