सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है।शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है।पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि,नक्षत्र,मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
दिनांक:- 21/10/2024, सोमवार
पंचमी, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“”””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– पंचमी 26:28:43 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——— रोहिणी 06:49:23
नक्षत्र——— मृगशिरा 29:49:59
योग———- वरियान 11:10:06
करण———- कौलव 15:16:59
करण———– तैतुल 26:28:43
वार———————- सोमवार
माह———————- कार्तिक
चन्द्र राशि—– वृषभ 18:14:04
चन्द्र राशि————— मिथुन
सूर्य राशि——————- तुला
रितु————————- शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर) ————–कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2080
शक संवत——————1946
कलि संवत—————- 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————– 06:24:01
सूर्यास्त————- 17:43:02
दिन काल———— 11:19:01
रात्री काल————- 12:41:35
चंद्रास्त————– 10:37:01
चंद्रोदय—————- 20:51:33
लग्न—- तुला 3°55′ , 183°55′
सूर्य नक्षत्र—————— चित्रा
चन्द्र नक्षत्र—————- रोहिणी
नक्षत्र पाया—————— लोहा
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
वु—- रोहिणी 06:49:23
वे—-मृगशिरा 12:30:22
वो—- मृगशिरा 18:14:04
का—- मृगशिरा 24:00:34
की—- मृगशिरा 29:49:59
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= तुला 03°45, चित्रा 3 रा
चन्द्र=वृषभ 23°30 , रोहिणी 4 वु
बुध =तुला 17°53′ स्वाति 4 ता
शु क्र= वृश्चिक 09°05,अनुराधा’2 नी
मंगल=कर्क 00°30 ‘ पुनर्वसु’ 4 ही
गुरु=वृषभ 26°30 मृगशिरा 2 वो
शनि=कुम्भ 19°50 ‘ शतभिषा 4 सू
राहू=(व) मीन 11°10 उo भा o,3 झ
केतु= (व)कन्या 11°10 हस्त 1 पू
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 07:49 – 09:14 अशुभ
यम घंटा 10:39 – 12:04 अशुभ
गुली काल 13:28 – 14:53
अभिजित 11:41 – 12:26 शुभ
दूर मुहूर्त 12:26 – 13:11 अशुभ
दूर मुहूर्त 14:42 – 15:27 अशुभ
वर्ज्यम 12:08 – 13:39 अशुभ
प्रदोष 17:43 – 20:18 शुभ
💮चोघडिया, दिन
अमृत 06:24 – 07:49 शुभ
काल 07:49 – 09:14 अशुभ
शुभ 09:14 – 10:39 शुभ
रोग 10:39 – 12:04 अशुभ
उद्वेग 12:04 – 13:28 अशुभ
चर 13:28 – 14:53 शुभ
लाभ 14:53 – 16:18 शुभ
अमृत 16:18 – 17:43 शुभ
🚩चोघडिया, रात
चर 17:43 – 19:18 शुभ
रोग 19:18 – 20:53 अशुभ
काल 20:53 – 22:29 अशुभ
लाभ 22:29 – 24:04* शुभ
उद्वेग 24:04* – 25:39* अशुभ
शुभ 25:39* – 27:14* शुभ
अमृत 27:14* – 28:49* शुभ
चर 28:49* – 30:25* शुभ
💮होरा, दिन
चन्द्र 06:24 – 07:21
शनि 07:21 – 08:17
बृहस्पति 08:17 – 09:14
मंगल 09:14 – 10:10
सूर्य 10:10 – 11:07
शुक्र 11:07 – 12:04
बुध 12:04 – 13:00
चन्द्र 13:00 – 13:57
शनि 13:57 – 14:53
बृहस्पति 14:53 – 15:50
मंगल 15:50 – 16:46
सूर्य 16:46 – 17:43
🚩होरा, रात
शुक्र 17:43 – 18:47
बुध 18:47 – 19:50
चन्द्र 19:50 – 20:53
शनि 20:53 – 21:57
बृहस्पति 21:57 – 23:00
मंगल 23:00 – 24:04
सूर्य 24:04* – 25:07
शुक्र 25:07* – 26:11
बुध 26:11* – 27:14
चन्द्र 27:14* – 28:18
शनि 28:18* – 29:21
बृहस्पति 29:21* – 30:25
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
तुला > 05:06 से 07: 22 तक
वृश्चिक > 07:22 से 09:44 तक
धनु > 09:44 से 12:00 तक
मकर > 12:00 से 14:52 तक
कुम्भ > 14:52 से 15:16 तक
मीन > 15:16 से 16:52 तक
मेष > 16:52 से 18:12 तक
वृषभ > 18:12 से 20:20 तक
मिथुन > 20:20 से 22:28 तक
कर्क > 22:28 से 01:02 तक
सिंह > 01:02 से 02:52 तक
कन्या > 02:52 से 05:02 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 5 + 2 + 1 = 23 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*सर्वार्थ, अमृत सिद्धि योग 29:50 तक
*गुरु गोविंद सिंह पुण्य तिथि
*आजाद हिंद फौज स्थापना दिवस
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
कस्य दोषः कुलेनास्ति व्याधिना के न पीडितः ।
व्यसनं के न संप्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम् ।।
।। चा o नी o।।
इस दुनिया मे ऐसा किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है.सदा सुख किसको रहता है?
