10 करोड़ घपले का ऑडिट में खुलासा:कलेक्टर और सीईओ की अनुमति बिना 4 बीडीओ ने 20 पंचायतों को किया 8 करोड़ का भुगतान..!!
बाड़मेर
मो. अयुब हाथीतला की रिपोर्ट
बाड़मेर व बालोतरा जिले की 25 ग्राम पंचायतों में मनरेगा में करीब 10 करोड़ रुपए के घपले के मामले में अफसरों की कारगुजारी सामने आई है। ऑडिट रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद भुगतान रोका गया। 25 अगस्त 2024 को कलेक्टर ने तत्कालीन आयुक्त ईजीएस टीना डाबी को बकाया राशि जारी करने के संबंध में पत्र भेजा,लेकिन आयुक्त ने इस मामले में न तो निर्देश दिए न ही इस संबंध में कोई पत्र जारी किया।
इधर, पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों ने कलेक्टर व जिला परिषद सीईओ की बिना अनुमति के 20 पंचायतों को 8 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जांच रिपोर्ट में अनियमितताएं सामने आने पर विकास अधिकारियों समेत 30 कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
धनाऊ के विकास अधिकारी को दोषी मानते हुए 17 सीसीए का नोटिस दिया। उसी पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने एक साल बाद फर्जीवाड़े के मामले में अपने स्तर पर पंचायतों को आनन-फानन में भुगतान कर दिया। गौरतलब है कि बाड़मेर व बालोतरा जिले की 25 ग्राम पंचायतों में वर्ष 2022-23 में मनरेगा के कार्यों में करीब 10 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था।
घपले में भी घपला: मनरेगा में न वसूली की न सत्यापन करवाया, बिना अनुमति कर दिया भुगतान
ग्राम पंचायत नवातला राठौड़ान में ऑडिट रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर 5 कार्यों का 12.92 लाख रुपए का भुगतान रोका गया। इस मामले में पंचायत समिति धनाऊ बीडीओ समेत दो कार्मिक दोषी पाए गए। इनके खिलाफ 17 सीसीए की कार्रवाई की गई। इस मामले में विकास अधिकारी ने बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के रोकी गई राशि का भुगतान कर दिया। इतना ही नहीं हटाए गए संविदा कार्मिक को भी पुन: लगा दिया।
ग्राम पंचायत आकोड़ा में ग्रेवल सड़कों समेत अन्य मनरेगा कार्यों में घपला सामने आया था। ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर 12.48 लाख रुपए की वसूली निकाली गई। राशि जमा नहीं करवाने पर 42 कार्यों का 44.91 लाख रुपए का भुगतान रोक दिया। दुबारा किसी एजेंसी से इस मामले में जांच नहीं करवाई गई। बावजूद इसके पंचायत समिति चौहटन के तत्कालीन विकास अधिकारी ने 44 लाख रुपए का भुगतान कर दिया।
पंचायत समिति धनाऊ की ग्राम पंचायत ईटादिया में मनरेगा कार्यों में फर्जी जॉब कार्ड का मामला सामने आने पर जांच करवाई। जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा होने पर बीडीओ,वीडीओ व जेटीए दोषी पाए गए। जेटीए का अनुबंध समाप्त कर दिया। बीडीओ व वीडीओ को 17 सीसीए नोटिस थमाए। 66 कार्यों का 72.15 लाख रुपए का भुगतान रोका गया। इस मामले में भी बीडीओ धनाऊ ने मनमर्जी से भुगतान कर दिया।
ईटादा में 123 कार्यों में 94.64 लाख रुपए का भुगतान इसलिए रोका गया था कि मौके पर अधूरे कार्यों को पूर्ण बताया गया। इतना ही नहीं काम मशीनों से करवाया और श्रमिक नियोजित बताए। इसका ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा होने पर वीडीओ व जेटीए को दोषी मानते हुए नोटिस दिए गए। इसी तरह बिसारणिया में भी 2 लाख रुपए का घपला सामने आया था। दो कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। फिर भी भुगतान जारी कर दिया।
बड़ा सवाल: न कलेक्टर को पता न सीईओ को, बीडीओ ने अपने स्तर पर कैसे कर दिया भुगतान?
मनरेगा कार्यों में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद 25 पंचायतों का 10 करोड़ रुपए का भुगतान रोका गया। वसूली भी निकाली। बकाया भुगतान को लेकर कलेक्टर,जिला परिषद सीईओ ने निर्देश ही नहीं दिए। इस संबंध में आयुक्त ईजीएस से भी मार्गदर्शन नहीं मिला।
इसके बावजूद बीडीओ ने अपने स्तर पर सरपंचों से सांठ-गांठ कर भुगतान कर दिया। गाइड लाइन के अनुसार एक एजेंसी की जांच के बाद क्लीन चिट नहीं मिलने तक भुगतान करने का प्रावधान नहीं है। लेकिन चौहटन,धनाऊ समेत कई पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों ने नियम विरुद्ध सरपंचों को फायदा पहुंचाया।
तीन कलेक्टर बदले, किसी ने नहीं दिए भुगतान के निर्देश
मनरेगा में वर्ष 2022-23 में फर्जीवाड़े का ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद दस करोड़ रुपए का भुगतान रोका गया था। यह मामला 2023 में सामने आया था। तत्कालीन कलेक्टर अरुण पुरोहित ने रिपोर्ट आयुक्त ईजीएस को भेजी थी। इसके बाद 25 अगस्त 2024 को कलेक्टर निशांत जैन ने विकास अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर आयुक्त ईजीएस ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज को पत्र भेजा। दो साल में तीन कलेक्टर बदल गए,लेकिन इस मामले में किसी ने भुगतान के निर्देश नहीं दिए।
“पंचायतों में अनियमितताएं मिलने पर भुगतान रोका गया था। भुगतान जारी करने के संबंध में बीडीओ को जिला परिषद से कोई निर्देश जारी नहीं किए गए। बीडीओ ने अपने स्तर पर भुगतान किया है तो पता करवाकर कार्रवाई की जाएगी।”
मो. अयुब हाथीतला की रिपोर्ट