• जिलाधिकारी के आदेश पर सीएमओ ने लिया एक्शन फार्मासिस्ट को लगानी पडी वैक्सीन।
संवादाता:-अनुभव शाक्य शाहजहांपुर की रिपोर्ट
अल्हागंज : कस्बे के सामुदायिक केंद्र मे तैनात फार्मासिस्ट के द्वारा बैक्सीन न लगाने की जानकारी पर जिलाधिकारी ने संज्ञान लेते हुए सीएमओ को आदेश दिया तत्तकाल एक्सन पर फार्मासिस्ट ने बडे अनोखे अंदाज मे आखिर बैक्सीन लगा ही दी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वृहस्पतिवार को कस्बे की एक महिला को बंदरो ने काट कर घायल कर दिया था प्रार्थमिक उपचार तथा वैक्सीन के लिए जब परिजन उसे लेकर कस्बे के सामुदायिक केंद्र गये जहा इमरजेंसी वार्ड मे ताला पडा देख परिजनों ने पूछताछ की तो पता चला की इमरजेंसी का चार्ज फार्मासिस्ट को देकर डाक्टर छुट्टी पर गये है डाक्टर के जाते है फार्मासिस्ट भी अपने घर निकल गये। जिसके बाद परिजनो ने काफी देर तक फार्मासिस्ट से फोन से संपर्क करना चाहा पर कोई परिणाम न निकलने पर प्राईवेट क्लीनिक पर प्रार्थमिक उपचार कराया पर वैक्सीन कि चिंता मे परिजन दूसरे दिन भी अस्पताल के चक्कर लगाते रहे पर फार्मासिस्ट घर से नही लौटे तीसरे दिन अस्पताल मे मिलने पर वैक्सीन को सोमवार को ही लग पाएगी इससे पहले नही यह कहकर बापस कर दिया और यहां तक की यह भी कहे दिया आज किसी कीमत पर कोई वैक्सीन नही लगवा सकता यह सुन परिजनो द्वारा जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह को पूरी घटना से अवगत कराया इसके बाद सीएमओ शाहजहांपुर ने एक्शन लेते हुए तत्काल वैक्सीन लगाने के लिए आदेश दिया इसके बाद फार्मासिस्ट द्वारा घायल को वैक्सीन की प्रथम डोज प्राप्त हुई। आपको बता दे की पड़ोसी जनपद फर्रुखाबाद निवासी फार्मासिस्ट काफी समय से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अल्लाहगंज में तैनात है जो प्रतिदिन शाम को घर चला जाता है साथ ही मरीजों के प्रति उसका व्यवहार अच्छा न होने के कारण काफी मरीज परेशान रहते हैं आसपास की मेडिकल स्टोरो पर अच्छी पकड़ होने के कारण दवाइयां के साथ अन्य सामान की भी बिक्री कर लेता है अच्छी खासी आमदनी भी हो जाती है इसलिए जनता के प्रति उसका व्यवहार अच्छा नहीं है। वहीं राष्ट्रीय सोशल मीडिया संघ के अध्यक्ष अमित बाजपेई ने शासन प्रशासन को पत्र भेज कर बताया है की फार्मासिस्ट के व्यवहार के कारण 40% मरीज परेशान होकर घर लौट जाता है प्रतिदिन पड़ोसी जनपद में जाने के कारण इमरजेंसी सुविधा भी बाधित होती है शीघ्र फार्मासिस्ट का ट्रांसफर कहीं दूसरी जगह की जाए अन्यथा की स्थिति में संगठन जनता के प्रति धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।