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: विभूतियोग अo-10
नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।,
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥,
हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात् संक्षेप से कहा है॥,40॥,
दैनिक राशिफल
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। बड़ा काम करने का मन बनेगा। झंझटों से दूर रहें। विरोधी सक्रिय रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। जोखिम बिलकुल न लें। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। कानूनी अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। फालतू खर्च होगा।
🐂वृष-कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चिंता बनी रहेगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि होगी। निवेश लाभदायक रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यस्तता रहेगी।
👫मिथुन-दूर से बुरी खबर मिल सकती है। दौड़धूप अधिक होगी। बेवजह तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। फालतू बातों पर ध्यान न दें। मेहनत अधिक व लाभ कम होगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। शत्रुओं की पराजय होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी।
🦀कर्क-घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में निश्चितता रहेगी। शत्रुभय रहेगा।
🐅सिंह-योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोधी सक्रिय रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। आय में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-परिवार में सुख-शांति रहेगी। जल्दबाजी न करें। पुराना रोग उभर सकता है।
🙍♀️कन्या-यात्रा लाभदायक रहेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है, प्रयास करें। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। शेयर मार्केट से बड़ा लाभ हो सकता है। संचित कोष में वृद्धि होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कारोबारी सौदे बड़े हो सकते हैं। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य प्रभावित होगा, सावधानी रखें।
⚖️तुला-व्यवसाय में ध्यान देना पड़ेगा। व्यर्थ समय न गंवाएं। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। जल्दबाजी से हानि संभव है। थकान रहेगी। कुसंगति से बचें। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🦂वृश्चिक-फालतू खर्च पर नियंत्रण रखें। बजट बिगड़ेगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न होगी। लेन-देन में सावधानी रखें। अपरिचित व्यक्तियों पर अंधविश्वास न करें। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय होगी। संतुष्टि नहीं होगी।
🏹धनु-नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति संभव है। यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। कारोबारी बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। आशंका-कुशंका रहेगी। पुराना रोग उभर सकता है। लापरवाही न करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🐊मकर-कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। व्यापार में लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। शत्रु पस्त होंगे। विवाद में न पड़ें। अपेक्षाकृत कार्य समय पर होंगे। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। प्रमाद न करें।
🍯कुंभ-रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। समय की अनुकूलता का लाभ मिलेगा। व्यस्तता के चलते स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। अपने काम पर ध्यान दें। लाभ होगा।
🐟मीन-बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। स्थायी संपत्ति से बड़ा लाभ हो सकता है। समय पर कर्ज चुका पाएंगे। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न तथा संतुष्ट रहेंगे। निवेश शुभ फल देगा। घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी, ध्यान रखें।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
किस तिथी को कब-क्या निषेध है।
