भगवती गोमाता सब पर कृपा करने के लिए ही पृथ्वी लोक पर प्रगट हुई है स्वामी गोपालानंद सरस्वती
ब्यूरो चीफ-मनोज कुमार माली
सुसनेर, सोयतकला
सुसनेर नगर से मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित गो रक्षा वर्ष के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा ⁹संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 193 वे दिवस के अवसर पर श्रोताओं को सम्बोधित करते स्वामी गोपालानंद जी महाराज ने बताया कि जगदम्बा भगवती गोमाता सब पर कृपा करने के लिए ही पृथ्वी लोक पर प्रगट हुई है बाकि तो गायमाता गोलोक में खूब आनन्द से रहती है क्योंकि वहां पर जितनी गईया है उससे ज्यादा उनकी सेवा के लिए वहां पर ग्वाल बाल है और सब सतत गोमाओं की चिंता करने वाले है और वहां तो गोमाता महारानी है फिर भी वह पृथ्वी पर आती है भले ही हम पृथ्वीवासी उनको कितना भी कष्ट दे फिर भी वह हम सब पर कृपा करने,हम पर दया करने एवं हम सब का उद्धार करने के लिए भगवती गोमाता कई रूप में पधारी हैं जिसमें से एक स्वयंभू दो सींगो,चार पैरो एवं दो आंखो के रूप में इस धरती में प्रकट हुई है
स्वामीजी ने बताया कि जब ब्रह्मा जी नवीन सृष्टि के निर्माण का चिंतन कर रहें थे कि यह चलेगी कैसे और प्रजा बढ़ गई तो वह क्या खाएगी ,क्या पिएंगे और इनके जीवन का निर्वाह कैसे होगा प्रजापालक ब्रह्मा जी इसकी चिंता कर रहें थे तभी भगवती गोमाता उनके सामने प्रकट हो गई और उस गायमाता ने सृष्टि निर्माण में भी ब्रह्मा जी का सहयोग किया और सृष्टि के धारण पालन पौषण में भी सहयोग किया अर्थात सृष्टि निर्माण का मूल कार्य गोमाता ने ही किया। यानि गोमाता ही गायत्री है और इनसे बुद्धि प्राप्त करके जितने भी कल्प बीते है उन सब कल्पो में गोमाता के माध्यम से ही सृष्टि का निर्माण हुआ है
स्वामीजी ने खान कि जिसने योग को समझ लिया वह गोमाता से जुड़ जाता है, इसीलिए तो यह योगेश्वरी कहलाती है क्योंकि इनसे जुड़े बिना योग हो ही नहीं सकता और योगी के योग्यता आए बिना वह परमेश्वरी के मूल तत्त्व को जान नही सकता। परन्तु सामान्य चक्षु से व्यक्ति समझ नही सकता और यह प्रमाणित योग है , इसलिए गायमाता पशु नही है और वायु पुराण में स्पष्ट कहां है कि गाय ही गायत्री है
शरदोत्सव के पुनित पर्व पर भजन सम्राट स्वर्गीय विनोद जी अग्रवाल के शिष्य प्रसिद्ध भजन गायक महावीर शर्मा दिल्ली ने भगवान मीरां माधव के भजनामृत का आनन्द मालवा की माटी में स्थापित विश्व के प्रथम गो अभ्यारण्य में मालवा के लोगो को शरद पूर्णिमा की रात्रि को संतों के सानिध्य में भजनों की अमृत वर्षा एवं गो दुग्ध से निर्मित चन्द्रमा की रोशनी से अमृत ग्रहण करने वाली खीर का आनन्द लिया और अंत में कार्यक्रम के आयोजको ने अपना घर के संचालक दिल्ली निवासी राजेश जी गुप्ता एवं महावीर जी शर्मा एवं उनकी सम्पूर्ण टीम का आभार प्रकट किया
गो कृपा कथा के 193 वें दिवस पर श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के वरिष्ठ न्यासी बलराम भाई। हुकुमा राम चौधरी। बालोतरा, हाल मुकाम डीसा गुजरात एवं मोहन भाई नरसिंह भाई जादव डीसा,गुजरात , हरगोविन्द भाई मणिलाल जोशी, कर्णावती गुजरात, भगवानदास भावसार, सत्यनारायण भावसार, राजेश भावसार,, रामबाबू जुलानिया गुप्ता जीरापुर एवं महेश सोनी धरोला नलखेड़ा व रामनारायण दांगी खेराना एवं रासबिहारी गोशाला ढाकनी से नारायण सिंह सिसोदिया,कृपाल सिंह चौहान आदि अतिथि उपस्थित रहें
193 वे दिवस पर चुनरी यात्रा तेंलगाना से
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 193 वें दिवस पर तेंलगाना राज्य के कामरडी से भोपाल सिंह , ओक सिंह बालोतरा हाल मुकाम तेलंगाना ने अपने परिवार सहित अपने ग्राम नगर,राज्य एवं देश के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया