गंगेश कुमार पाण्डेय
(ब्यूरो चीफ)सत्यार्थ न्यूज़ सुलतानपुर उत्तर प्रदेश
“अन्नदाता कैसे करें बुवाई, दिन भर लगे रहे कतार में, अंत में मायूसी हाथ आई,”
सत्यार्थ न्यूज़ सुलतानपुर: जनपद के किसान एक बोरी डीएपी के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। हालत यह है कि ठंड के मौसम में भी किसानों को सुबह से दिन ढलने तक लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। इसके बाद भी एक अदद बोरी डीएपी खाद नहीं मिलने से व्यवस्था को कोसते हुए मायूस होकर किसान हर लौटने पर मजबूर हो रहे हैं।
रवि फसलों की बुवाई करने के लिए सुबह के समय किसान अपने खेत जाता है। और नमी देखा है। और नमी देखने के बाद किसान साधन सहकारी समितियों पर डीएपी उर्वरक लेने के लिए चक्कर लगाता है। खाद बट रही होती है तो वह लाइन में लग जाता है। और अपनी बारी का इंतजार करता है। इसी बीच कुछ बड़े काश्तकार समिति पर आ जाते हैं, और रौब दिखाते हुए 5 से 10 बोरी खाद वाहन पर लादकर कर चले जाते हैं।
लाइन में खड़े किसान देखते रह जाते हैं। कूरेभार ,बल्दीराय, धनपतगंज, मोतीगरपुर, कादीपुर,करौंदी कला, कुड़वार, लंभुआ ,चांदा समेत अन्य ब्लॉक क्षेत्र में पिछले कई दिनों से डीएपी नदारद है। जिले के किसान दिन में दो बार साधन सहकारी समितियां का चक्कर लगा रहे हैं। महिला किसानों के लिए घर की जिम्मेदारियां के साथ खेती कर पाना मुश्किल हो रहा है। खाद के लिए सुबह से शाम तक लगने वाली कतार में महिला किसानों का पहुंच कर डीएपी लेना आसान नहीं है।
“महिला किसान बोली खाद के लिए साधन सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं”।
धनपतगंज (सुलतानपुर) महिला किसान शिवकुमारी गुप्ता ने कहा कि साधन सहकारी समिति से केवल पहुंच वाले किसानों को ही डीएपी दी जा रही है। करमजोत वाले किसान खाद के लिए मारे मारे फिर रहे हैं। कई बार साधन सहकारी समिति का चक्कर लगा चुकी हूं। दिन भर लाइन में खड़े-खड़े अंत में अपनी बारी आने पर पता चलता है कि डीएपी खत्म हो गई है। राजकुमारी ने बताया कि कई बार साधन सहकारी समिति पर गई। और अंत में निराश होकर वापस लौट आई। प्राइवेट दुकान से ही महंगे दाम पर डीएपी खरीद कर बुवाई करनी पड़ेगी।
यदि जल्दी बुवाई नहीं की तो खेत की नमी चली जाएगी। चरथई गांव निवासी किसान सुनीता दुबे ने बताया कि पति घर से बाहर रहते हैं। डीएपी के लिए कई दिन भटकने के बाद प्राइवेट दुकान से ही महंगे दाम पर खरीद कर गेहूं की बुवाई कर पाई हूं। संगीता यादव के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि 4 दिन से डीएपी के लिए साधन सहकारी समिति पर जा रही हूं। लेकिन खाद नहीं मिली। एक दिन ऐसा हुआ कि जब मेरी बारी आई तो पता चला कि डीएपी समाप्त हो गई है। सुबह से शाम तक पूरा दिन बेकार गया। अब समिति पर जाना ही छोड़ दिया।
“डिमांड के हिसाब से समितियां पर भेजी जा रही है खाद”।
जिला कृषि अधिकारी सदानंद चौधरी ने कहा कि 1400 मेट्रिक टन डीएपी की रैक आने वाली है। रैक आने के बाद डिमांड के हिसाब से समितियां पर खाद भेजी जाएगी। जिले में खाद की कमी नहीं है। दिसंबर तक गेहूं की बुवाई की जाएगी।