प्रतिपदा तिथि-प्रतिपदा तिथि में गृह निर्माण,गृह प्रवेश वास्तुकर्म ,विवाह,यात्रा,प्रतिष्ठा,शान्तिक तथा वयावसायिकता पौष्टिक कार्य आदि सभी मंगल कार्य किए जाते हैं। कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा में चन्द्रमा को बली माना गया है और शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में चन्द्रमा को निर्बल माना गया है। इसलिए शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में विवाह,यात्रा,व्रत, प्रतिष्ठा सीमन्त चूडा़कर्म,वास्तुकर्म तथा गृहप्रवेश आदि कार्य नहीं करने चाहिए।
द्वित्तीया तिथि-विवाह मुहूर्त, यात्रा करना, आभूषण खरीदना, शिलान्यास, देश अथवा राज्य संबंधी कार्य,वास्तुकर्म,उपनयन आदि कार्य करना शुभ माना होता है परंतु इस तिथि में तेल लगाना वर्जित है।
तृतीया तिथि-तृतीया तिथि में शिल्पकला अथवा शिल्प संबंधी अन्य कार्यों में सीमन्तोनयन चूडा़कर्म अन्नप्राशन गृह प्रवेश विवाह,राज संबंधी कार्य,उपनयन आदि शुभ कार्य सम्पन्न किए जा सकते हैं।
चतुर्थी तिथि-सभी प्रकार के बिजली के कार्य,शत्रुओं का हटाने का कार्य,अग्नि संबंधी कार्य,शस्त्रों का प्रयोग करना आदि के लिए यह तिथि अच्छी मानी गई है। क्रूर प्रवृति के कार्यों के लिए यह तिथि अच्छी मानी गई है।
पंचमी तिथि-पंचमी तिथि सभी प्रवृतियों के लिए यह तिथि उपयुक्त मानी गई है। इस तिथि में किसी को ऋण देना वर्जित माना गया है।
षष्टि तिथी-षष्ठी तिथि में युद्ध में उपयोग में लाए जाने वाले शिल्प कार्यों का आरम्भ,वास्तुकर्म, गृहारम्भ नवीन वस्त्र पहनने जैसे शुभ कार्य इस तिथि में किए जा सकते हैं। इस तिथि में तैलाभ्यंग अभ्यंग पितृकर्म दातुन,आवागमन,काष्ठकर्म आदि कार्य वर्जित हैं।
सप्तमी तिथि-विवाह मुहुर्त,संगीत संबंधी कार्य,आभूषणों का निर्माण और नवीन आभूषणों को धारण किया जा सकता है। यात्रा,वधु-प्रवेश,गृह-प्रवेश राज्य संबंधी कार्य,वास्तुकर्म चूडा़कर्म अन्नप्राशन उपनयन संस्कार,आदि सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
अष्टमी तिथि-इस तिथि में लेखन कार्य,युद्ध में उपयोग आने वाले कार्य,वास्तुकार्य,शिल्प संबंधी कार्य,रत्नों से संबंधित कार्य,आमोद-प्रमोद से जुडे़ कार्य, अस्त्र-शस्त्र धारण करने वाले कार्यों का आरम्भ इस तिथि में किया जा सकता है।
नवमी तिथि-नवमी तिथि में शिकार करने का आरम्भ करना झगड़ा करना,जुआ खेलना,शस्त्र निर्माण करना,मद्यपान तथा निर्माण कार्य तथा सभी प्रकार के क्रूर कर्म इस तिथि में किए जाते हैं।
दशमी तिथि-दशमी तिथि में राजकार्य अर्थात वर्तमान समय में सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है। हाथी घोड़ों से संबंधित कार्य विवाह संगीत,वस्त्र,आभूषण यात्रा आदि इस तिथि में की जा सकती है। गृह-प्रवेश वधु प्रवेश,शिल्प,अन्न प्राशन चूडा़कर्म,उपनयन संस्कार आदि कार्य इस तिथि में किए जा सकते हैं।
एकादशी तिथि-एकादशी तिथि में व्रत,सभी प्रकार के धार्मिक कार्य,देवताओं का उत्सव,सभी प्रकार के उद्यापन,वास्तुकर्म युद्ध से जुडे़ कर्म शिल्प यज्ञोपवीत गृह आरम्भ करना और यात्रा संबंधी कार्य किए जा सकते हैं।
द्वादशी तिथि-इस तिथि में विवाह, तथा अन्य शुभ कर्म किए जा सकते हैं।इस तिथि में तैलमर्दन,नए घर का निर्माण करना तथा नए घर में प्रवेश तथा यात्रा का त्याग करना चाहिए।
त्रयोदशी तिथि-संग्राम से जुडे़ कार्य,सेना के उपयोगी अस्त्र-शस्त्र,ध्वज,पताका के निर्माण संबंधी कार्य,राज-संबंधी कार्य वास्तु कार्य,संगीत विद्या से जुडे़ काम इस दिन किए जा सकते हैं।इस दिन यात्रा,गृह प्रवेश,नवीन वस्त्राभूषण तथा यज्ञोपवीत जैसे शुभ कार्यों का त्याग करना चाहिए।
चतुर्दशी-चतुर्दशी तिथि में सभी प्रकार के क्रूर तथा उग्र कर्म किए जा सकते हैं। शस्त्र निर्माण इत्यादि का प्रयोग किया जा सकता है। इस तिथि में यात्रा करना वर्जित है।चतुर्थी तिथि में किए जाने वाले कार्य इस तिथि में किए जा सकते हैं।
पूर्णमासी-पूर्णमासी जिसे पूर्णिमा भी कहते हैं,इस तिथि में शिल्प,आभूषणों से संबंधित कार्य किए जा सकते हैं। संग्राम विवाह,यज्ञ,जलाशय,यात्रा,शांति तथा पोषण करने वाले सभी मंगल कार्य किए जा सकते हैं।
अमावस्या इस तिथि में पितृकर्म मुख्य रुप से किए जाते हैं। महादान तथा उग्र कर्म किए जा सकते हैं। इस तिथि में शुभ कर्म तथा स्त्री का संग नहीं करना चाहिए।